‘सरकार कोई आश्चर्यजनक कदम उठाएगी या नहीं?’, इन अटकलों के बीच संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र आज से शुरू हो गया है। सरकार ने इस सत्र के दौरान विचार करने के लिए आठ विधेयकों को सूचीबद्ध किया है, जिसमें चुनाव आयुक्तों के चयन में बदलाव लाने वाला विधेयक भी शामिल है। सोमवार को सत्र में 75 साल की ‘संसदीय यात्रा’ पर चर्चा हुई और इसकी शुरुआत लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने की। इसके अतिरिक्त यह सत्र संसद की कार्यवाही को नए भवन में स्थानांतरित करने का गवाह बनेगा।
सदन के शुरूआत में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने संबोधित करते हुए सरकार को जी 20 के सफल आयोजन के लिए बधाई दी। इसके बाद पीएम मोदी ने सदन को संबोधित करते हुए संसद के इतिहास का जिक्र किया और तमाम पुराने दिग्गज नेताओं को याद किया। पीएम मोदी ने कहा कि ये बात हम कभी नहीं भूल सकते हैं कि इस भवन के निर्माण में परिश्रम, पसीना और पैसा मेरे देशवासियों के लगा था। उन्होंने कहा कि देश के 75 साल की यात्रा का पुन:स्मरण करने के लिए और नए सदन में जाने से पहले उन प्रेरक फलों को इतिहास की महत्वपूर्ण पलों स्मरण करके आगे बढ़ना है।
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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपने संबोधन में कहा, ‘जी 20 के आय़ोजन को आम जन का आयोजन बनाने के लिए मैं पीएम मोदी को धन्यवाद देता हूं। 60 शहरों में 200 से अधिक बैठकें हुई है। दुनियाभर के 42 प्रतिनिधिमंडल आए। यह जी 20 अद्भुत रही। भारत की जी 20 की अध्यक्षता भारत की समावेशी, आकांशी, जनकेंद्रित रही। जी 20 के घोषणापत्र को सर्वसम्मति से अपनाया गया। यह भारत में भारत के बढ़ते कद को दर्शाता है।’
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राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होती ही यूपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने सबसे पहले नए सदस्य के रूप में शपथ ली।
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वहीं दूसरे दिन मंगलवार सुबह सभी सांसदों को ग्रुप फोटो के लिए बुलाया गया है। इस सत्र को लेकर कयास लग रहे हैं कि सरकार कुछ सरप्राइज भी दे सकती है। वहीं विपक्ष ने मांग की है कि पांच दिवसीय सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पेश कर पारित किया जाए। नए संसद भवन में सरकार के विधायी कार्यों की शुरुआत 20 सितंबर से होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा को संबोधित करते हुए कहा कि पुराने संसद भवन में आखिरी सत्र ऐतिहासिक होगा। उन्होंने कहा, “नए भवन (संसद के) में स्थानांतरित होने से पहले, हम यहां एक ऐतिहासिक सत्र आयोजित कर रहे हैं। इस भवन को बनाने का निर्णय अंग्रेजों ने किया था, लेकिन यह मेरे देशवासी थे जिनका खून और पसीना इसे बनाने में लगा था।”
पीएम मोदी ने कहा, “75 साल, इस इमारत में हर किसी ने भारतीय संस्कृति को संरक्षित किया है। अगर हम नए संसद भवन में भी जाएंगे तो भी यह इमारत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी।”
पीएम मोदी ने जी20 की सफलता का श्रेय पूरे देश को दिया और सांसदों को सफलता के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा, “हमारे G20 अध्यक्ष पद की सफलता भारत की सफलता है। इसका श्रेय किसी व्यक्ति या पार्टी को नहीं दिया जा सकता। दिल्ली घोषणापत्र को पारित कराना असंभव लग रहा था, लेकिन हमने इसे सफलतापूर्वक किया। यह सभी के लिए गर्व की बात है। आज, भारत वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त है, यह हमारी संस्कृति और वेदों से लेकर विवेकानंद तक हमारे पास मौजूद हर चीज के कारण है।”
