संसद का 17वीं लोकसभा का आखिरी बजट सत्र शनिवार को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण पर चर्चा के साथ समाप्त हो गया। लोकसभा में शनिवार को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर चर्चा शुरू हुई। वरिष्ठ भाजपा नेता सत्यपाल सिंह ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर चर्चा की शुरुआत की।
चर्चा की शुरुआत करते हुए सत्यपाल सिंह ने कहा, “मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण और भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के बारे में बोलने का मौका मिला। 22 जनवरी को संसद के अंदर, अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा देखना और पूजा करना ऐतिहासिक है। जहां राम हैं, वहां धर्म है…जो लोग धर्म का नाश करते हैं वे मारे जाते हैं और जो लोग धर्म की रक्षा करते हैं उनकी रक्षा होती है।”
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि 22 जनवरी, अयोध्या में राम मंदिर के अभिषेक का दिन, “भारत की नई यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है”। निचले सदन में राम मंदिर निर्माण पर चर्चा में शामिल होते हुए अमित शाह ने कहा कि भगवान राम के बिना भारत की कल्पना नहीं की जा सकती।
उन्होनें कहा, “22 जनवरी महान भारत की शुरुआत थी। जो लोग भगवान राम के बिना एक देश की कल्पना करते हैं वे हमारे देश को अच्छी तरह से नहीं जानते हैं और वे उपनिवेशवाद के दिनों का प्रतिनिधित्व करते हैं। मैं कहना चाहता हूं कि जो लोग अपना इतिहास नहीं जानते वे अंततः हारते हैं। 22 जनवरी आने वाले वर्षों के लिए एक ऐतिहासिक दिन होगा। यह वह दिन था जिसने सभी राम भक्तों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा किया।”
उन्होंने कहा, “राम के बिना राष्ट्र की कल्पना नहीं की जा सकती। भगवान राम ने हमें राम राज्य दिखाया… राम मंदिर के लिए सभी को एकजुट होना चाहिए।”
उन्होंने राम मंदिर खुलने से पहले 11 दिन का उपवास रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी सराहना की।
आम चुनाव से पहले आखिरी संसद सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने यह भी कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 300 साल का सपना साकार हुआ और पीएम मोदी और भाजपा ने जो वादा किया था उसे पूरा किया।”
शाह ने कहा, “राम मंदिर आंदोलन को नज़रअंदाज़ करके इस देश का इतिहास कोई नहीं पढ़ सकता।1528 से लेकर अब तक हर पीढ़ी ने किसी न किसी रूप में इस आंदोलन को देखा है। ये मामला लंबे समय तक अटका रहा। मोदी सरकार के समय ये सपना पूरा होना था।“
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राम मंदिर पर चर्चा में कांग्रेस की तरफ से सांसद तरूण गोगोई शामिल हुए। राम मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि ये देश भक्ति का देश है। ये देश आस्था का देश है। इस देश में हम सेवाभाव से रहते हैं। इंसानियत हमारी सबसे बड़ी पहचान है। राम-राम हमारे कण-कण में है। उत्तर भारत में जब हम किसी से मिलते हैं, तो सबसे राम-राम कहते हैं।
गोगोई ने कहा, “भगवान राम जब रावण का वध करने के लिए निकले थे, तो उन्होंने वंचितों और शोषितों को मिलाकर एक सेना बनाई थी। वह सबको साथ लेकर चले थे।लेकिन आज क्या हो रहा है…अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के साथ आज भेदभाव हो रहा है। रिकॉर्ड बताते हैं कि 2022 के मुकाबले 2023 में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के साथ अपराध लगभग दोगुने हो गए हैं। क्या, इसे रामराज्य कहेंगे?”
