उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुए विभूति भूषण सिंह हत्याकांड को पूरे 2 साल हो गये है। मामलें की CBCID जांच चल रही है। FIR में नामजद महादेव महाविद्यालय के प्रबंधक अजय सिंह समेत अन्य 5 आरोपियों को बचाने के लिए सत्ता पक्ष से जुड़े एक मंत्री के इशारे पर लीपापोती की कोशिश हो रही है। ऐसा परिवार का आरोप है। इस बाबत मृतक के भाई कीर्ति भूषण सिंह ने साफ तौर पर तक्षकपोस्ट की टीम से ये कहा कि मेरे भाई की हत्या बड़े सुनियोजित तरीके से और महादेव से जुड़े फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद हुई है। मेरा भाई जिले के तमाम आला अधिकारियों से मिलकर फर्जीवाड़े की जानकारी दे चुका था। आरोपियों पर कारवाई की जगह मेरे भाई की हत्या हो गई अब निष्पक्ष जांच में क्यों हीलाहवाली हो रही है ??
डॉ शशिकांत सिंह पी.जी. कॉलेज के पूर्व प्रबंधक एवं समाजसेवी/ जिला सचिव (सक्षम ) की हत्या 10 फरवरी 2022 की सुबह पुलिस लाइन ग्राउंड के बाहर गाड़ी से टक्कर मारकर कर दी गई। इसकी पंजीकृत नामजद FIR कैंट थाना में दर्ज है। वर्तमान में इसकी विवेचना CBCID की प्रयागराज यूनिट के द्वारा की जा रही है। इस जांच को पहले वाराणसी यूनिट को सौंपा गया था जिसे आरोपियों के द्वारा भ्रष्टाचार के जरिये मैनेज कर लिया गया था। इसलिए जांच को तत्कालीन DG CBCID के समक्ष साक्ष्य के साथ प्रस्तुत करने पर ट्रांसफर करके प्रयागराज यूनिट को सौंपा गया था। तत्कालीन IO मोहित यादव को यहाँ से हटा कर बरेली भेज दिया गया था। SP कृष्ण गोपाल के खिलाफ आंतरिक जांच की बात कही गई थी। कृष्ण गोपाल और उसकी यूनिट पर चंदौली में यादव परिवार के साथ घटी घटना में भी तहकीकात के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप है।
लेकिन वर्तमान में जांच एजेंसी को आरोपी अपने सत्ता के घनिष्ठ संबंध और रसूख के इस्तेमाल के द्वारा प्रभावित करके बचने की कोशिश कर रहे है। इस घटना के बाद से आरोपियों के द्वारा पीड़ित परिवार को दबाव और अन्य उपक्रमों के माध्यम से इस हत्या में चुप कराने की कोशिश हो रही है। माननीय उच्च न्यायालय में भी इस संबंध में कारवाई जारी है। अब इस जांच में विवेचक की रिटायरमेंट हो गई। इस जानकारी को वादी और पीड़ित परिवार से छुपाकर रखा गया। मामलें को धीमा करने और आरोपियों को बचाने के लिए लगातार लोगों का दबाव लगाया जा रहा है।
सवाल यह है कि आखिर क्यों मामलें में निष्पक्ष तरीके से विवेचना नहीं कि जा रही है। हत्या के पहले भी विभूति भूषण को जान से मारने की धमकी मिलती रही है।
हत्या की जड़ में महादेव महाविद्यालय के लिए अजय सिंह के द्वारा किया गया राजस्व का बड़ा फर्ज़ीवाड़ा और मान्यता से संबंधित कूटरचित कागज़ों का इस्तेमाल किया गया। और इसी से संबंधित सभी न्यायलय में दाखिल मुकदमों में विभूति भूषण सिंह परिवार की तरफ से पैरवीकार थे।
अजय सिंह और अन्य आरोपियों के द्वारा उनको देख लेने की धमकी मिल रही थी। लेकिन सरकारी ढुलमुल रवैये के कारण विभूति की हत्या करवा दी गई।
पीड़ित परिवार को अब तक न्याय के लिए भटकना पड़ रहा है और मामलें में आज तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई। सभी आरोपियों के द्वारा जांच एजेंसी को सत्ता पक्ष के साथ जुड़ाव और एवं मंत्रियों के साथ घरेलू संबध बात कर प्रभावित किया जा रहा है। इस मामलें को लेकर सभी कार्यालय और मुख्यमंत्री तक को अर्जी दी जा चुकी है लेकिन कोई ठोस कार्यवाई नहीं हुई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के अपने संसदीय क्षेत्र में कानून व्यवस्था की ऐसी गत होगी इसका अंदाजा नहीं था। ये कहते है कीर्ति भूषण- मेरा भाई तो अपनी नौकरी छोड़कर समाजसेवा करने आया था, अपना काम कर रहा था। लेकिन शिक्षा माफियाओं के द्वारा 2018 से उसको धमकियां मिल रही थी देख लेने और जान से मार डालने की। क्या परिवार के लिये खड़ा होना इतना बड़ा गुनाह था ? महादेव महाविद्यालय के प्रबंधक के द्वारा मामा की जमीन पर राजस्व का फर्ज़ीवाड़ा किया गया। फ़र्ज़ी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके अपना निजी हित साधा गया। ढेरों कूटरचित दस्तावेज़ घर मे बैठकर तैयार किये गये। शिक्षा के क्षेत्र में शायद ये अपने आप में बड़ा मामला है। इस प्रकरण पर तो खुद सरकार को पहल करके जालसाजी का मुकदमा करवाना चाहिए था।
इस संबंध में पहले से ही पुलिस पर सवालिया निशान हैं।