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पीएम मोदी ने सोमवार को संसद के विशेष सत्र में बोलते हुए कहा कि वह देश से मिल रहे प्यार और सम्मान से अभिभूत हैं। उन्होंने कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे देश से इतना प्यार और सम्मान मिलेगा। रेलवे स्टेशन पर सो रहा एक बच्चा किसी दिन संसद में बोल सकता है। मैं देश का आभारी हूं। अलविदा कहना एक भावनात्मक क्षण है।” प्रधानमंत्री ने कहा, ”इस इमारत के साथ कई खट्टी-मीठी यादें जुड़ी हुई हैं।”
आज संसद के विशेष सत्र में बोलते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि पुरानी इमारत पीढ़ी दर पीढ़ी होने वाले सत्रों की गवाह रही है। उन्होंने कहा कि मतभेदों के बावजूद, इमारत सदस्यों के बीच दोस्ती बरकरार रखने में कामयाब रही है। उन्होंने कहा, “हमने इस संसद भवन में बहस का अनुभव किया है और शुरुआत की है। और इसके बावजूद, हम एक परिवार बने रहने में कामयाब रहे हैं। हम इस भवन के अंदर प्रतिद्वंद्वी हैं, लेकिन बाहर निकलने के बाद, हमारे बीच एक-दूसरे के लिए परिवार जैसा प्यार है। हमारे बीच कोई कटु भावना नहीं है। अगर हम सालों बाद भी मिलते हैं, तो भी हमारे बीच प्यार कायम रहता है। मैंने देखा है, यह पीढ़ियों से होता आ रहा है।”
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प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के विशेष सत्र में उद्घाटन भाषण के दौरान कहा कि जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल किया जाना देश के लिए एक भावनात्मक और गौरवपूर्ण क्षण है। उन्होंने कहा, “भारत को इस बात पर गर्व होगा कि जब वह (जी20 का) अध्यक्ष था, तो अफ्रीकी संघ इसका सदस्य बना। मैं उस भावनात्मक क्षण को नहीं भूल सकता जब घोषणा की गई थी, अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष ने कहा था कि शायद वह बोलते समय रो पड़ेंगे। आप कल्पना कर सकते हैं कि भारत के पास इतनी बड़ी आशाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने का सौभाग्य था…यह भारत की ताकत है कि यह (सर्वसम्मत घोषणा) संभव हो सका।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यहां से निकलना देश के पत्रकारों समेत सभी के लिए एक भावनात्मक क्षण होगा। उन्होंने कहा, “ऐसे पत्रकार हैं जिन्होंने इस इमारत में हमसे अधिक समय बिताया है। मुझे यकीन है कि कई पत्रकारों को इस इमारत को छोड़ना बुरा लगेगा… लेकिन यह जगह, वर्षों के बाद भी, भारत और लोकतंत्र की आत्मा को बनाए रखेगी।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पुराने संसद भवन ने इतिहास बनते देखा है और इसमें भारत और लोकतंत्र की आत्मा है, साथ ही उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी के प्रतिष्ठित भाषणों को याद किया। उन्होंने कहा, “ये वो सदन है जहां कभी भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त ने अपनी वीरता सामर्थ्य को बम का धमाका करके अंग्रेज सल्तनत को जगा दिया था। सरकारें आएंगी जाएगी, पार्टियां बनेंगी बिगड़ेंगी, लेकिन ये देश बना रहना चाहिए। पंडित नेहरू की जो आरम्भिक कैबिनेट थी उसमें बाबा साहेब बहुत योगदान दिया करते थे। बाबा साहेब ने देश को नेहरू जी की सरकार में देश को वाटर पॉलिसी दी थी। आंबडेकर जी एक बाद कहते थे कि देश का औद्योगिकरण होना चाहिए, क्योंकि उससे देश के दलितों का भला होगा। श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने इस देश में पहली इंडस्ट्री पालिसी दी। शास्त्री जी ने 65 के युद्ध में देश के सैनिकों का हौंसला इसी सदन से बढ़ाया था। बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के आंदोलन इदिरा गांधी के नेतृत्व में इसी सदन ने देखा था।”
