नेशनल लिस्ट ऑफ़ एसेंशियल मेडिसिन्स (एनएलईएम) में शामिल दवाओं की कीमतों में 1 अप्रैल से बढ़ोतरी हुई है। इसका असर आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल 800 से अधिक दवाओं की कीमतों पर पड़ा है। अनुसूचित दवाओं के मूल्य परिवर्तन की अनुमति वर्ष में एक बार दी जाती है। अप्रैल 2024 से कंपनियों को 0.0055 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकने की अनुमति है।
राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) की अधिसूचना में कहा गया, “आर्थिक सलाहकार, उद्योग और आंतरिक व्यापार विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के कार्यालय द्वारा उपलब्ध कराए गए थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) डेटा के आधार पर, डब्ल्यूपीआई में वार्षिक परिवर्तन 2022 की इसी अवधि की तुलना में कैलेंडर वर्ष 2023 के दौरान (+)0.00551% के रूप में होता है।”
हर साल राष्ट्रीय फार्मा मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) पिछले कैलेंडर वर्ष के थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के आधार पर कीमतों की गणना की गई सीमा की घोषणा करता है। इससे अप्रैल से शुरू होने वाले एनएलईएम के तहत दवा कंपनियां अपने पोर्टफोलियो में प्रतिशत बढ़ोतरी को सीमित कर सकती हैं।
एशेंशियल दवाओं की लिस्ट में उन दवाओं को शामिल किया जाता है जो अधिकतर लोगों के काम में आती हैं। इन दवाओं की प्राइस सरकार के कंट्रोल में होता है। इन दवाओं की कंपनी एक साल में सिर्फ 10 प्रतिशत ही दाम बढ़ा सकती है। इस लिस्ट में एंटी कैंसर की दवाएं भी शामिल है।
आवश्यक दवाओं की लिस्ट में पेरासिटामोल जैसी दवाएं, एज़िथ्रोमाइसिन जैसी एंटीबायोटिक्स, एनीमिया-विरोधी दवाएं, विटामिन और खनिज शामिल हैं। मध्यम से गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली कुछ दवाएं और स्टेरॉयड भी लिस्ट में हैं। उद्योग कीमतों में पर्याप्त वृद्धि की मांग कर रहा था क्योंकि वह बढ़ती इनपुट लागत से जूझ रहा है।
1 अप्रैल से महंगी हुई दवाओं की सूची:
डिक्लोफेनाक, इबुप्रोफेन, मेफेनैमिक एसिड, पैरासिटमोल, मॉर्फिन जैसी दर्द निवारक दवाएं 1 अप्रैल से महंगी हुई।
एमिकासिन, बेडाक्विलिन, क्लैरिथ्रोमाइसिन जैसी टीबी रोधी दवाएं और क्लोबज़म, डायजेपाम, लोराजेपाम जैसी एंटीकॉन्वल्सेंट दवाएं भी महंगी हुई।
एक्टिवेटिड चारकोल, डी-पेनिसिलिन, नालैक्सोन, एमोक्सिसिलिन, एम्पिसिलिन, बेंज़िलपेनिसिलिन, सेफैड्रोक्सिल, सेफ़ाज़ोलिन, सेफ्ट्रिएक्सोन जैसे एंटीबायोटिक्स की तरह सांप के जहर का एंटीसेरम भी महंगा हुआ।
कोविड प्रबंधन दवाओं की कीमत भी अधिक हुईं।
अन्य दवाएं जो महंगी हुईं हैं उनमें शामिल हैं:
एनीमिया की दवाएं-
फोलिक एसिड
आयरन सुक्रोज
हाइड्रोक्सोकोबालामिन
पार्किंसंस और डिमेंशिया दवाएं-
फ़्लुनारिज़िन
प्रोप्रानोलोल
डोनेपेज़िल
एचआईवी प्रबंधन दवाएं-
अबाकाविर
लैमिवुडिन
ज़िडोवुडिन
एफाविरेंज़
नेविरापीन
राल्टेग्रेविर
डोलटेग्रेविर
रिटोनावीर
एंटीफंगल दवाएं-
क्लोट्रिमेज़ोल
फ्लुकोनाज़ोल
मुपिरोसिन
निस्टैटिन
टेरबिनाफाइन
हृदय संबंधी दवाएं-
डिलिटेज़ेम
मेटोप्रोलोल
डिगॉक्सिन
वेराप्रामिल
एम्लोडिपाइन
रामिप्रिल
टेल्मिसर्टन
मलेरिया की दवाएँ-
आर्टेसुनेट
आर्टेमेथर
क्लोरोक्वीन
क्लिंडामाइसिन
क्विनिन
प्राइमाक्विन
कैंसर के इलाज की दवाएं-
फ्लूरोरासिल
एक्टिनोमाइसिन डी
ऑल-ट्रांस रेटिनोइक एसिड
आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड
कैल्शियम फोलिनेट
एंटीसेप्टिक्स और डिसइंफेक्टेंट्स-
क्लोरोहेक्सिडिन
एथिल अल्कोहल
हाइड्रोजन पेरोक्साइड
पोविडीन आयोडीन
पोटेशियम परमैंगनेट
सामान्य एनेस्थेटिक्स और ऑक्सीजन दवाएं-
हैलोथेन
आइसोफ्लुरेन
केटामाइन
नाइट्रस ऑक्साइड