भारत के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में तापमान में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है, हालांकि फरवरी अभी खत्म नहीं हुआ है। इस बीच मौसम विभाग ने एक एडवाइजरी जारी की है। मौसम विभाग का कहना है कि तापमान में यह वृद्धि गेहूं की खड़ी फसल के लिए खतरनाक साबित हो सकती है और किसानों के लिए चिंता का विषय है।
विभाग के अनुसार, मध्य अरब सागर के उत्तरी भागों की ओर एक निचले स्तर के एंटी-साइक्लोन के स्थानांतरण के साथ अगले तीन दिनों में कोंकण, गोवा और गुजरात के क्षेत्रों में अधिकतम तापमान में दो-तीन डिग्री सेल्सियस की गिरावट हो सकती है, लेकिन इसके बाद मौसम में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं होगा। हालांकि, अधिकतम तापमान अगले तीन दिनों में उत्तर-पश्चिम और पश्चिम भारत के कई हिस्सों में सामान्य से लगभग सात डिग्री सेल्सियस अधिक रहने की संभावना है।
सरकार ने आकलन किया है कि इस बढ़ते तापमान का प्रभाव संभावित रूप से गेहूं के उत्पादन को प्रभावित कर सकता है। गेहूं की कीमतें पहले से ही बढ़ रही हैं और इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार अपना रिजर्व स्टॉक खुले बाजार में निकाल रही है।
दिन के समय के अधिक तापमान का गेहूं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। अन्य खड़ी फसलों पर भी ऐसा ही प्रभाव पड़ सकता है। मौसम विभाग ने किसानों को उच्च तापमान के प्रभाव से निपटने में मदद करने के लिए एडवाइजरी भी जारी की है। एडवाइजरी में कहा गया है कि “मिट्टी की नमी को संरक्षित करने और मिट्टी के तापमान को बनाए रखने के लिए सब्जियों की फसलों की दो पंक्तियों के बीच जगह में मल्च सामग्री जोड़ें।”
इससे पहले सरकार ने सोमवार को कहा था कि उसने गेहूं की फसल पर तापमान में वृद्धि के प्रभाव की निगरानी के लिए एक समिति का गठन किया गया है। ये कदम राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएफसी) के एक पूर्वानुमान के बीच आया जिसमे कहा गया कि मध्य प्रदेश को छोड़कर प्रमुख गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में अधिकतम तापमान फरवरी के पहले सप्ताह के दौरान पिछले सात वर्षों के औसत से अधिक था।
कृषि सचिव मनोज आहूजा ने कहा, “गेहूं की फसल पर तापमान में वृद्धि के कारण उत्पन्न स्थिति की निगरानी के लिए हमने एक समिति का गठन किया है।”
ओरिगो कमोडिटी ने नवंबर-दिसंबर-2022 में 110 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया था। लेकिन, अब उसे घटाकर सिर्फ 98 मिलियन टन कर दिया है। जनवरी-2023 में कम बारिश और फरवरी में बढ़ते तापमान की वजह से यह अनुमान घटाया गया है। कमोडिटी के रिसर्चर इंद्रजीत पॉल का कहना है कि इस साल तापमान तेजी से बढ़ रहा है। फरवरी में पिछले साल के मुकाबले तापमान ज्यादा है, जो गेहूं की खेती के लिए ठीक नहीं है। इसलिए हमने उत्पादन का अनुमान घटा दिया है।
बता दें कि 2022-23 वर्ष (जुलाई-जून) में गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 112.18 मिलियन टन होने का अनुमान है। कुछ राज्यों में लू की स्थिति के कारण पिछले वर्ष गेहूं का उत्पादन मामूली रूप से घटकर 107.74 मिलियन टन रह गया था। गेहूं एक प्रमुख रबी फसल है, जिसकी कटाई कुछ राज्यों में शुरू हो गई है।