इस बीच, तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि पार्टी लोकसभा और राज्यसभा में राम मंदिर पर चर्चा में हिस्सा नहीं लेगी।
राज्य मंत्री ग्रामीण विकास मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा कि कांग्रेस ने कभी कार सेवकों की शहादत पर शोक प्रकट नहीं किया। जिन्होंने राम मंदिर के लिए सीने पर गोली खाई। इस दौरान उन्होंने विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल को भी याद किया।
संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक सिंघवी ने कहा, “किसी भी चीज और हर चीज पर चर्चा की जा सकती है और चर्चा की जानी चाहिए। सौभाग्य से, यदि सभी पक्षों को समान अवसर के साथ वास्तविक स्वतंत्र और निष्पक्ष चर्चा होती है, तो आपको यह फायदा होगा कि भाजपा झूठे मानहानि के मामले दायर नहीं कर पाएगी।”
शिव सेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुवेर्दी ने कहा कि जो भी चर्चा होगी वह “राजनीति से परे और राम मंदिर को राजनीति से दूर रखकर होनी चाहिए”।
वहीं राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को लेकर कहा कि आपने चौधरी चरण सिंह का अपमान किया। आपने उनकी विरासत का अपमान किया। भारत रत्न चौधरी चरण सिंह के लिए आपके पास समय नहीं था। चौधरी चरण सिंह के मुद्दे पर सदन के अंदर ऐसा माहौल बनाकर आप देश के हर किसान को आहत कर रहे हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह,पीवी नरसिम्हा राव गारू और डॉ. एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, “आज पूरा देश उनका गुणगान कर रहा है लेकिन नेता प्रतिपक्ष को चौधरी चरण सिंह, डॉ. एमएस स्वामीनाथन और पीवी नरसिम्हा राव गारू का अपमान करने के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए।”
केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद परषोत्तम रूपाला ने कहा, “जब भी LoP बोलने के लिए खड़े होते हैं, तो आप (राज्यसभा सभापति) हमें उनकी बात सुनने के लिए कहते हैं, लेकिन LoP अब आपके सभापतित्व को चुनौती दे रहे हैं और आपको बता रहे हैं कि आप अपनी पसंद के अनुसार निर्णय ले रहे हैं। यह कांग्रेस का असली चेहरा है। उन्हें लगता है कि जिसे हमारी पार्टी से निकाल दिया गया उसे भारत रत्न कैसे मिल सकता है?”
राज्यसभा में राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के अध्यक्ष जयंत सिंह ने कहा कि ‘धरतीपुत्र’ चौधरी चरण सिंह को ‘भारत रत्न’ देने भर से किसानों की समस्याओं व उनकी चुनौतियों का समाधान नहीं निकलता है लेकिन इससे आने वाले सालों में झोपड़ियों में पैदा होने वाले व्यक्ति को भी चौधरी चरण सिंह बनने, ‘भारत रत्न पा सकने और अपनी समस्याओं के समाधान करने का हौसला जरूर मिलेगा। चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने के फैसले पर राज्यसभा में अपनी बात रखते हुए उन्होंने इसे देश के किसानों व वंचित समाज को सशक्त करने वाला फैसला करार दिया और कहा कि मौजूदा सरकार की कार्यशैली में भी चरण सिंह के विचारों की झलक है और एक ‘जमीनी सरकार’ ही ‘धरतीपुत्र’ को भारत रत्न दे सकती है।
राज्यसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ”आज, जब हम श्वेत पत्र ला रहे हैं, तो ऐसा इसलिए है क्योंकि हम अर्थव्यवस्था को एक निश्चित स्तर पर ले आए हैं और वह स्तर हमें यह विश्वास दिलाता है कि अब हम यह कहने में सक्षम हैं कि अगले कुछ वर्षों में, और यही कारण है कि प्रधान मंत्री कहते रहते हैं, “मेरे तीसरे कार्यकाल में निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगी।” यह अकारण नहीं है।”
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भाजपा ने लोकसभा और राज्यसभा में अपने सांसदों को कुछ “बहुत महत्वपूर्ण” विधायी कार्यों के कारण संसद में उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए व्हिप जारी किया था। वहीं कांग्रेस ने भी अपने लोकसभा सदस्यों को तीन लाइन का व्हिप जारी किया, जिसमें सांसदों को सदन में उपस्थित रहना अनिवार्य था।
इस बीच, विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे के कार्यालय में मुलाकात की।
संसद का बजट सत्र 31 जनवरी को शुरू हुआ था। शुरुआत में इसे 9 फरवरी को समाप्त होना था लेकिन बाद में इसे एक और दिन के लिए बढ़ा दिया गया था। आम चुनाव से पहले यह मौजूदा लोकसभा का आखिरी सत्र है। चुनाव के इस साल अप्रैल-मई में होने की संभावना है।