सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में जातीय हिंसा के बीच अल्पसंख्यक कूकी आदिवासियों के लिए भारतीय सेना की सुरक्षा की मांग वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए कहा कि हिंसा प्रभावित राज्य में सुरक्षा बल अपना काम कर रहे हैं और यह मुद्दा विशुद्ध रूप से कानून व्यवस्था का मुद्दा है। वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने एनजीओ मणिपुर ट्राइबल फोरम की ओर से मामले का उल्लेख किया।
#ManipurViolence: Supreme Court (SC) declines urgent hearing of a plea filed by the Manipur Tribal Forum seeking protection of the Kuki tribe by the Indian Army.
SC posts the matter for hearing on July 3 & says it’s purely an issue of law & order.
Centre says security agencies… pic.twitter.com/KD7x2z9ySz
— ANI (@ANI) June 20, 2023
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियां जमीन पर हैं और इसलिए उन्होंने तत्काल सुनवाई के लिए याचिका का विरोध किया। जस्टिस सूर्यकांत और एमएम सुंदरेश की अवकाश पीठ ने कहा कि यह विशुद्ध रूप से कानून व्यवस्था का मामला है।
सुनवाई के दौरान, वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा, “इसके लिए तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है और आश्वासन दिए जाने के बावजूद कई लोग मर रहे हैं। हम आदिवासियों के लिए सुरक्षा मांग रहे हैं। 70 आदिवासी मारे गए हैं। हम सेना की सुरक्षा मांग रहे हैं।”
इस पर पीठ ने कहा, “यह एक कानून और व्यवस्था का मुद्दा है और इसे प्रशासनिक पक्ष के माध्यम से हल किया जाना चाहिए।”
गोंजाल्विस ने आगे तर्क दिया, “कई और लोग मारे जाएंगे। यह एक भगदड़ है।” हालांकि, अदालत ने मामले को तत्काल आधार पर सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 3 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
सबसे महत्पूर्ण बात यह है कि सुरक्षाबलों और सैन्यबलों की मौजदूगी के बावजूद इंफाल के आस-पास के इलाकों में हिंसा की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। इस दौरान राज्य सरकार के साथ ही केंद्रीय मंत्री के घरों पर भी उग्रवादियों ने हमला कर आगजनी की है। मणिपुर पुलिस ने ऐसी 22 घटनाओं की एफआईआर दर्ज कराई है जिसमें पुलिस ने अपने ऊपर हमला होने की बात कही है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि राज्य में पुलिस ही नहीं सुरक्षित है तो फिर आम लोगों की स्थिति का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
मालूम हो कि मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में मणिपुर के कई जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद 3 मई को पहली बार मणिपुर में झड़पें हुईं थी। मेइती मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। आदिवासी – नागा और कुकी – आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं।