बड़ी सफाई से इस घोटाले को UPA के नाम पर मढ़ने की कोशिश की गई है जिसमें कुछ अंबानी के स्वामित्व वाले अखबार और पत्रकारों के साथ वैज्ञानिक, और अधिकारी सेना, DRDO, और BEL से भी शामिल रहे है, उनको बाद में NDA-2 में बाकायदा बड़े पदों पर बिठाया गया है। इस फर्ज़ीवाड़े में शामिल हर व्यक्ति के बारे में पार्ट-पार्ट में खुलासा होगा।
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देश की सेना की सुरक्षा में घपले और सेंधमारी पर बड़ी खबर
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IACCS: भारतीय वायु सेना रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार, मुख्य आरोपी सरकारी अनुकंपा पर VC पार्ट-2
सबसे बड़ा सवाल इसमें ये है कि इस पूरे घोटाले को जिन ईमानदार अधिकारियों ने अपनी जान को खतरे में डाल कर उजागर करने के बदले में BEL ने उनको बर्खास्त कर दिया और जो भ्रष्टाचार में लिप्त थे, उन्हें पद और सम्मान से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के मंत्री और अधिकारी नवाज रहे है क्या इतना बड़ा मामला PMO की जानकारी में नहीं होगा की 4000 करोड़ रुपये के बंटवारे में कौन कौन लिप्त है। बर्खास्त अधिकारी PMO को लिख रहे है, इस साल फरवरी में भी PMO को लिखा गया है कारवाई के लिए पर संतोषजनक जबाव नहीं मिला है क्योंकि इसमें BEL के CMD का सीधा दखल है इस मामले के भ्रष्टाचार में।
संक्षेप में इस पूरे मामलें को जाने जिसपर इतना बड़ा सवाल है
(IACCS वायु रक्षा संचालन के लिए एक स्वचालित कमान और नियंत्रण प्रणाली है जो सभी जमीन-आधारित और हवाई सेंसर को एक समय में कंट्रोल करके काम करती है।)
मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री रहते भारतीय वायु सेना को अपने सीमा पर दुश्मन देशों से लड़ने के लिए इस पायलट प्रोजेक्ट पर काम करने की मंजूरी दी थी, इस बंकर में सेना के उच्च अधिकारी और कई बार प्रधानमंत्री और मंत्री भी बैठकर स्थिति का जायजा ले सकते है , इसलिए इनका सुरक्षित होना जरूरी है। पर डिज़ायन के नाम पर लीपापोती होती है जिसमें TN Singh के सिग्नेचर है अब सवाल ये है कि क्या TN Singh और RD Konsultants क्या चीन जैसे दुश्मनों के लिए तो काम नहीं कर रहे थे ?? सूत्रों के हवाले और NSA चीफ़ डोभाल के माध्यम से मीडिया को बताया गया है कि चीन के जासूस भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों ,कंपनी और महत्वपूर्ण जगहों पर देश विरोधी गतिविधियों के लिए काम कर रहे है।
UPA सरकार में शुरू किया गया IACCS पायलट प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद 2015 में NDA की सरकार आने के बाद BEL को डिफेंस मिनिस्ट्री और भारतीय वायु सेना की तरफ से 8000 करोड़ के इस महत्वाकांक्षी परियोजना को मंजूरी मिली और बजट सेंशन किया गया। बेल इस परियोजना के लिए निर्माण और डिज़ायन सबके लिए काम कर रही थी, प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए BEL ने 2013 में अखबार के माध्यम से टेंडर के लिए निविदा मंगवाई। 1575 करोड़ का बजट रखा गया 5 अंडरग्राउंड बंकर के निर्माण के लिए। इसके बाद खेल शुरू होता है जिसके मास्टरमाइंड डिफेंस मिनिस्ट्री में बैठे लोग कर रहे थे, जिनके बारे में आगे चलकर आप को जानकारी मिलेगी। शेल कंपनियों को काम बांटा गया फ़र्ज़ी दस्तावेज और साक्ष्य उपलब्ध करवाये गये। इस पूरे बंदरबांट में डिफेंस मिनिस्ट्री, DRDO, BEL और निजी कंपनियों के अधिकारियों की मिलीभगत थी, जिसके बारे में BEL मैनेजमेंट को CMD के स्तर पर जानकारी थी। ये लोग संघ और नागपुर के कुछ करीबी लोगों के काफी करीब थे अगली कड़ी में तक्षकपोस्ट उस साक्ष्य को भी सामने रखेगा। बरहाल पिछली कड़ी में आपको RD Konsultants के माध्यम से खेल खेला गया जिसके साथ तत्कालीन IIT Bombay के प्रोफेसर, वर्तमान में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी, TN सिंह की गहरी भागीदारी थी, क्योंकि इन बनने वाले सभी बंकर की डिज़ायन को एप्रूव्ड TN singh के द्वारा करवाया गया । ये भी एक बड़ा सवाल है कि कैसे इस डिज़ायन को मान लिया गया क्योंकि ये डिज़ायन ही गलत था टेंडर के हिसाब से 4 अलग तरह के डिज़ायन की जरूरत थी, पर जो डिज़ायन फाइनल की गई वो मानकों के हिसाब से सही नहीं थी। TN सिंह ने RD Konsultants के लिए ये पेपर पर अपने हस्ताक्षर किए थे।
