वाराणसी के बहुचर्चित विभूति भूषण सिंह हत्याकांड में कब होगा पीड़ितों के साथ न्याय?? इस मामलें की गंभीरता इस कदर है घटना में आरोपियों को सजा देने की जगह पीड़ितों को परेशान करने का आरोप परिवार ने लगाया है। आरोप ये भी है कि पुलिस की टीम सेट की गई। फिर सरकारी जांच एजेंसी CBCID की पहली टीम को मामला पीड़ितों के संज्ञान में आने के बाद प्रयागराज की दूसरी टीम को जांच सौंपी जाती है। लेकिन पीड़ितों को केस में क्या प्रगति है इसके बारे में नहीं पता लेकिन नामजद आरोपियों की तरफ से आतिशबाजी करके ये बताया जाता है कि क्लीनचिट मिल गई है। इसलिए अब ये प्रशासन पर बड़ा सवाल है आखिर इस मामलें में जांच की जगह क्यों हीलाहवाली हो रही किस बात के खुल जाने के डर से बड़े-बड़े अपराधियों के साथ गठजोड़ रखने वाले अजय सिंह को बचाने की कवायद हो रही है। खबर तो काशी के बहुचर्चित परिवार विद्यानिवास मिश्र के परिवार के भी इन मामलें में दिलचस्पी लेने के चर्चे है। दूसरी तरफ शिक्षा माफिया और अपराधियों के साथ कई राजनेताओं का नाम इस हत्याकांड में शामिल है।।
इस हत्याकांड की जांच को लेकर पुलिस की कार्य प्रणाली शुरू से ही ठीक नहीं थी, तत्कालीन वाराणसी पुलिस कमिश्नर सतीश गणेश के समय मे 10 फरवरी 2022 को विभूति भूषण सिंह की वाराणसी पुलिस लाइन ग्राउंड के बाहर हत्या हुई। इसे प्रथमदृष्टया पुलिस की तरफ से सड़क दुर्घटना दिखाने का प्रयास किया गया। परिवार वालों का कहना है विभूति को हत्या के पहले से आरोपियों की तरफ से देख लेने की धमकी मिल रही थी। उनकी गाड़ी का पीछा किया जाता था और कई मौके पर उनको आरोपियों की तरफ से समझौता करने का दबाव डाला गया। इसमें सरकार के एक मंत्री का बहुत दबाव था इसलिए परिवार की तरफ से इस मामलें में हत्या की आशंका जताई गई थी।
क्या था मामला ?
विभूति अपने परिवारजनों की तरफ से अजय सिंह कायम किये गये जमीनी विवाद में पैरवीकार थे। इस जमीनी विवाद की जड़ में राजस्व का बड़ा फर्ज़ीवाड़ा शामिल है। इसके बदौलत अजय सिंह बनाम महादेव महाविद्यालय का फ़र्ज़ी मान्यता लेने का सालों पुरााना मामला जड़ में है। इन्हीं कारणों के कारण विभूति की हत्या हुई और वर्ष 2018 से मार देने की धमकी मिल रही थी।
प्रशासन के नकारात्मक रवैये और जांच में हो रही लीपापोती के कारण मुकदमें में वादी विभूति के भाई कीर्ति भूषण सिंह ने वर्ष 2022 में सरकार से CBCID से जांच की मांग की थी। 10 फरवरी 2023 को जांच सीबीसीआईडी को ट्रांसफर भी हुई। लेकिन आरोपियों की तरफ से पहली CBCID वाराणसी टीम को मैनेज कर लिया गया। इसकी शिकायत पीड़ितों ने उच्च स्तर पर की साथ ही तत्कालीन महानिदेशक CBCID ने जांच प्रयागराज टीम को सौंपी। लेकिन ढाक के तीन पात अब तक कोई प्रगति नहीं हुई। कोई भी आरोपी गिरफ्तार नहीं हुआ। आरोपियों की माफियाओं के साथ सांठ-गांठ और बड़े स्तर पर मिलीभगत से जांच को प्रभावित करके आरोपियों को बचाया जा रहा है।
विभूति भूषण सिंह की बहन श्वेता रश्मि ने कहा कि इस प्रकरण में पुलिस की कार्यप्रणाली शुरू से ठीक नहीं थी। परिवार पर हत्या का मुकदमा न दर्ज कराने का दबाव बनाया गया। मुकदमा दर्ज हुआ तो जांच सही दिशा में आगे नहीं बढ़ी। इस मामले में प्रस्तुत किए गए साक्ष्य और तथ्यों की अनदेखी की गई। हत्या के मुकदमे को हादसे में बदल दिया गया। परेशान करने के लिए मुकदमे भी दर्ज किए गये। हत्या के पीछे राजस्व का फर्ज़ीवाड़ा और शिक्षा के क्षेत्र में किये गये घोटाले शामिल है। इसलिए प्रदेश सरकार से सीबीसीआईडी जांच की मांग की गई थी। वाराणसी से जांच प्रयागराज यूनिट में टांसफर हुई भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद लेकिन,इस प्रकरण की जांच सीबीसीआईडी प्रयागराज ने भी अभी तक रिपोर्ट नहीं सौपी है। ना कोई प्रगति दिख रही है। प्रार्थनी और सह वादी मुकदमा “विभूति भूषण सिंह” हत्या को लेकर बड़े-बड़े उच्च अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री तक से गुहार लगा चुकी है लेकिन सिर्फ मिला है आश्वासन !!
आखिर कब होगी आरोपियों पर कार्रवाई । बड़े-बड़े राजनेताओं के दबाव में आकर प्रशासन अपनी छवि धूमिल कर रहा है। आरोपी अपनी रसूख और बदमाशो के साथ संबंधों को लेकर पीड़ितों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे है। निष्पक्ष जांच क्यों नहीं किया जा रहा है?