प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 7वां समन जारी किया है। आम आदमी पार्टी (आप) सुप्रीमो को सोमवार 26 फरवरी को केंद्रीय एजेंसी के सामने पेश होने के लिए कहा गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री पिछले छह समन को “अवैध” बताते हुए एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए। 19 फरवरी को छठे समन को नजरअंदाज करते हुए केजरीवाल ने कहा कि मामला अब अदालत के पास है और जांच एजेंसी को इंतजार करना चाहिए।
दिल्ली के मंत्री गोपाल राय ने कहा, ”कानूनी सलाह के बाद हम ईडी के समन का जवाब देंगे।”
दिल्ली की मंत्री आतिशी ने कहा, “जब से सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव पर अपना आदेश दिया है, हमें ईडी और सीबीआई द्वारा होने वाली गिरफ्तारियों और छापों के बारे में जानकारी मिल रही है। बीजेपी चंडीगढ़ में AAP की जीत का बदला लेना चाहती है। ईडी द्वारा आज भेजा गया समन (अरविंद केजरीवाल के खिलाफ) चंडीगढ़ में जो हुआ उसका बदला लेने का एक प्रयास है।”
इससे पहले पार्टी ने कहा था, “प्रवर्तन निदेशालय ने खुद अदालत का दरवाजा खटखटाया। बार-बार समन भेजने के बजाय ईडी को अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए।”
केंद्रीय जांच एजेंसी ने बार-बार समन टालने का हवाला देते हुए केजरीवाल के खिलाफ दिल्ली की अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
ईडी का आरोप है कि अरविंद केजरीवाल जानबूझकर समन का पालन नहीं कर रहे हैं और लगातार बचकाने कारण बता रहे हैं। ईडी ने कहा कि ‘अगर उच्च पद पर बैठे लोग भी इस तरह से कानून का उल्लंघन करेंगे तो इससे आम आदमी के बीच गलत संदेश जाएगा।’
अदालत ने केजरीवाल को 17 फरवरी को पेश होने के लिए बुलाया था। हालांकि, विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव प्रक्रिया का हवाला देते हुए वह उपस्थित नहीं हुए। अदालत ने उन्हें 16 मार्च को सशरीर पेश होने की इजाजत दे दी।
जांच एजेंसी ने इससे पहले पांच समन 14 फरवरी, 2 फरवरी, 18 जनवरी, 3 जनवरी, 22 दिसंबर 2023 और 2 नवंबर 2023 को जारी किए थे।
प्रवर्तन निदेशालय दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 मामले में इसे अंतिम रूप देने से पहले हुई बैठकों और रिश्वतखोरी के आरोपों जैसे मुद्दों पर केजरीवाल का बयान दर्ज करना चाहता है। एजेंसी का दावा है कि AAP ने 2022 में गोवा में अपने विधानसभा चुनाव अभियान के हिस्से के रूप में पॉलिसी के माध्यम से उत्पन्न 45 करोड़ रुपये की रिश्वत का इस्तेमाल किया।
केजरीवाल यह कहते रहे हैं कि जांच एजेंसी की कार्रवाई “अवैध” है। उन्होंने कहा कि वह सहयोग करने के लिए तैयार हैं, लेकिन उनका आरोप है कि एजेंसी का इरादा उन्हें गिरफ्तार करना और चुनाव प्रचार करने से रोकना है। आप का यह भी आरोप है कि केंद्रीय एजेंसी अपनी एजेंसियों के जरिए पार्टी पर हमला करने की कोशिश कर रही है।