केंद्र सरकार ने मंगलवार को सरे में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की भूमिका के बारे में कनाडाई सरकार के आरोप को खारिज कर दिया। सरकार ने कनाडा के आरोपों को “बेतुका और प्रेरित” बताया और कहा कि भारत में कानून के शासन के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता है। विदेश मंत्रालय (एमईए) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, “हमने कनाडा के प्रधानमंत्री के उनकी संसद में दिए गए बयान और उनके विदेश मंत्री के बयान को देखा है और उन्हें खारिज किया है। कनाडा में हिंसा के किसी भी कृत्य में भारत सरकार के शामिल होने के आरोप बेतुके और प्रेरित हैं।”
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस पूरे मामले में बयान जारी करते हुए कहा – “हमने कनाडा के प्रधानमंत्री का उनकी संसद में दिया गया बयान और उनके विदेश मंत्री के बयान को खारिज करते हैं। कनाडा में हिंसा के किसी भी कृत्य में भारत सरकार की संलिप्तता के आरोप बेतुके हैं। इसी तरह के आरोप कनाडा के प्रधानमंत्री ने हमारे प्रधानमंत्री के सामने भी रखे थे और उन्हें पूरी तरह से खारिज कर दिया गया था। हम कानून के शासन के प्रति मज़बूत प्रतिबद्धता वाली एक लोकतांत्रिक देश हैं। इस तरह के निराधार आरोप खालिस्तानी आतंकवादियों और चरमपंथियों से ध्यान हटाने की कोशिश करते हैं, जिन्हें कनाडा में आश्रय दिया गया है।”
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इससे पहले मंगलवार को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा था कि देश की सुरक्षा एजेंसियां भारत सरकार और कनाडाई नागरिक निज्जर की हत्या के बीच संबंध की जांच कर रही हैं। निज्जर की 18 जून को सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर दो अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। ट्रूडो ने यह भी कहा कि उन्होंने जी20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने यह मुद्दा उठाया था।
ट्रूडो ने हाउस ऑफ कॉमन्स को बताया था, “कनाडाई सुरक्षा एजेंसियां भारत सरकार के एजेंटों और एक कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बीच संभावित संबंध के विश्वसनीय आरोपों का सक्रिय रूप से पीछा कर रही हैं।”
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हालांकि, केंद्र सरकार ने कहा, ‘इसी तरह के आरोप कनाडाई प्रधानमंत्री ने हमारे प्रधानमंत्री पर लगाए थे और उन्हें पूरी तरह से खारिज कर दिया गया था।’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्त अरिंदम बागची ने बयान जारी कर कहा, “ भारत ने कनाडाई राजनयिक को निष्कासित कर दिया है। कनाडा के उच्चायुक्त को आज समन करके भारत सरकार के इस फ़ैसले की जानकारी दे दी गई है। संबंधित राजनयिक को अगले पांच दिनों के भीतर भारत छोड़ने को कहा गया है। यह फ़ैसला हमारे आंतरिक मामलों में कनाडाई राजनयिकों के हस्तक्षेप और भारत विरोधी गतिविधियों में उनकी भागीदारी पर भारत सरकार की बढ़ती चिंता को दर्शाता है।”
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इससे पहले भारतीय विदेश मंत्रालय ने भारत में कनाडा के उच्चायुक्त को समन किया था। कनाडा के उच्चायुक्त कैमरुन मैके नई दिल्ली के साउथ ब्लॉक स्थित विदेश मंत्रालय के हेडक्वाटर पर पहुंचे। कुछ मिनट की ही मुलाकात के बाद कैमरुन मैके विदेश मंत्रालय के दफ़्तर से बाहर आ गए। इस दौरान उन्होंने मीडिया से बिलकुल बात नहीं की।
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हाउस ऑफ कॉमन्स में ट्रूडो के भाषण के बाद कनाडा ने भी भारतीय राजनयिक को देश से निकाल दिया है। कनाडा सरकार का आरोप है कि भारतीय राजनयिक निज्जर की हत्या की जांच में हस्तक्षेप कर रहे थे। भारत सरकार ने ट्रूडो के आरोपों का सिरे से नकारते हुए कनाडा पर खालिस्तानियों को शरण देने का आरोप लगाया है। कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली का कहना है कि अगर यह सब सच साबित होता है तो यह हमारी संप्रभुता और एक-दूसरे के साथ पेश आने के बुनियादी नियम का बड़ा उल्लंघन होगा। इसलिए हमने एक टॉप इंडियन डिप्लोमैट को निष्कासित कर दिया है।’
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विदेशी मीडिया के अनुसार, ट्रूडो ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन सहित कनाडा के कुछ करीबी सहयोगियों के नेताओं को भारत के साथ नए राजनयिक विकास के बारे में जानकारी दी है।
मालूम हो कि हरदीप सिंह निज्जर खालिस्तान टाइगर फोर्स (KTF) का प्रमुख था, जो भारत में प्रतिबंधित संगठन है। कनाडाई नागरिक निज्जर कई मामलों में वांछित था, जिसमें 2007 में पंजाब के लुधियाना में हुआ विस्फोट भी शामिल था, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी और 42 लोग घायल हो गए थे। भारतीय ने कई बार उसके प्रत्यर्पण की मांग की थी। 2020 में भारत ने निज्जर को नामित आतंकवादी घोषित किया था। वह1990 के दशक के अंत में कनाडा चला गया था।
18 जून को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में एक गुरुद्वारे के बाहर अज्ञात हमलावरों ने हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी थी। कनाडाई पुलिस के अनुसार, 45 वर्षीय हरदीप सिंह निज्जर को कई गोलियों के घाव के साथ पाया गया था और गोलीबारी के बाद घटनास्थल पर ही उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था।