राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) मामले के सिलसिले में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में कम से कम 60 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया। आंध्र प्रदेश के प्रकाशम, राजमुंदरी और श्रीकाकुलम जिलों में छापेमारी की गई, जबकि एनआईए की एक अन्य टीम ने हैदराबाद में भी तलाशी अभियान चलाया।
ये रेड प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) से विस्फोटक सामग्री और ड्रोन की बरामदगी से जुड़े मामले के सिलसिले में एनआईए द्वारा तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में सिलसिलेवार छापे मारने के कुछ हफ्तों बाद किये गए हैं।
माओवादियों से संबंध रखने वाले नागरिक अधिकार समर्थक नेताओं के आवासों की तलाशी ली गई है। ये छापे डुड्डू वेंकटराव (जाति उन्मूलन संघर्ष के नेता), ओरु श्रीनिवास राव, नागरिक अधिकार नेता नासर और कई अन्य नेताओं के घरों पर मारे गए हैं।
इसके अलावा एनआईए अधिकारियों ने हॉर्लिक्स फैक्ट्री के कर्मचारी कोनाला लज़ार के आवास की भी तलाशी ली। साथ ही प्रमुख वकील और मानवाधिकार नेता क्रांति चैतन्य के घर की भी तलाशी ली गई।
इससे पहले पिछले महीने की शुरुआत में यानी 9 सितंबर को भी एनआईए ने तेलंगाना औऱ छत्तीसगढ़ में रेड मारी थी और तलाशी अभियान चलाया था। एजेंसी ने ये रेड अगस्त 2023 के मामले में मारी थी जिसमें विस्फोटक सामग्री, ड्रोन और लेथ मशीनों की बरामदगी हुई थी। आरोप था कि प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ये सामग्री सुरक्षा बलों के खिलाफ इस्तेमाल करने वाली थी।
जून के महीने में कोठागुडेम के चेरला मंडल में तीन आरोपियों के पास से विस्फोटक सामग्री, ड्रोन और लेथ मशीन जब्त करने के बाद एनआईए ने 12 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इसके अलावा, एनआईए ने जम्मू-कश्मीर के ढांगरी इलाके में आतंकी हमले के सिलसिले में पुंछ में 4 जगहों पर तलाशी अभियान चलाया था। इस छापेमारी में एजेंसी ने आपत्तिजनक डेटा, कई डिजिटल उपकरण और दस्तावेज बरामद किए थे।
उससे कुछ दिन पहले, एनआईए ने उत्तर प्रदेश के जिलों प्रयागराज, वाराणसी, चंदौली, आज़मगढ़ और देवरिया जिलों में आठ स्थानों पर छापेमारी की थी। पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) और भगत सिंह स्टूडेंट मोर्चा (बीएसएम) की राष्ट्रीय सचिव सीमा आजाद के आवास पर छापेमारी के बाद छापे ने विवाद पैदा कर दिया था। तब कार्यकर्ताओं ने जांच एजेंसियों पद्वारा छापेमारी की आलोचना की थी।
पीयूसीएल ने एक बयान जारी कर कहा था कि ऐसे वक्त में जब देश व प्रदेश में किसान, मजदूर, छात्र सहित आम नागरिक बेहद तंग हालात से गुजर रहे हैं और अपना विरोध दर्ज कर रहे हैं। तब ऐसे में जन प्रतिरोध, असहमतियों, सवालों और नागरिकों की आवाज दबाने के लिए सरकार अर्बन नक्सल का मिथ गढ़ कर एनआईए जैसी संस्था का दुरुपयोग करके नागरिक सवालों और अधिकारों का दमन कर रही है। यह स्पष्ट तौर पर लोकतांत्रिक नागरिक अधिकारों और सवालिया संस्कृति पर हमला है।