कांग्रेस समेत 14 विपक्षी दलों ने बिहार में जहरीली शराब पीने से हुई मौतों के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की सक्रियता को लेकर मंगलवार को नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना की है और बिहार की नीतीश सरकार का समर्थन करते हुए कहा है कि राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए केंद्र सरकार अब जांच एजेंसियों के बाद अब NHRC का भी दुरूपयोग कर रही है।
विपक्षी दलों ने एक संयुक्त बयान जारी कर सरकार से पूछा है कि गुजरात, मध्य प्रदेश और बीजेपी शासित राज्यों में जहरीली शराब से हुई मौतों के मामलों में NHRC ने जांच की पहल क्यों नहीं की?
मालूम हो कि NHRC ने बिहार में जहरीली शराब से हुई लोगों की मौत के मामले की मौके पर जाकर जांच करने के लिए एक जांच टीम गठित की है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जहरीली शराब के सेवन से अब तक 60 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि, अधिकारी मृतक संख्या 38 बता रहे हैं।
विपक्षी दलों ने अपने संयुक्त बयान में कहा- “बिहार में जहरीली शराब पीने से 38 लोगों की मौत हुई है, जो बहुत दुखद और हैरान करने वाली घटना है। बिहार सरकार ने जहरीली शराब बनाने और बेचने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं और जहरीली शराब के प्रति लोगों को सचेत करने के लिए बड़े पैमाने पर जागरुकता अभियान भी आरंभ किया है।”
विपक्षी पार्टियों ने अपने संयुक्त बयान में कहा- कुछ जहरीली शराब त्रासदी जिन्हें पिछले दो वर्षों में आसानी से याद किया जा सकता है, ये हैं-
– गुजरात, जुलाई 2022 – गुजरात में अहमदाबाद, सुरेंद्रनगर और बोटाड के गांवों में जहरीली शराब पीने से 45 से अधिक लोगों की मौत हो गई और कई अन्य अस्पताल में भर्ती हुए।
– उत्तर प्रदेश, मई 2021 – उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जहरीली शराब के सेवन से करीब 36 लोगों की मौत हो गई।
– हरियाणा, नवंबर 2020 – मिलावटी शराब पीने से पानीपत और सोनीपत जिलों में कम से कम 40 लोगों की मौत हो गई और कुछ बीमार पड़ गए।
– मध्य प्रदेश, जनवरी 2021 – मुरैना जहरीली शराब कांड में 24 लोगों की मौत हो गई थी.
– मध्य प्रदेश, अक्टूबर 2020 – उज्जैन जहरीली शराब कांड में 14 लोगों की मौत हो गई थी।
बयान में आगे कहा गया है कि वर्ष 2021 में जहरीली शराब के सेवन से 782 लोगों की जान गई, जिनमें अकेले मध्य प्रदेश के 108 और कर्नाटक के 104 लोग शामिल हैं। पिछले छह साल में अकेले मध्यप्रदेश में जहरीली शराब से 1322 लोगों की मौत हुई है। लोकसभा में रखे गए आंकड़ों के अनुसार, 2016 से 2021 के बीच देश में 6954 लोगों की मौत हुई है। फिर भी इनमें से किसी भी मामले में NHRC ने उतनी दिलचस्पी नहीं दिखाई है जितनी उसने बिहार के मामले में दिखाई है।
ये संयुक्त बयान कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, वामपंथी दलों, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कुछ अन्य दलों द्वारा जारी किया गया है। इसमें विपक्षी दलों द्वारा ये आरोप लगाया गया है कि केंद्र सरकार ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि वह किसी भी त्रासदी का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए करने से पीछे नहीं रहने वाली है।
इन विपक्षी पार्टियों के मुताबिक़, 2016 में बिहार में शराबबंदी होने से लेकर 2021 तक राज्य में जहरीली शराब पीने से करीब 200 मौतें हुईं, लेकिन उस वक्त NHRC ने कुछ नहीं किया, क्योंकि उस वक्त बीजेपी प्रदेश की सत्ता में भागीदार थी। इन पार्टियों ने आरोप लगाया कि विरोधी दलों को निशाना बनाने के लिए सरकार ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग के बाद अब NHRC को भी एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है।