10 फरवरी 2022 को विभूति भूषण सिंह की वाराणसी पुलिस लाइन ग्राउंड के बाहर हुई हत्या में 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी इंसाफ नहीं मिला है। कहने को तो वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है। उसके बाद भी इतने हाई प्रोफाइल मर्डर में अधिकारी क्यों चुप्पी साध कर बैठ गये, और आज भी इस मामलें की लीपापोती में लगे है।अगर समय रहते अधिकारी इस हत्या के पीछे की वजह राजस्व फर्जीवाड़े और स्थानीय विश्वविद्यालय महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ महादेव महाविद्यालय के द्वारा फ़र्ज़ी तरीके से कूटरचित दस्तावेजों जो महादेव के द्वारा बनाये गए और उसका इस्तेमाल करके ली गई। मान्यता के मुद्दे पर कारवाई कर देता तो, आज विभूति भूषण सिंह जिंदा होते। उनकी हत्या को टाला जा सकता था लेकिन भ्रष्टाचार में लिप्त महादेव महाविद्यालय और उसके प्रबंधक अजय सिंह के द्वारा मन बढ़ने के फलस्वरूप इस हत्या को अंजाम दिया गया। अपने कुकर्मो को बचाने के लिए इस स्तर पर उतर आया।
विभूति की हत्या के बाद होने वाली विवेचना को लेकर पुलिस की कार्य प्रणाली शुरू से ही ठीक नहीं थी, इसलिए शासन से सी बी सी आई डी से जांच की मांग की गई थी। 10 फरवरी 2023 को जांच सीबीसीआईडी को ट्रांसफर भी हुई लेकिन आरोपियों की तरफ से पहली सी बी सी आई डी टीम को मैनेज कर लिया गया। पीड़ितों की शिकायत पर तत्कालीन महानिर्देशक सी बी सी आई डी ने जांच प्रयागराज टीम को सौंपी लेकिन ढाक के तीन पात अब तक कोई प्रगति नहीं हुई। आरोपियों की माफियाओं के साथ सांठ-गांठ और बड़े स्तर पर मिलीभगत से जांच को प्रभावित करके आरोपियों को बचाया जा रहा है।
विभूति भूषण सिंह के परिवार ने कहा कि 10 फरवरी विभूति की दूसरी पुण्य तिथि हैं। 2 वर्ष होने वाले है। लेकिन आरोपी ये ना समझे की कोई भी राजनेता या अधिकारी लंबे समय तक उन्हें बचाएगा? कानूनी प्रक्रिया में देर जरूर है लेकिन न्याय के लिए लड़ाई लड़ी जायेगी।
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