प्रवर्तन निदेशालय ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) उल्लंघन मामले में पूछताछ के लिए तृणमूल कांग्रेस नेता और पूर्व लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा को नया समन जारी किया है। अधिकारियों ने बताया कि 49 वर्षीय नेता ने जांच में शामिल होने के लिए कुछ सप्ताह का समय मांगा था और पिछले महीने एजेंसी को एक पत्र भेजकर उसके सामने पेश होने में असमर्थता जताई थी।
सूत्रों ने बताया कि मोइत्रा को अब 11 मार्च को दिल्ली में ईडी कार्यालय में पेश होने के लिए कहा गया है।
जांच एजेंसी मोइत्रा से पूछताछ करना चाहती है और उनके बयान देने के बाद विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के प्रावधानों के तहत उनका बयान दर्ज करना चाहती है। सूत्रों ने कहा कि इस मामले में कुछ अन्य विदेशी प्रेषण और धन के हस्तांतरण के अलावा एनआरई खाते से जुड़े लेनदेन एजेंसी की जांच के दायरे में हैं।
मामले की जांच सीबीआई भी कर रही है और लोकपाल भी उनके खिलाफ आरोपों की प्रारंभिक जांच कर रही है। सीबीआई मामले के आधार पर ईडी ने जांच शुरू की है।
इस बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने महुआ मोइत्रा की याचिका भी खारिज कर दी है। कोर्ट ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और वकील जय अनंत देहाद्राई को उनके (महुआ मोइत्रा) खिलाफ आरोप लगाने संबंधी बयान देने से रोकने की मांग वाली याचिका ठुकरा दी है।
इससे पहले छले महीने महुआ को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली थी। सुप्रीम कोर्ट ने निष्कासन के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था। अदालत ने कहा था कि महुआ का संसद से निष्कासन बना रहेगा। कोर्ट ने कहा था कि फिलहाल उनको अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती। ये मामला इतना आसान नहीं है। इसके साथ ही अदालत ने महुआ की संसद कार्यवाही में हिस्सा लेने की इजाजत देने की अर्जी को ठुकरा दिया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि मोइत्रा के निष्कासन के खिलाफ अर्जी का परीक्षण करेगा। अदालत ने लोकसभा के महासचिव को नोटिस जारी कर मामले पर जवाब मांगा था। मामले पर अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी।
बता दें कि बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने मोइत्रा पर उपहार के बदले कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के कहने पर अडानी समूह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए लोकसभा में सवाल पूछने का आरोप लगाया था। उन्होंने मोइत्रा पर आर्थिक लाभ के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने का भी आरोप लगाया था।
हालांकि मोइत्रा ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है और दावा किया है कि उन्हें इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि उन्होंने अडानी समूह के सौदों पर सवाल उठाए थे।