वाराणसी राजनैतिक समीकरणों के हिसाब से एक महत्वपूर्ण जिला और संसदीय क्षेत्र। लेकिन यहां के लोगों का दुर्भाग्य है, कि उनको न्याय मांगने पर !! दिनदहाड़े मौत के घाट उतार दिया जाता है। बिना “भतार के मेहरारू” के कहावत को चरितार्थ करता ये जिला बनारस दरअसल उत्तर प्रदेश के गुंडों और आपराधिक पृष्ठभूमि से पाला बदल कर राजनैतिक सफेदी, और कलफ लगे कुर्तों के पीछे छुपे अपराधियों का गढ़ बन गया है।
तमाम लोगों को शायद मालूम नहीं। बनारस के जिला भाजपा में पैसा और लड़कियों की सप्लाई बड़े पैमाने पर विगत कुछ वर्ष में बढ़ी है!! इस डिमांड को पूरा करने के लिए बाकायदा एक लंबी चौड़ी दलालों की टीम काम करती है। भोली और कमसिन लड़किया बिना पैसे के इस धंधे में उतारने के लिए आसानी से उपलब्ध करवाने वालों की पो बारह है। कुछ तो महाविद्यालय की आड़ में अपना धंधा चला रहे है। ऐसे व्यक्ति ना सिर्फ अपना उल्लू साध रहे है बल्कि जिले के नेताओं और अधिकारियों की तेल मालिस भी करवा रहे है। इसके बाकायदा सबूत तक्षकपोस्ट की अगली कड़ियों में।
आज का विषय महादेव महाविद्यालय में योगी के बिगड़ैल और बाइक चोर से मंत्री बने लोगों की उस कड़ी को उजागर करने का है। जहाँ किस तरह से पीड़ितों को मारने और दबाने के साथ प्रशासन को गुमराह करने अपना उल्लू साधने की है। ये किसी भी हद तक जा कर जमीन कब्ज़ा करने वालों के सहयोग में काम करते है।
10 फरवरी साल 2022 को पुलिस लाइन चौराहे पर हरिश्चंद्र इन्टर कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ शशिकांत सिंह के बेटे पेशे से इंजीनियर और समाजसेवी विभूति भूषण सिंह की हत्या हो जाती है। इस हत्या के बाद FIR में नामजद (महादेव महाविद्यालय) प्रबंधक अजय सिंह, उसके घरवालों समेत एक कर्मचारी जो नामजद है, को पुलिस बिलकुल योगी के दामाद की तरह ना सिर्फ बचाती है। बल्कि घर तक पहुंचाने और घुमाने के लिए अपनी खाकी वर्दी की फूलप्रूफ सुरक्षा भी दे देती है।
क्योंकि योगी के मंत्री अनिल राजभर, दया शंकर मिश्रा उर्फ दयालु, राम प्रवेश दुबे, विनीत सिंह, नीलकंठ तिवारी और सबसे भ्रष्ट हंसराज विश्वकर्मा अजय सिंह से एक सिरे से गांठ जोड़कर बचाने में लग जाते है। और इसको आज तक बचा रहे हैं क्यों ?? क्योंकि इस हत्याकांड के तार कही ना कही सूत्रों के हवाले से बहुत सारे मामलें में जुड़ें है। सूत्र बताते हैं, इस हत्या में बहुत सारे राज थे। जिसके बंदरबांट में सब एक साथ है।
मसला सिर्फ कॉलेज बचाने का नहीं है बल्कि 250 सौ करोड़ की जमीन का भी है। जिसका सिर्फ सीधा फायदा अजय सिंह और महादेव महाविद्यालय को जाता हैं। क्योंकि अवैध तरीके से फ़र्ज़ी कूटरचित दस्तावेजों के सहारे, ये बिना जमीन का इमारत खड़ा किया गया है।
विभूति की हत्या ना सिर्फ राजस्व के फर्जीवाड़े को लेकर हुई। बल्कि महादेव महाविद्यालय के फ़र्ज़ी मान्यता और उसकी आड़ में चल रहे सभी गैरकानूनी कामों को बचाने के लिए हुई। अजय सिंह के भाई और विभूति की हत्या में नामजद विनोद सिंह की फ़र्ज़ी डिग्री पर नौकरी पाने का मामला हो, या जिलाधिकारी के यहां से फ़र्ज़ी रिपोर्ट लिखवा कर इन फर्जीवाड़े को बचाने का मामला सभी में तक्षकपोस्ट की टीम को अनिल राजभर और इन सभी व्यक्तियों का नाम मिला। साथ में जान से मार देने की धमकी भी। और फ़र्ज़ी FIR भी।
अनिल राजभर ने विनोद को ना सिर्फ जेल जाने से बचाया। बल्कि कायदे से सहलाया भी है। अब अनिल राजभर के खुद के भाई धर्मेंद्र राजभर की आपको वो धमकी याद होगी जिसमें वो “थाने को जला देने” की बात कहता सुना गया था। मेरे आदमी को छोड़ दो वरना “थाना जला दूंगा” इधर अजय सिंह और अनिल राजभर ने विभूति के साथ भी यही किया पीछे हट जाओ वरना जान से मार दूंगा। मतलब दोनों की आदतें भी मिलती है।
