कांग्रेस सांसद और पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने चीनी अतिक्रमण को लेकर केंद्र सरकार से अपना रुख स्पष्ट करने को कहा. रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चीन को लेकर सवाल पूछे। जयराम रमेश ने कहा, “विदेश मंत्री (EAM) ने जो कहा, हम उससे सहमत हैं कि हमारे जवानों का ‘आदर, सम्मान और सराहना’ होना चाहिए क्योंकि वे हमारे विरोधियों के खिलाफ मजबूती से खड़े हैं। लेकिन उस समय ये सम्मान कहां चला गया जब 19 जून, 2020 को सीमा की रक्षा करते हुए 20 भारतीय जवानों के बलिदान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कोई भी भारत की सीमा में प्रवेश नहीं किया है।
Here is my response to what the External Affairs Minister(EAM) said yesterday on China. pic.twitter.com/B6uv1Efg2u
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) December 20, 2022
रमेश ने आगे कहा कि, “विदेश मंत्री ने दावा किया है कि चीन के साथ संबंध ‘सामान्य नहीं’ हैं। फिर हमने कभी चीनी राजदूत को डिमार्श क्यों नहीं जारी किया?उनको बुलाकर क्यों नहीं आपत्ति दर्ज कराई गई?, जैसा कि हम पाकिस्तान के उच्चायुक्त के साथ करते हैं? चीन पर हमारी व्यापार निर्भरता एक रिकॉर्ड स्तर पर क्यों है? 2021-22 में 95 अरब डॉलर का चीन से आयात हुआ जो कि एक रिकॉर्ड है और चीन के साथ 74 अरब डॉलर का व्यापार घाटा है। हमारे सैनिकों ने सितंबर 2022 में रूस के वोस्तोक-22 अभ्यास में चीनी सैनिकों के साथ सैन्य अभ्यास क्यों किया?
विदेश मंत्री का हवाला देते हुए रमेश ने पूछा, ‘विदेश मंत्री का कहना है कि हम चीन को LAC की स्थिति में एकतरफा बदलाव नहीं करने देंगे। क्या चीनी सैनिकों ने पिछले दो साल से डेपसांग में 18 किलोमीटर अंदर यथास्थिति नहीं बदली है? क्या यह सही नहीं है कि पूर्वी लद्दाख में 1,000 वर्ग किमी क्षेत्र तक पहुंचने में हमारे सैनिक असमर्थ हैं, जहां वे पहले गश्त करते थे? क्या यह सही नहीं है कि हम बफर जोन के लिए सहमत हुए हैं जो हमारे गश्ती दल को उन क्षेत्रों में जाने से रोकते हैं जहां वे पहले जाते थे? विदेश मंत्री कब स्पष्ट रूप से घोषणा करेंगे कि 2020 से पहले की यथास्थिति की बहाली हमारा उद्देश्य है?
जयराम रमेश ने कहा कि, विदेश मंत्री कहते हैं कि हम चीन पर दबाव डाल रहे हैं. फिर हमारा पूरी तरह से प्रतिक्रियाशील रुख क्यों है? हम 2020 से पहले की यथास्थिति की पूर्ण बहाली सुनिश्चित किए बिना कैलाश रेंज में अपने पोजिशन से क्यों पीछे हट गए? हम अधिक आक्रामक क्यों नहीं हुए और मजबूर करने के लिए जवाबी घुसपैठ क्यों नहीं की जैसा कि हमने 1986 और 2013 में किया था? हम अपना दावा जताने के बजाय ‘धारणा में अंतर’ का हवाला देकर चीनी आक्रमण को वैध बनाना कब बंद करेंगे?”