मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने घोषणा की है कि असम में किसी भी मंत्री, अधिकारी या सरकारी कर्मचारी को कोई सब्सिडी वाली बिजली नहीं दी जाएगी। सरमा ने कहा कि उन्होंने बिजली विभाग को मंत्री कॉलोनी के आवासों सहित हर सरकारी क्वार्टर में प्रीपेड मीटर लगाने का निर्देश दिया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सरकारी कर्मचारी और मंत्री सब्सिडी वाली बिजली का ‘आनंद’ न उठा सकें।
एक्स पर एक पोस्ट में मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान उन्होंने पाया कि मंत्रियों और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के वेतन से नाममात्र का बिल काटा गया।
उन्होंने कहा, “मैंने तत्काल विभाग को मंत्री कॉलोनी के आवासों सहित प्रत्येक सरकारी क्वार्टर में व्यक्तिगत प्रीपेड मीटर लगाने का निर्देश दिया है। इस उपाय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मंत्रियों, अधिकारियों या सरकारी कर्मचारियों को कोई सब्सिडी वाली बिजली न मिले।”
असम सरकार इलाज के नाम पर किए जाने वाले जादू-टोने को लेकर सख्त हो गई है। सरकार ने उपचार के नाम पर ‘जादुई उपचार’ की प्रथाओं को प्रतिबंधित करने का फैसला लिया है। उसने इस तरह के उपचार को समाप्त करने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक में ऐसे उपचारकर्ताओं के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है। यह निर्णय मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया।
उन्होंने कहा, “यह ऐसे उपचार सत्रों पर पूरी तरह से रोक लगाएगा और इलाज के नाम पर गरीबों और वंचित लोगों से वसूली करने वाले ‘चिकित्सकों’ के खिलाफ कड़ी दंडात्मक कार्रवाई करेगा।”
सरमा ने कहा कि कैबिनेट ने “समर्पित सतत विकास कार्यक्रम” के लिए 10 शहरों/कस्बों का भी चयन किया और राज्य नगरपालिका कैडर में सुधार लाने का प्रस्ताव रखा। मंत्रिपरिषद ने ‘असम उपचार (बुराइयों की रोकथाम) प्रथा विधेयक, 2024′ को मंजूरी दे दी। इस विधेयक का उद्देश्य बहरापन, गूंगापन, अंधापन, शारीरिक विकृति और ऑटिज्म जैसी कुछ जन्मजात बीमारियों के इलाज के नाम पर जादुई उपचार की प्रथाओं को प्रतिबंधित करना और समाप्त करना है।
कैबिनेट ने डिब्रूगढ़ वन प्रभाग के तहत नामदांग आरक्षित वन में “259 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत” पर एक वन्यजीव सफारी और बचाव केंद्र को भी मंजूरी दी, जो क्षेत्र के जीवों के लिए बचाव और पुनर्वास सेवाएं प्रदान करेगा।