मुंबई/ बॉलीवुड में कला फिल्मों की बात हो या देश प्रेम से सरोकार वाली फिल्मों की ऐसे में दिलीप कुमार की बात ना हो ये कैसे हो सकता है। लंबे समय तक दिलीप कुमार ने दर्शकों के दिल पर राज किया। आज उनके प्रशंसकों के लिए काला दिन साबित हुआ जब उनके दुनिया से रुख़सत होने की खबर आई। पहले भी कई बार ऐसी अफवाहें आई थीं, लोगों ने सोचा काश आज भी ये अफवाह ही साबित हो पर ये दुआ आज काम नहीं आई। बॉलीवुड के बेहतरिन और अपने दौर के उम्दा अभिनेता दिलीप कुमार ने 98 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया।
दिलीप कुमार लंबे समय से बीमार चल रहे थे। हाल ही में दो बार उन्हें मुंबई के हिंदूजा हॉस्पिटल में एडमिट भी करवाया गया था, जहां उन्होंने आखिरी बार सांस ली। बुधवार सुबह करीब 7:30 बजे दिलीप कुमार का निधन हुआ। सांस लेने में दिक्कत होने पर उन्हें यहां 29 जून को भर्ती किया गया था।
दिलीप साहब के आखिरी वक्त में भी उनकी पत्नी सायरा बानो परछाई की तरह उनके साथ रहीं और नम आंखों के साथ उन्होंने दिलीप को विदा किया। बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार को मुंबई के जुहू कब्रिस्तान में सुपुर्द ए-खाक कर दिया गया है। मुंबई पुलिस के जवानों ने फायर और तिरंगे में लपेट कर अपनी सलामी दी। पद्म भूषण सम्मान से दिलीप कुमार को राजकीय सम्मान के तहत अंतिम विदाई दी गई।
दिलीप कुमार की मौत पर देश और विदेशों में मातम की लहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत राहुल गांधी और बॉलीवुड के तमाम लोगों ने अपनी संवेदना सायरा बानो तक भेजी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे , शरद पवार भी सायरा बानो से मिलने घर पहुंचे। इमरान खान ने पाकिस्तान से उनके लिए शोक संवेदना भेजी।
My heartfelt condolences to the family, friends & fans of Dilip Kumar ji.
His extraordinary contribution to Indian cinema will be remembered for generations to come. pic.twitter.com/H8NDxLU630
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 7, 2021
विद्या बालन अपने पति सिद्धार्थ रॉय कपूर के साथ दिलीप कुमार के घर पहुंचीं। कुछ देर बाद एक्टर अनुपम खेर भी यहां अंतिम दर्शन के लिए आए। सलमान खान ने दिलीप कुमार के निधन पर दुख जताया। सलमान ने दिलीप कुमार के साथ की अपनी एक पुरानी फोटो भी सोशल मीडिया पर साझा की।
पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था जन्म –
दिलीप साहब का जन्म 11 दिसंबर 1922 में पेशावर में हुआ था, तब पेशावर भारत का हिस्सा था (अब पाकिस्तान में) हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई नासिक में की थी। करीब 22 साल की उम्र में ही दिलीप कुमार को पहली फिल्म मिल गई थी। 1944 में उन्होंने फिल्म ज्वार भाटा में काम किया था, लेकिन यह कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाई थी। अपने पिता की मार से बचने के लिए उन्होंने अपना नाम यूनुस खान से बदल कर दिलीप कुमार रख लिया था।
दिलीप कुमार की आखिरी इच्छा अपने पुश्तैनी हवेली को म्यूजियम बनते देखना थी। लेकिन ये मामला पाकिस्तान सरकार और मौजूदा मालिकों के बीच उलझा रह गया।
बॉलीवुड में देविका रानी ने दिलीप कुमार को दिया था पहला ब्रेक; 22 साल की उम्र में पहली फिल्म के लिए 1250 रुपए मिले थे।
सही मायनों में दिलीप कुमार सदी के महानायक है
दिलीप कुमार ने हिंदी सिनेमा की दशा-दिशा और चेहरा ही बदल डाला। वो पहले अभिनेता थे जिन्होंने साबित किया कि चेहरे की भंगिमाओं, आंखों और ख़ामोशी से भी अभिनय किया जा सकता है। अपनी छह दशक लम्बी अभिनय-यात्रा में उन्होंने अभिनय की जिन ऊंचाईयों और गहराईयों को छुआ वह असाधारण था। बड़ी बात यह थी उन्होंने किसी स्कूल में अभिनय नहीं सीखा। प्रयोग और अनुभव से खुद को फिल्म दर फिल्म तराशते रहे।
