लोकसभा की आचार समिति द्वारा गृह मंत्रालय से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा के पिछले पांच वर्षों की विदेश यात्राओं का ब्यौरा मांगने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार, संसदीय पैनल यह तय करने के लिए गृह मंत्रालय से संपर्क कर सकता है कि क्या लोकसभा को सूचित करने और अन्य मंजूरी जैसी सभी उचित प्रक्रियाएं महुआ मोइत्रा द्वारा ली गई थीं या नहीं? इसके अतिरिक्त, सूत्रों के अनुसार, मोइत्रा से जुड़े कैश-फॉर-क्वेरी विवाद में संसद के उक्त पैनल द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से पहले ही जानकारी मांगी जा चुकी है।
सूत्रों के मुताबिक एथिक्स कमेटी ने महुआ मोइत्रा पर लगे आरोपों से जुड़े सवालों के बारे में गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी को पत्र लिखा है। यह भी कहा जा रहा है कि महुआ मोइत्रा के बाद किसी अन्य गवाह को कमेटी के सामने नहीं बुलाया जायेगा। इसके बाद पार्लियामेंट पैनल नवंबर के पहले हफ्ते में अपनी रिपोर्ट लोकसभा स्पीकर को सौंपेगा। और यदि आरोप कायम रहते हैं तो सरकार मोइत्रा को अयोग्य ठहराने के लिए आगामी शीतकालीन सत्र के पहले दिन एक प्रस्ताव ला सकती है।
पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर सीट से टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा संसद में सवाल उठाने के लिए रिश्वत लेने के आरोप के कारण विवाद के केंद्र में हैं। गुरुवार को लोकसभा की आचार समिति ने महुआ मोइत्रा को उनके खिलाफ कैश-फॉर-क्वेरी आरोप के संबंध में 31 अक्टूबर को पेश होने के लिए समन जारी किया है।
इससे पहले भाजपा सांसद निशिकांत दुबे गुरुवार को लोकसभा की आचार समिति के समक्ष पेश हुए और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ उनके द्वारा दायर की गई शिकायत के अनुसार साक्ष्य प्रस्तुत किए। महुआ मोइत्रा के खिलाफ दर्ज कैश-फॉर-क्वेरी शिकायत को संबोधित करने के लिए समिति की यह पहली बैठक थी। सूत्रों ने बताया कि निशिकांत दुबे ने पैनल को बताया कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई की शिकायत का समर्थन करने से पहले उसकी पूरी जांच की थी। सूत्र ने कहा, उन्होंने (दुबे ने) शिकायत (मोइत्रा के खिलाफ) पेश करने से पहले कई स्तरों पर जांच की।
बैठक की शुरुआत चेयरपर्सन विनोद कुमार सोनकर को छोड़कर उपस्थित 10 सदस्यों के बीच तीखे मतभेदों के साथ हुई, कि उन्हें पहले किसकी बात सुननी चाहिए? – शिकायतकर्ता या आरोपी – मामले को सुलझाने के लिए एक वोट के लिए मजबूर होना पड़ा।
विपक्षी सदस्यों ने बसपा सांसद दानिश अली और भाजपा के रमेश बिधूड़ी से जुड़े हालिया मामले का हवाला देते हुए कहा कि एक अन्य संसदीय पैनल ने संसद में अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोपी सत्तारूढ़ दल के सदस्य को पहले बुलाया था, जबकि आचार समिति शिकायतकर्ता दुबे का बयान दर्ज कर रही थी।
विपक्षी दलों से जुड़े कुछ पैनल सदस्यों ने उदार रुख अपनाने का आह्वान किया, जिस पर दुबे ने जोर देकर कहा कि अन्य सांसदों के लिए एक सबक के रूप में उनका एक उदाहरण बनाया जाना चाहिए।
सूत्रों ने बताया कि कमेटी में एक सदस्य ने आरोप लगया कि निशिकांत दुबे ने निजी लड़ाई के चलते महुआ पर आरोप लगाये हैं। कमेटी में शामिल विपक्ष के एक सदस्य ने कहा कि क्योंकि निशिकांत दुबे की डिग्री पर महुआ ने सवाल उठाए गए थे इसलिए यह मामला उन्होंने ये मामला उठाया है। इस पर निशिकांत ने कहा कि इस मुद्दे पर कोर्ट से भी क्लीनचिट मिल चुकी है। निशिकांत दुबे ने कमेटी को भरोसा दिया कि जब भी जरूरत होगी वह फिर कमेटी के सामने आने को तैयार हैं।
इस बीच मोइत्रा ने कहा है कि वह अन्य भाजपा विधायकों द्वारा विशेषाधिकारों के कथित उल्लंघन से निपटने के बाद स्पीकर द्वारा विवाद की जांच का स्वागत करेंगी। इस पर दुबे ने कहा कि सवाल अडानी, डिग्री या चोरी का नहीं बल्कि महुआ मोइत्रा द्वारा देश को गुमराह कर किये गये भ्रष्टाचार का है।
मालूम हो कि निशिकांत दुबे ने मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछने के लिए एक व्यवसायी से रिश्वत लेने का आरोप लगाया था जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया। दुबे और मोइत्रा के करीबी रह चुके देहाद्रई ने मोइत्रा और कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के बीच अडानी समूह और पीएम मोदी पर निशाना साधने के लिए रिश्वत के लेनदेन के आरोप लगाए थे। महुआ मोइत्रा ने इन आरोपों को खारिज कर दिया। उसके बाद बीजेपी सांसद ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से मोइत्रा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक जांच समिति गठित करने का आग्रह किया था। बिड़ला को लिखे पत्र में दुबे ने कहा कि महुआ मोइत्रा की तरफ से लोकसभा में हाल के दिनों तक पूछे गये 61 प्रश्नों में से 50 अडानी समूह पर केंद्रित थे। वहीं कारोबारी हीरानंदानी ने एक हलफनामे में स्वीकार किया है कि मोइत्रा ने प्रधानमंत्री मोदी की छवि खराब करने के लिए गौतम अडानी पर निशाना साधा। जय देहाद्रई ने आरोप लगाया है कि महुआ मोइत्रा ने संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्योगपति गौतम अडानी पर सवाल उठाने के बदले में रिश्वत ली।