बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार जाति जनगणना रिपोर्ट का विवरण साझा करने और इसके संबंध में आगे क्या कदम उठाए जाने की जरूरत है, इस पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। कुमार ने राज्य की सभी नौ पार्टियों से इसमें भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सरकार परिणामों के पीछे की गणना और सर्वेक्षण में शामिल लोगों की आर्थिक स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेगी।
बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा, “जाति आधारित जनगणना के बाद हम हर परिवार की आर्थिक स्थिति के आधार पर भी जनगणना करेंगे। मंगलवार को हमने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इस बैठक में हम सभी के सामने बात रखेंगे। इस बैठक में सभी की राय लेने के बाद सरकार हर जरूरी कदम उठाएगी।”
बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि रिपोर्ट के आधार पर सरकार राज्य में पिछड़े समुदायों के लाभ के लिए काम करेगी। उन्होंने बीजेपी पर तंज कसते हुए पूछा कि पार्टी ने पिछड़े समुदाय के लिए क्या किया है?
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा, “हमारी शुरू से मांग रही है कि जाति आधारित जनगणना हो। आज जाति आधारित सर्वेक्षण का वैज्ञानिक डेटा जारी किया गया है। सरकार बनने के बाद कम समय में हमने जानकारी इकट्ठा की और आज ऐतिहासिक दिन पर ऐतिहासिक काम हमने किया है। हम वैज्ञानिक आंकड़ों के आधार पर कल्याणकारी योजनाएं लाने का प्रयास करेंगे।”
नीतीश कुमार के सहयोगी राजद प्रमुख लालू यादव ने कहा कि यह एक “ऐतिहासिक क्षण” है। उन्होंने कहा कि “भाजपा की कई साजिशों और कानूनी बाधाओं के बावजूद”, बिहार सरकार जाति-आधारित सर्वेक्षण जारी करने में सक्षम रही।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, “हम तो हमेशा से इसके(जातिगत जनगणना) के पक्षधर रहे हैं। मध्य प्रदेश में सरकार बनने पर हम इसे(जातिगत जनगणना) कराएंगे।”
वहीं इस रिपोर्ट पर बिहार भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा, “मैं नीतीश कुमार को बार-बार कह रहा था कि रिपोर्ट जल्द जारी करें। यह आधी-अधूरी रिपोर्ट है, अभी भाजपा पूरी रिपोर्ट देखेगी, जांच करेगी और फिर अपना विस्तृत बयान देगी… यह आधा-अधूरा है, जो आर्थिक, सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग हैं उसका तो रिपोर्ट ही नहीं है। अभी सिर्फ जातियों की गणना नीतीश कुमार ने बताई है लेकिन किस तकनीक से यह किया गया उसकी रिपोर्ट हम लेंगे… लालू जी की आदत जातिय उन्माद फैलाने की रही है। भाजपा शुरू से जातिय सर्वेक्षण की समर्थक रही है।”
मालूम हो कि बिहार सरकार ने सोमवार को अपने जाति-आधारित सर्वेक्षण के नतीजे साझा किए। जनगणना में बिहार में 36 फीसदी अत्यंत पिछड़ा, 27 फीसदी पिछड़ा वर्ग, 19 फीसदी के करीब अनुसूचित जाति और 1.68 फीसदी अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या बताई गई है। राज्य की आबादी में ऊंची जातियां या ‘सवर्ण’ 15.52 प्रतिशत हैं।
इस साल जनवरी में शुरू हुए सर्वेक्षण को पटना उच्च न्यायालय ने कुछ समय के लिए रोक दिया था। लेकिन बाद में फिर इसे हरी झंडी मिल गई। राज्य में सत्तारूढ़ महागठबंधन के नेता आरोप लगाते रहे हैं कि याचिका दायर करने वाले लोग भाजपा समर्थक थे। भगवा पार्टी ने इस आरोप से इनकार किया है।