RD Konsultants के बारे में आपको Takshaka Post Exposed- 2 में बताया गया है।
प्रोजेक्ट NDA सरकार में आकर परवान चढ़ता है साथ ही भ्रस्टाचार और मनमाने तरीके से पैसों की लूट और धांधली भी NDA के रक्षा मंत्री रहे सेना के लिए इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) का प्रॉजेक्ट अस्तित्व में आया।
जांच रिपोर्ट में ये पाया गया कि RD Konsultants को PPR तैयार करने के लिए काम पर रखा गया था। “… प्रस्ताव या निविदा के लिए कोई मानदंडों का पालन नहीं किया गया था, लेकिन इसे डीआरडीओ से लिखित पत्राचार के साथ रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की सिफारिश के आधार पर चुना गया था।
सीनियर डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) के अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है क्योंकि यह DRDO था जिसने RD Konsultant का नाम BEL को देने की सिफारिश की थी, हालाँकि यह अनौपचारिक रूप से किया गया था। तक्षकपोस्ट के पास DRDO के उस सूत्र की जानकारी भी है।
इस पूरे मामले को BEL वरिष्ठ अधिकारी पीके भोला को लगाया गया, जो इस मामले की PPR रिपोर्ट तैयार करने के लिए RD Konsultants को ठेका देने के पीछे थे, BEL से सेवानिवृत्ति के बाद उसी कंपनी में शामिल हो गए। PSU ने RD Konsultants को 2011 में PPR तैयार करने के लिए चयनित किया और फिर 2013 में डिज़ाइन सलाहकार के रूप में फाइनल कर लिया गया। जबकि टेंडर देने के लिए कई कंपनियों की तरफ से आवेदन के बाद चयन किया जाता है , लेकिन इस केस में दूसरी नामी और इस क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों को ये बताया गया कि वो ये काम नहीं कर सकती है। जिसमें निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन किया गया। भोला असल में एक पोस्टमैन की तरह काम कर रहे थे। CMD के लिए।
तक्षकपोस्ट को अपनी इन्वेस्टिगेशन में पता चला है कि हाल में ही पीके भोला की मौत हुई है, सवाल ये है कि पीके भोला जो इस पूरे मामले की मुख्य कड़ी थे कि मौत स्वाभाविक है या सबूत मिटाये जा रहे हैं ?
सूत्रों ने कहा कि सार्वजनिक डोमेन में घोटाला की खबर आने के बाद, एमएम पांडे की अध्यक्षता वाली जांच समिति को निलंबित कर दिया गया और पांडे सहित सभी तीन सदस्यों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। इस टीम को BEL के मुख्य सतर्कता अधिकारी IAS (सीवीओ) शिवा कुमार द्वारा स्थापित किया गया था। अप्रैल में कुमार का कार्यकाल समाप्त होने के बाद, हरियाणा कैडर के IAS अधिकारी श्रीकांत ने CVO के रूप में पदभार संभाला। अपने कार्यकाल के अंत से पहले कुमार ने अपनी जांच रिपोर्ट दी। जिसमें मनमोहन पांडेय की रिपोर्ट को सही पाया गया।
आगे यह भी आरोप है कि भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय, BEL के CMD MV Gowtama ने जांच दल के सदस्यों को निलंबित कर दिया। एक सूत्र ने कहा, “कुमार ने 29 मार्च, 2019 को अपने नोट में चेयरमैन BEL पर कारवाई और CVC India और CBI को देने की सिफारिश की थी।
रक्षा मंत्रालय और मुकुल रोहतगी, और आरएसएस का इससे क्या लेना देना है ये अगली कड़ी में………. जारी
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