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को विशेष सत्र के दौरान पुराने संसद भवन पर आतंकी हमले में मारे गए शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, “(संसद पर) आतंकी हमला हुआ था। यह किसी इमारत पर हमला नहीं था। एक तरह से यह लोकतंत्र की जननी, हमारी जीवित आत्मा पर हमला था। देश उस घटना को कभी नहीं भूल सकता। मैं भी उन लोगों के सामने झुकें जिन्होंने आतंकवादियों से लड़ते हुए संसद और उसके सभी सदस्यों की रक्षा के लिए अपने सीने पर गोलियां खाईं।”
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पुराना संसद भवन सबसे ऐतिहासिक फैसलों का गवाह रहा है, जिसमें अनुच्छेद 370, वन रैंक वन पेंशन, जीएसटी और कई अन्य फैसले शामिल हैं। उन्होंने भवन के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह हमेशा अनिवार्य रहेगा, भले ही सत्र नए भवन में चले जाएं।
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पीएम ने कहा, “ये वहीं सदन है जहां 4 सांसद वाली पार्टी सत्ता में होती थी और 100 सांसद वाली विपक्ष में होती थी। हम यहां से एक नए उत्साह और उमंग के साथ विदा लेने वाले हैं। इन दीवारों से हमने जो प्रेरणा पाई है, जो विश्वास पाया है उसको लेकर जाने का है। नेहरू जी का गुणगान अगर इस सदन में होगा तो कौन सदस्य होगा जो उस पर ताली नहीं बजाएगा। मुझे पूरा विश्वास है कि आपके मार्गदर्शन में जब नई संसद में जाएंगे तो नए विश्वास के साथ जाएंगे। मैं सभी सदस्यों से आग्रह करूंगा कि आप अपनी मधुर यादों को यहां रखें तांकि वो भाव लोगों तक पहुंचे।”
वहीं संसद के विशेष सत्र में बोलते हुए अधीर रंजन चौधरी ने सदन में संसदीय लोकतंत्र की स्थापना में नेहरू के योगदान की सराहना की। उन्होंने याद किया कि कैसे जब भी नेहरू अपने भाषण के दौरान समय सीमा से आगे निकल जाते थे तो स्पीकर घंटी बजा देते थे। उन्होंने भारत-पाकिस्तान विभाजन के दुष्परिणामों का सामना करने के दौरान भारत में नेहरू के योगदान की ओर इशारा किया।
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संसद के विशेष सत्र में बोलते हुए कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि अंग्रेजों ने भारत को कमतर आंका, लेकिन यह एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में विजयी हुआ है। उन्होंने कहा, ”जब हमने 1950 में लोकतंत्र को अपनाया था, तो कई विदेशी विद्वानों ने सोचा था कि यहां लोकतंत्र विफल हो जाएगा क्योंकि यहां लाखों अशिक्षित लोग हैं। तब ब्रिटिश प्रधान मंत्री चर्चिल ने यहां तक कहा था कि अगर अंग्रेज चले गए, तो न्यायपालिका, स्वास्थ्य सेवाएं, रेलवे और उनके द्वारा स्थापित सार्वजनिक कार्य पूरी तरह से नष्ट हो जाएंगे, व्यवस्था नष्ट हो जाएगी – उन्होंने हमें बहुत कमजोर कर दिया। हमने लोकतंत्र को बनाए रखकर उन्हें गलत साबित कर दिया है। हमने इसे मजबूत किया और इसकी रक्षा की। आप पूछते हैं कि हमने 70 वर्षों में क्या किया है? यह है हमने 70 साल में क्या किया।”
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राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, “जी20 नई दिल्ली शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन पर पूरे देश को बधाई देते हुए मुझे बेहद खुशी हो रही है, जिसने हर भारतीय के दिल को गर्व से भर दिया है और नेतृत्व को बढ़ाया है। उन्होंने कहा, “वैश्विक स्तर पर देश…जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के परिणाम परिवर्तनकारी हैं और आने वाले दशकों में वैश्विक विश्व व्यवस्था को फिर से आकार देने में योगदान देंगे…जी20 नेताओं की घोषणा को सर्वसम्मति से और सर्वसम्मति से अपनाया गया। यह एक मान्यता है कि भारत विभाजनों से ग्रस्त दुनिया में शांति और संयम की आवाज है।”
