लोकसभा चुनाव के बीच इंडियन ओवरसीज कांग्रेस (आईओसी) के चेयरपर्सन सैम पित्रोदा ने भारत के लोगों की विविधता पर अपनी टिप्पणी से एक बार फिर विवाद खड़ा कर दिया है। ऑनलाइन प्रसारित हो रहे एक वीडियो में पित्रोदा को यह कहते हुए सुना जा सकता है, “हम भारत जैसे विविधता वाले देश को एक साथ रख सकते हैं – जहां पूर्व में लोग चीनी जैसे दिखते हैं, पश्चिम में लोग अरब जैसे दिखते हैं, उत्तर में लोग शायद गोरे दिखते हैं, और दक्षिण में लोग अफ्रीकियों की तरह दिखते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। हम सभी भाई-बहन हैं।” ये बयान द स्टेट्समैन के साथ एक साक्षात्कार के दौरान दिए गए थे।
https://x.com/KanganaTeam/status/1788085955238166614
पित्रोदा ने साक्षात्कार के शुरुआत में वैश्विक मंच पर भारत के अनुकरणीय लोकतंत्र पर प्रकाश डाला। उन्होनें कहा, भारतीय बीते 75 वर्षों से एक बहुत ही सामंजस्यपूर्ण वातावरण में रहे हैं।”
साक्षात्कार में इस धारणा पर विस्तार से बताते हुए, उन्होंने विविध भाषाओं, रीति-रिवाजों और व्यंजनों के प्रति देश की श्रद्धा पर जोर देते हुए कहा, “यही वह भारत है जिसमें मैं विश्वास करता हूं, जहां हर किसी के पास एक जगह है और हर कोई थोड़ा सा समझौता करता है।”
उन्होनें कहा, “भारत में अलग-अलग महजब के लोग रहते हैं, उनकी विभिन्न किस्म की पोषाकें हैं, उनका रहन-सहन अलग अलग है, यही भारत है। यही भारत की दुनिया में पहचान है। यहां हर किसी के लिए रहने की जगह है। हर कोई समझौता करते चलता है। मैं तमिलनाडु जाता हूं तो वहां मुझे लोकल भाषा का सामना करना पड़ता है लेकिन हमें कोई परेशानी नहीं होती। हम होटल, बाजार में आसानी से अपना काम करते हैं।”
पित्रोदा ने ‘राम नवमी’, ‘राम मंदिर’ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगातार मंदिर दौरे जैसे उदाहरणों का हवाला देते हुए तर्क दिया कि भारत के मूलभूत सिद्धांत – जो लोकतंत्र, स्वतंत्रता, बंधुत्व और स्वतंत्रता में निहित हैं – वर्तमान में चुनौती के अधीन हैं। वह भारत के नेता के रूप में नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रतिनिधि के रूप में बोलते हैं।
कांग्रेस ने पित्रोदा के बयान से फिर खुद को किया अलग-
कांग्रेस ने एक बार फिर सैम पित्रोदा की टिप्पणी से दूरी बना ली है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा, “भारत की विविधता को दर्शाने के लिए की गई तुलना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य हैं। कांग्रेस इनसे खुद को पूरी तरह से अलग करती है।”
बीजेपी ने सैम पित्रोदा की ‘नस्लवादी’ टिप्पणी की निंदा की-
सैम पित्रोदा की टिप्पणी पर उनकी आलोचना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “शहजादे आपको जवाब देना पड़ेगा। मेरा देश त्वचा के रंग के आधार पर मेरे देशवासियों का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा और मोदी भी इसे कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
भाजपा नेता हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि वह उत्तर पूर्व से हैं, लेकिन “एक भारतीय की तरह दिखते हैं”। सरमा ने कहा, “हम एक विविध देश हैं – हम अलग दिख सकते हैं लेकिन हम सब एक हैं। हमारे देश के बारे में थोड़ा तो समझ लो!”
बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने सैम पित्रोदा को ‘असफल’ बताया। उन्होनें कहा, “यह बार बार साफ हो रहा है कि सैम पित्रोदा भारत के लिए क्या सोचते हैं? यह स्पष्ट है कि वह असफल हैं। वह राहुल गांधी के सलाहकार हैं। मैं अब समझ सकता हूं कि राहुल गांधी बकवास क्यों करते हैं। यह हार की हताशा है। वे न तो भारत को समझते हैं और न ही इसकी विरासत को।”
अभिनेता से नेता बनीं कंगना रनौत ने भी पित्रोदा की टिप्पणियों की निंदा की और कहा कि यह “नस्लवादी और विभाजनकारी” है।
कंगना ने पोस्ट कर कहा, सैम पित्रोदा राहुल गांधी के मेंटर है। भारत के लिए उनकी विभाजनकारी और नस्लवादी बयान को सुनें। उनकी पूरी विचारधारा बांटो और राज करो पर आधारित है। भारतीयों को चीन और अफ्रीकी कहना घृणित है। कांग्रेस को शर्म करना चाहिए।”
बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, पित्रोदा कह रहे हैं कि राम मंदिर, रामनवमी और भारत के पीएम के राम मंदिर दौरे से भारत की विविधता और लोकतंत्र को चुनौती मिल रही है। मैं दोहराना चाहता हूं कि ऐसे विदेशी सलाहकारों के विचारों से प्रभावित लोग उस विचार को नहीं समझ सकते हैं, जब पीएम मोदी कहते हैं कि भारत लोकतंत्र की जननी है। वे इसमें क्यों हैं कि हमें सब कुछ विदेशियों द्वारा दिया गया है। उनका बयान देश की मौलिक पहचान के प्रति उनकी अज्ञानता और अवमानना को दर्शाता है। जिस संस्कृति के बारे में वह दावा कर रहे हैं कि उसने भारत और लोकतंत्र के विचार को कमजोर कर दिया है, वह संस्कृति लोकतंत्र और विविधता का मूल आधार है। बाबरी ढांचे की रक्षा के लिए आप कोर्ट में खड़े थे और राम मंदिर को बदनाम करने के लिए आप विदेश से भी खड़े हैं।”
सैम पित्रोदा का विरासत कर विवाद-
आईओसी चेयरपर्सन ने पहले ‘विरासत कर’ पर अपनी टिप्पणियों से विवाद खड़ा कर दिया था, जिससे कांग्रेस को उनके विचारों से दूरी बनानी पड़ी थी।
पित्रोदा ने भारत में अमेरिका जैसे विरासत कर की वकालत की थी। कुछ अमेरिकी राज्यों में विरासत कर की अवधारणा पर विस्तार से बताते हुए पित्रोदा ने कहा था, “अगर किसी के पास 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति है और जब वह मर जाता है तो वह केवल 45% अपने बच्चों को हस्तांतरित कर सकता है, 55% सरकार द्वारा ले लिया जाता है। यह एक दिलचस्प कानून है। यह कहता है कि आपने अपनी पीढ़ी में संपत्ति बनाई और अब आप जा रहे हैं, आपको अपनी संपत्ति जनता के लिए छोड़नी चाहिए, पूरी नहीं, आधी, जो मुझे अच्छी लगती है। ”
उन्होंने आगे कहा था, “भारत में, आपके पास ऐसा नहीं है। अगर किसी की संपत्ति 10 अरब है और वह मर जाता है, तो उसके बच्चों को 10 अरब मिलते हैं और जनता को कुछ नहीं मिलता… इसलिए ये ऐसे मुद्दे हैं जिन पर लोगों को बहस और चर्चा करनी होगी।”