संसद का विशेष सत्र चल रहा है। आज सत्र के दुसरे दिन पुरानी संसद में लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों का एक साथ फोटो शूट हुआ। इसमें पीएम मोदी, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे समेत लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य मौजूद रहे।
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प्रधामंत्री मोदी ने सेंट्रल हॉल में अपने संबोधन में कहा कि इस भवन को सिर्फ पुरानी पार्लियामेंट कहकर छोड़ दें तो ऐसा नहीं होना चाहिए। इसलिए मेरी आपसे प्रार्थना है कि भविष्य में अगर सभी की सहमति हो तो इसे संविधान सदन के रूप में जाना जाए ताकि यह हमेशा हमारे जीन की प्रेरणा बनी रहे। जब हम इसे संविधान सदन पुकारेंगे तो यह उन महापुरुषों की भी याद दिलाएगी, जो कभी संविधान सभा में बैठा करते थे। भावी पीढ़ी को यह तौहफा देने का अवसर जाने नहीं देना चाहिए।
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पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत गणेश चतुर्थी की शुभकामनाओं के साथ की। उन्होंने कहा कि नए संसद भवन में हम नए भविष्य का श्री गणेश करने जा रहे हैं। आज हम यहां विकसित भारत का संकल्प दोहराकर फिर एक बार संकल्पबद्ध होकर और उसको पूर्ण करने के इरादे से नए भवन की तरफ प्रस्थान कर रहे हैं। ये भवन और उसमें भी यह सेट्रल हॉल एक प्रकार से हमारी भावनाओं से भरा हुआ है। हमे भावुक भी करता है और हमें हमारे कर्तव्य के लिए प्रेरित भी करता है। आजादी के पूर्व ये खंड एक प्रकार से लाइब्रेरी के रूप में इस्तेमाल होता था। बाद में यहां संविधान सभा की बैठक शुरू हुई। उसमें गहन चर्चा करके हमारे संविधान ने यहीं पर आकार लिया।
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संसद को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यहीं पर 1947 में अंग्रेजी हुकूमत ने सत्ता हस्तांतरण किया। यह सेंट्रल हॉल उस प्रकिया का भी साक्षी है। हमारे राष्ट्रगान और तिरंगे को भी यहीं अपनाया गया। यहीं पर चार हजार से ज्यादा कानून पास हुए। इसी संसद में मुस्लिम बहन बेटियों को न्याय की जो प्रतीक्षा थी, शाहबानों केस के कारण गाड़ी कुछ उलटी पाटी पर चल गई थी। इसी सदन ने हमारी उस गलती को ठीक किया।
पीएम मोदी ने कहा कि मैंने लाल किले से कहा था- यही समय है, सही समय है। एक के बाद एक घटनाओं पर नजर डालें तो हर एक घटना इस बात की गवाह है कि आज भारत एक नई चेतना के साथ जाग उठा है। भारत एक नई ऊर्जा से भर गया है। यही चेतना और ऊर्जा करोड़ों लोगों के सपनों को संकल्प में बदल सकती है और उन संकल्पों को हकीकत में बदल सकती है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अमृत काल के 25 वर्षों में भारत को बड़े कैनवास पर काम करना होगा। हमारे लिए छोटे-छोटे मुद्दों में उलझने का समय खत्म हो गया है। सबसे पहले, हमें आत्मनिर्भर भारत बनने का लक्ष्य पूरा करना होगा। यह समय की मांग है, यह हर किसी का कर्तव्य है। पार्टियां इसके आड़े नहीं आतीं। सिर्फ दिल चाहिए, देश के लिए चाहिए।
प्रधामंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि इस भवन को सिर्फ पुरानी पार्लियामेंट कहकर छोड़ दें तो ऐसा नहीं होना चाहिए। इसलिए मेरी आपसे प्रार्थना है कि भविष्य में अगर सभी की सहमति हो तो इसे संविधान सदन के रूप में जाना जाए। ताकी यह हमेशा हमारे जीन की प्रेरणा बनी रहे। जब हम इसे संविधान सदन पुकारेंगे तो यह उन महापुरुषों की भी याद दिलाएगी, जो कभी संविधान सभा में बैठा करते थे। भावी पीढ़ी को यह तौहफा देने का अवसर जाने नहीं देना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “संविधान ने यहां सेंट्रल हॉल में आकार लिया है। इसी सेंट्रल हॉल में, भारतीय ध्वज और राष्ट्रगान अस्तित्व में आया। तीन तलाक, ट्रांसजेंडर बिल और अनुच्छेद 370 सहित अन्य ऐतिहासिक फैसलों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा। उन्होंने कहा, ”यह स्थान दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा कई ऐतिहासिक निर्णयों का गवाह रहा है। यहां 4000 से अधिक कानून पारित किए गए हैं।”
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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने देश की आजादी के 75 साल पूरे होने की सराहना की और कहा कि देश के लोग भाग्यशाली हैं कि वे ऐसे युग में रह रहे हैं जहां भारत नई ऊंचाइयों को छू रहा है। उन्होंने 2047 तक भारत के विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य का जिक्र करते हुए उम्मीद जताई कि इसे हासिल किया जाएगा। उन्होंने देश को गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं भी दीं।
