पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा की आलोचना की और कहा कि पार्टी राज्य को बदनाम करने और उनकी पार्टी के नेताओं को गिरफ्तार करने का प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी संदेशखाली में अशांति और आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आई है। कोलकाता में पत्रकारों से बात करते हुए ममता बनर्जी ने कहा, ”बंगाल को बदनाम करने, बंगाल के अधिकारियों की प्रतिष्ठा खराब करने की कोशिश की जा रही है।”
उन्होंने दावा किया, “हमने सुना है कि एजेंसियां दावा करती हैं कि भाजपा ने उन्हें तृणमूल नेताओं को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया है। एजेंसी के नाम का उपयोग करके, वे जबरदस्ती प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई को भेजते हैं।”
बनर्जी ने कहा, “अगर जीतना है तो लोगों का विश्वास अर्जित करके आगे बढ़ें। हम निष्पक्ष चुनाव चाहते हैं, बीजेपी का चुनाव नहीं। बंगाल एक ऐसी जगह है जहां निष्पक्ष चुनाव संभव है।”
ममता ने कहा, “बंगाल के बारे में बड़ी-बड़ी बातें करने वालों से मैं कहना चाहती हूं कि उत्तर प्रदेश आइए। पिछले दो दिनों में दो नाबालिगों को बांधकर हत्या कर दी गई। एक बार बिलकिस के घर में, एक बार हाथरस में। देखिए, बंगाल उससे कहीं बेहतर है।”
उन्होंने कहा, “भाजपा की चालाकी भरी बातें और हिंसा भड़काने की कोशिशों ने बंगाल की महिलाओं का अपमान किया है। बंगाल की माताएं और बहनें इससे खुश नहीं हैं।”
इस बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आशा कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आंगनवाड़ी सहायिकाओं के वेतन वृद्धि को लेकर घोषणा की। उन्होंने कहा, “अप्रैल महीने से आशा कार्यकर्ताओं के 750 रुपए प्रति माह बढ़ाए जाएंगे। अप्रैल से आंगनवाड़ी वर्कर और आंगनबाडी सहायिकाओं के वेतन में भी 750 रुपए की बढ़ोतरी की जाएगी।अभी आंगनवाड़ी वर्कर को वर्तमान में 8,250 रुपए प्रति माह दिए जा रहे हैं। ICDS हेल्पर के लिए 500 रुपए प्रति माह बढ़ाए जाएंगे। वर्तमान में ICDS हेल्पर को 6000 रुपए प्रति माह के आसपास दिए जा रहे हैं।”
वहीं इसे लेकर बीजेपी सांसद दिलीप घोष ने कहा, “ममता बनर्जी वोट पाने के लिए चुनाव से ठीक पहले रिश्वत देती हैं। दो महीने बाद वह कहेंगी कि हमारे पास पैसा नहीं है इसलिए हम यह योजना बंद कर रहे हैं। राज्य की जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, न तो महिला सुरक्षित है और न ही रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं हैं। लोग ममता बनर्जी से छुटकारा पाना चाहते हैं।”
बता दें कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मंगलवार को बंगाल पुलिस को निर्देश दिया कि संदेशखाली में ईडी अधिकारियों पर हमले का मामला और निलंबित टीएमसी नेता शेख शाहजहां की हिरासत सीबीआई को सौंपी जाए। हालाँकि, पश्चिम बंगाल सरकार ने आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है और राज्य पुलिस ने शेख को सीबीआई टीम को सौंपने से इनकार कर दिया।