क्षेत्र के कम लोग इस बात को जानते है। अनिल राजभर और अजय सिंह लंगोटिया यार रहे है। एक साथ इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई उसी रामकरण कॉलेज से की। जिसने 10वीं और 12वीं के बोर्ड परीक्षा के पेपर लीक को लेकर मीडिया की सुर्खियां बटोरी। उसी बलिया के पत्रकारों ने जिलाधिकारी मुर्दाबाद के नारे लगाये थे। ये कॉलेज अजय के नैनिहाल का है। जो शिक्षा माफियाओं की सूची में गिना जाता है। इसी कॉलेज में अजय का चाचा वीरेंद्र कुमार सिंह उर्फ “सुमारु सिंह” फ़र्ज़ी डिग्री के सहारे नौकरी करके आजकल सरकारी पेंशन का लाभ उठा रहा है। उसका बेटा चंदौली में फ़र्ज़ी डिग्री के सहारे नौकरी कर रहा है, और विभूति की हत्या से चंद दिनों पहले ये कहता पाया गया कि गाड़ी की टक्कर से भी मौत हो जाती है। और ठीक उसी तरह विभूति की मौत होती है।
अजय और अनिल शौख जगजाहिर है। अजय सिंह ने 2002 में फ़र्ज़ी कॉलेज के सहारे अपना भविष्य तरासने की कोशिश शुरू, की तो राजभर ने नेतागिरी। कोर्ट कचहरी और हर स्तर पर हंसराज और राजभर समेत ये अगड़े नेता क्यों इस जांच को नहीं होने देना चाहते है। ऐसा क्या है जिसके खुल जाने का डर है।
भाजपा को जबाव जरूर देना चाहिए, कि वो क्यों हंसराज की मनमानी और उसके नेताओं के द्वारा एजेंसी और अधिकारियों पर दबाव डाल कर अजय सिंह और महादेव महाविद्यालय को बचाने की नौटंकी की सार का रचयिता क्यों हैं। किसी आम आदमी के खिलाफ 302, 506, 120 B का मुकदमा होता तो पुलिस उसकी ऐसी- तैसी कर देती, लेकिन यहां तो बचाने के लिए थानों से रिकॉर्ड तक गायब हो जा रहे हैं। रिटायर्ड पूर्व सह कमिश्नर संतोष सिंह ने तो शासन से मांगी गई CBCID जांच की आख्या को महीनों दबा कर रहा। उनके बारे में तो ये भी कहा जाता है। वो मुन्ना बजरंगी का पैसा चलाने का जिम्मा उसी के पास था। आखिर अदने से इस कॉलेज प्रबंधक महादेव के लिए तो किसी को इतना पेन लेने की जरूरत नही है। फिर ऐसा कौन था !! किसके दबाव में ?
मोदी की कथनी और करनी में फर्क का अंतर, यहाँ देखिए कोई भी किसी की हत्या करवा सकता है। और आसानी से बच सकता है। बस सपाई से भाजपाई नेता बने इन बिचौलियों का साथ होना चाहिए। बनारस में तैनात सुनील भाई ओजा तो समय से पूर्व निकल लिए वरना कई राज तो मिनी PMO में भी दबे है।
आखिर एक महाविद्यालय के निजी कार्यक्रम में भाजपा नेताओं का शक्ति प्रदर्शन करने की जरूरत क्या है? जांच क्यों बाधित करने की कोशिश है। विभूति को डराने के अलावा हर तरीके से इस जमीन के राजस्व के फर्जीवाड़े को दबाने की कोशिश हुई। बनारस में सालों से कुंडी मार कर बैठे पूर्व जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा को इन बाबत पीड़ितों ने बताया फलस्वरूप हत्या हो गई। जिसमें इन सभी मंत्रियों की जांच भी बहुत जरूरी है।
आखिर कोई भी शरीफ नेता कभी भी किसी दागदार के साथ नहीं खड़ा होता। क्योंकि उसका राजनैतिक भविष्य दांव पर लग जायेगा। इससे पूर्व में भी उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री ने खुलकर बताया कि हिमाचली टोपी, पहन कर पार्टी और अपने पद का दुरुपयोग करके हंसराज विश्वकर्मा ने अजय सिंह को बचाया है। आला कमान को धोखे में रखकर पिछली बार तो ये योगी की फ्लीट में सभी आरोपियों को ले जाने की तैयारी में था। ताकि आरोपी अपनी फोटो खासतौर पर खिंचवा कर अधिकारियों पर दबाव डाल के बच सके।
भाजपा के नाम पर बाजार में ये दलाल क्यों सक्रिय है। जिलाधिकारी के नाम पर वो कौन सा उप जिलाधिकारी है। जो इनका सहयोगी है। क्योंकि आजकल राजस्व के रेकॉर्ड दुरुस्त हो रहे है। इसलिए ये मजमा लगा कर मंत्रियों की आड़ में बदमाशों के साथ गठजोड़ की जुगत है। ऐसे ही पिछले कार्यक्रम के बाद विभूति की हत्या हुई। क्या इस बार फिर से पीड़ितों को निपटाने की तैयारी में है, सहयोगी पार्टी भाजपा और उसके अपराधी मंत्री। 2024 के चुनाव में बनारस के सांसद मोदी से बहुत सारी बातों का जबाव जनता को चाहिए।
Absolutely true story!