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भाजपा को अपनी राजनीति के तरीके को बदलने की सलाह देते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “अपनी राजनीति करने के तरीके को बदलें, अगर हम नई संसद में चले गए तो कुछ भी नया नहीं होगा। पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 21 मौकों पर बयान दिए, जबकि मनमोहन सिंह ने अपने-अपने कार्यकाल के दौरान 30 बार ऐसा किया। इसके विपरीत, प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ पारंपरिक टिप्पणियों को छोड़कर, केवल दो बार बयान जारी किए हैं।”
खड़गे ने राज्यसभा में अपने भाषण में मणिपुर का मुद्दा उठाया और प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं लेकिन मणिपुर का दौरा नहीं करने के लिए उनकी आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष पिछले सत्र के दौरान बहस चाहता था, लेकिन उपसभापति ने बहस के लिए समर्थन व्यक्त करते हुए हस्तक्षेप किया, फिर भी दावा किया कि विपक्ष ने इसे होने नहीं दिया।
खड़गे ने संसद के बाहर विभिन्न मुद्दों पर भाषण देने के लिए प्रधानमंत्री की आलोचना की। उन्होंने उल्लेख किया कि नियम 267 के तहत सात बार बहसें हुईं। उन्होंने उपसभापति को उस समय-सीमा के बारे में पूछताछ करने के लिए कहा जिसमें ये बहसें हुईं। उन्होंने सुझाव दिया कि यह एक दशक या उससे अधिक समय तक चली होगी।
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सोमवार को सत्र शुरू होने से पहले संसद परिसर में मीडिया को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि चांद पर तिरगा लहरा रहा है। शिव शक्ती पॉइंट प्रेरणा का केन्द्र् बना है। चन्द्रयान 3 प्रेरणा का नया केन्द्र है। G-20 की अभूतपूर्व सफलता, अनेक संवाभना और सफलता और भारत ग्लोबल साउथ की आवाज बना है। उन्होंने कहा, “ये सत्र छोटा है लेकिन समय के हिसाब से बड़ा सत्र है। ये ऐतिहासिक निर्णय का सत्र होगा। उन्होंने आगे कहा कि पूरे विश्व में जब इस तरह (चंद्रयान-3) की उपलब्धि होती है तो उसे आधुनिकता और टेक्नोलॉजी से जोड़कर देखा जाता है। और जब ऐसा होता है तो अनेक अवसर हमारे दरवाजे पर आकर खड़े हो जाते हैं। भारत को हमेशा इस बात पर गर्व रहेगा कि अफ्रीकी संघ G-20 का स्थायी सदस्य बन गया। यह सब भारत के उज्ज्वल भविष्य का संकेत है। कल एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र ‘यशोभूमि’ भी देश को समर्पित किया गया।”
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बता दें कि पांच दिनों के इस विशेष संसद सत्र में कुल आठ विधेयकों को चर्चा और पारित कराने के लिए लिस्ट किया गया है। चर्चा है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण देने वाला विधेयक भी पेश किया जा सकता है। मंगलवार को संसद को नए भवन में ट्रांसफर किया जाएगा। नए संसद भवन में सरकार के विधायी कामकाज 20 सितंबर से शुरू होंगे।
इस विशेष सत्र में सरकार की तरफ़ से इन 8 विधेयकों की सूची सभी सांसदों को दी गई हैं-
1. The Press and Registration of Periodicals Bill, 2023
2. The Advocates (Amendment) Bill, 2023
3. The Maintenance and Welfare of Parents and Seniors Citizens (Amendment) Bill, 2019
4. The Repealing and Amending Bill, 2023
5. The Constitution (Scheduled Tribes) Order (Amendment) Bill, 2019
6. The Post Office Bill, 2023
7. The Jammu and Kashmir Reservation (Amendment) Bill, 2023
8. The Constitution (Jammu and Kashmir) Scheduled Castes Order (Amendment) Bill, 2023