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उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा, “इस महत्वपूर्ण अवसर पर, जब हम अपने संसदीय लोकतंत्र में एक नया अध्याय जोड़ने की दहलीज पर खड़े हैं। मैं आप सभी को हमारे अभूतपूर्व उत्थान के लिए बधाई देता हूं। हम सभी इस इतिहास को देखने का सौभाग्य मिला है क्योंकि हम इस पुराने संसद भवन को अलविदा कह रहे हैं और नए भवन में जा रहे हैं। प्रभावशाली ढंग से आयोजित जी20 के परिणामस्वरूप भारत की वैश्विक शक्ति का प्रदर्शन हुआ। संसद की नई इमारत, भारत मंडपम और यशोभूमि नवीनतम बुनियादी ढांचे हैं उत्कृष्ट कृतियाँ विश्व की सर्वश्रेष्ठ कृतियों से प्रतिस्पर्धा कर रही हैं।”
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संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, ”मैं नए भवन से संसद के दोनों सदनों के कामकाज को लेकर बहुत खुश और उत्साहित हूं, जो नए और उभरते भारत का प्रतीक है, जो एक विकसित राष्ट्र का मार्ग प्रशस्त करेगा, जैसा कि प्रधानमंत्री की परिकल्पना है। आज से हमारी संसद के दोनों सदनों की बैठकें नए संसद भवन में होंगी। हम सभी जानते हैं कि यह सेंट्रल हॉल ब्रिटेन से भारत में सत्ता हस्तांतरण का गवाह रहा है।”
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मेनका गांधी ने संसद को संबोधित करते हुए कहा कि आज ऐतिहासिक दिन है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में महिलाओं को बराबरी का अधिकार मिलने जा रहा है। महिला आरक्षण से हाशिए पर खड़ी महिलाओं की किस्मत बदल जाएगी। हम नए संसद भवन में जा रहे हैं। मैं 32 साल की उम्र में संसद आई। मेरे पति की मौत के 9 साल बाद अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में मैंने बीजेपी ज्वाइन की थी।
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अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आज हम ऐतिहासिक घटना के साक्षी बनने जा रहे हैं। अंग्रेजी हुकूमत से लेकर हमारी आजादी में अब तक हमने इस संसद के शानदार पल को अनुभव किया है। बाबा साहेब आंबेडकर ने हमें 395 आर्टिकल दिए हैं। इस अवसर का लाभ उठाते हुए, बिना किसी मलाल के और बिना कुछ कहे, मुझे कहना होगा कि मैं इस मंच पर खड़े होकर ऊंचा और उत्साहित महसूस कर रहा हूं, जिसने आकाशगंगा के बीच में ऐतिहासिक घटनाओं और कई महत्वपूर्ण घटनाओं का कारवां देखा है। ऐसे दिग्गज जिन्होंने इस प्रतिष्ठित सदन, जिसे संविधान सभा कहा जाता था, में भारत के संविधान को बनाने के लिए अपना दिमाग खपाया और कड़ी मेहनत की।
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उन्होंने कहा कि भारत की युवा आबादी को देश की आर्थिक वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने में सक्षम बनाना आवश्यक है। भारत दुनिया की सबसे ऊंची अर्थव्यवस्था होने के बावजूद, हमारी प्रति व्यक्ति जीडीपी विकसित देशों की तुलना में बहुत पीछे है। इस आर्थिक विकास की चुनौती से निपटने के लिए विकास समर्थक सरकारी नीतियों, कम मुद्रास्फीति को बढ़ावा देने, ब्याज दरों को कम करने, बेरोजगारी को कम करने, कुशल कार्यबल को बढ़ावा देने, क्रय शक्ति को बढ़ाने, मांग को प्रोत्साहित करने और स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा क्षेत्र को बढ़ाने की आवश्यकता है।
पीयूष गोयल ने कहा कि कल हम सभी ने इस भवन में सार्थक चर्चा की। आज नए संसद भवन में प्रवेश करना ऐतिहासिक पल है। इस अवसर में सभी को बधाई देना चाहता हूं। नया संसद भवन आत्मनिर्भर भारत की पहचना बनेगा। इस देश को नई ऊंचाइयों तक पीएम मोदी के नेतृत्व में हम सब लेकर जाएंगे. लक्ष्य बड़ा है और राह भी कठिन है। लेकिन हम अपने दायित्वों का निर्वहन करेंगे।
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मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम सभी आज यहां इस ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में भारत की संसद की समृद्ध विरासत का जश्न मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। इसी सेंट्रल हॉल में संविधान सभा की बैठक 1946 से 1949 तक हुई थी। आज हम विनम्रतापूर्वक डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और बीआर अंबेडकर के योगदान को याद करते हैं। हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आभारी हैं कि उन्होंने कल अपने भाषण में बोलते हुए नेहरू के प्रयासों का उल्लेख किया।
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संसद में संबोधन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संविधान की कॉपी लेकर नए संसद भवन के लिए निकल गए। उनके साथ सभी सांसद भी साथ रहे।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, नितिन गडकरी और अन्य सांसदों ने नए संसद भवन में प्रवेश किया। इस यात्रा के नई संसद पहुंचने के साथ ही संसद की कार्यवाही शुरू हुई।
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इससे पहले पीएम मोदी के नेतृत्व में सभी दलों के सांसदों ने पुरानी संसद में फोटो शूट में हिस्सा लिया।
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