दिलीप कुमार को सत्यजीत राय ने ‘द अल्टीमेट मेथड एक्टर’ की संज्ञा दी थी। हिंदी सिनेमा के तीन शुरूआती महानायकों में जहां राज कपूर को प्रेम के भोलेपन के लिए और देव आनंद को प्रेम की शरारतों के लिए जाना जाता है, दिलीप कुमार के हिस्से में प्रेम की व्यथा आई थी। एक अर्थ में दिलीप कुमार ऐसे पहले अभिनेता थे जिन्होंने प्रेम की असफलता और पीड़ा को स्वीकार्यता दी। ‘देवदास’ प्रेम की उस पीड़ा का शिखर था। हांलाकि उन्हें ‘ट्रैजेडी किंग’ का नाम दिया गया, लेकिन यह भी सच है कि अभिनय की विविधता और रेंज से उन्होंने लोगों को बार-बार चकित किया है। मुगले आज़म तो इतिहास के पन्नो में पहले ही दर्ज हो चुकी हैं।
वह ‘मेला,, ‘दीदार’, ‘उड़न खटोला’, ‘आदमी’, ‘दिल दिया दर्द लिया’ का असफल आशिक हो, ‘देवदास’ का आत्महंता प्रेमी हो, ‘शहीद’ का क्रांतिकारी हो, ‘मुगले आज़म’ का विद्रोही शहज़ादा हो, ‘गंगा जमना’ का बागी डकैत हो, ‘कोहिनूर’, ‘आज़ाद’, ‘राम और श्याम’ का विदूषक हो, ‘शक्ति’ का सिद्धांतवादी पुलिस अफसर हो या ‘गोपी’ का मासूम ग्रामीण युवा, उनका हर किरदार उनके व्यक्तित्व पर फबता है।
अभिनय के आखिरी दौर में उन्होंने ‘मशाल’, ‘कर्मा’, ‘विधाता’, ‘क्रान्ति’, ‘दुनिया’ और ‘सौदागर’ जैसी फिल्मों में बेहतरीन चरित्र भूमिकाएं निभाईं। 1998 में आखिरी बार उन्हें फिल्म ‘क़िला’ में देखा गया जिसके बाद उन्होंने फिल्मों को अलविदा कह दिया।
उनके बारे में एक बात और कही जाती है कि उन्होंने अपने करियर में कई फिल्मों को ठुकरा दिया था, क्योंकि उनका मानना था कि फिल्में कम हों, लेकिन बेहतर हों। कई लोग बताते हैं कि उन्हें इस बात का मलाल रहा था कि वे ‘प्यासा’ और ‘दीवार’ में काम नहीं कर पाए।
पद्म भूषण और पद्म विभूषण अवॉर्ड भी मिले
1991: पद्म भूषण
1994: दादासाहेब फाल्के
2015: पद्म विभूषण
10 बार फिल्मफेयर अवॉर्ड जीते
1954: बेस्ट एक्टर (दाग)
1956: बेस्ट एक्टर (अंदाज)
1957: बेस्ट एक्टर (देवदास)
1958: बेस्ट एक्टर (नया दौर)
1961: बेस्ट एक्टर (कोहिनूर)
1965: बेस्ट एक्टर (लीडर)
1968: बेस्ट एक्टर (राम और श्याम)
1983: बेस्ट एक्टर (शक्ति)
1994: लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड
2005: स्पेशल अवार्ड
नेशनल अवॉर्ड
1961: सैकंड बेस्ट फीचर फिल्म (गंगा जमुना)
1994: (दादासाहेब फाल्के सम्मान)
2006: (स्पेशल लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड)
अनूठा था दिलीप और सायरा बानो का प्यार
किसी इंटरव्यू में दिलीप कुमार ने बताया था, जब सायरा बानो पैदा हुई थी, तब वो उन्हें देखने अस्पताल गये थे, गोद में लेकर नन्ही सायरा को उन्होंने प्यार किया था, तब उन्हें नहीं पता था ये आगे चलकर उनकी जीवनसाथी बनने वाली हैं। दोनों की उम्र में करीब 22 साल का फासला हैं।
सायरा बानो का जन्म 1944 में हुआ था। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद वो लंदन जा बसीं। सायरा की शिक्षा-दीक्षा लंदन में हुई है। छुट्टियां मनाने सायरा जब भारत आतीं, तो दिलीप कुमार की फिल्मों की शूटिंग देखने घंटों स्टूडियो में बैठी रहती थीं। सायरा बानो ने एक इंटरव्यू में ये माना है कि जब वो 12 साल की थीं तभी से वह दुआ करती थीं कि काश उनकी शादी दिलीप कुमार के साथ हो जाए।
दिलीप कुमार और मधुबाला के प्रेम के चर्चे पूरे बॉलीवुड में आम थे, सायरा बानो ने भी फिल्मों में कदम रखा और अपने दौर की सबसे खूबसूरत और चर्चित अभिनेत्री रही। दिलीप कुमार को जब सायरा बानो ने शादी कब लिए कहा तब एक बार तो उन्होंने उम्र के अंतर को देखते हुए मना कर दिया पर प्यार के आगे उनको झुकना पड़ा। दोनों शादी के बंधन में बंधे। उसके बाद से अब तक दिलीप और सायरा बानो ने एक दूसरे का हाथ नहीं छोड़ा। बॉलीवुड में सायरा और दिलीप कुमार की संतान के तौर पर शाहरुख खान को माना जाता हैं। एक मिसकैरेज के बाद सायरा कभी मां नहीं बन सकी।