केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्य पाल मलिक को उनके इस दावे के संबंध में पूछताछ के लिए बुलाया है कि उन्हें जम्मू-कश्मीर में उनके कार्यकाल के दौरान दो फाइलों को निपटाने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी।
सत्यपाल मलिक ने कहा कि, “सीबीआई ने मुझे उनके सामने पेश होने के लिए कहा है क्योंकि वे मामले के बारे में कुछ चीजें जानना चाहते हैं। उन्होंने मौखिक रूप से मुझे 27 या 28 अप्रैल को मेरी सुविधा के अनुसार आने के लिए कहा है।” हालांकि अभी तक सीबीआई ने सत्यपाल मलिक के इस दावे की पुष्टि नहीं की है।
इस बीच रिलायंस इंश्योरेंस केस में सत्यपाल मलिक को सीबीआई द्वारा बुलाए जाने की खबर सामने आने के बाद कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा कि, “आख़िरकार PM मोदी से रहा न गया। सत्यपाल मलिक जी ने देश के सामने उनकी कलई खोल दी। अब CBI ने मलिक जी को बुलाया है। ये तो होना ही था। एक चीज और होगी… ‘गोदी मीडिया’ अब भी चुप रहेगा, लिखकर रख लीजिए”।
आख़िरकार PM मोदी से रहा न गया।
सत्यपाल मलिक जी ने देश के सामने उनकी कलई खोल दी। अब CBI ने मलिक जी को बुलाया है।
ये तो होना ही था।
एक चीज और होगी… 'गोदी मीडिया' अब भी चुप रहेगा, लिखकर रख लीजिए।
— Congress (@INCIndia) April 21, 2023
सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि 23 अगस्त 2018 और 30 अक्टूबर 2019 के बीच जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान फाइलों को मंजूरी देने के लिए उन्हें 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी।
हाल ही में मलिक ने आरोप लगाया था कि योजना को पारित करने के लिए उन्हें आरएसएस और भाजपा नेता राम माधव द्वारा पैसे की पेशकश की गई थी। राम माधव ने आरोपों को निराधार बताया था और सत्यपाल मलिक के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। उन्होंने कहा था कि कश्मीर जाने के बाद उनके पास मंजूरी के लिए दो फाइलें आई थीं। इनमें से एक फाइल अंबानी की और दूसरी आरएसएस से जुड़े व्यक्ति की थी, जो पिछली महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री थे और प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) का बहुत करीब होने का दावा करते थे। मलिक ने कहा था कि मुझे दोनों विभागों के सचिवों द्वारा सूचित किया गया था कि ये एक घोटाला है और मैंने उसके अनुरूप ही दोनों डील्स को रद्द कर दिया था। मलिक ने यह भी बताया था कि सचिवों ने उनसे कहा था कि आपको हर फाइल को पास करने के लिए 150 करोड़ रुपये मिलेंगे।
पिछले साल अक्टूबर में सीबीआई ने इस मामले में सत्यपाल मलिक से पूछताछ की थी।
पिछले साल अप्रैल में, सीबीआई ने सरकारी कर्मचारियों के लिए एक समूह चिकित्सा बीमा योजना के ठेके देने और किरू पनबिजली परियोजना से संबंधित 2,200 करोड़ रुपये के सिविल कार्य में सत्यपाल मलिक द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों के संबंध में दो प्राथमिकी दर्ज की थी।
बता दें कि सत्यपाल मलिक को 2017 में बिहार के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्हें 2018 में जम्मू और कश्मीर भेजा गया था। मलिक के कार्यकाल में ही केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटा दिया था। इसके बाद उन्हें बतौर राज्यपाल मेघालय भेज दिया गया था। वह कर्ण सिंह के बाद 51 वर्षों में जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल के रूप में नियुक्त होने वाले पहले राजनेता थे। कर्ण सिंह का कार्यकाल 1967 में समाप्त हो गया था।
सत्यपाल मलिक ने अपना राजनीतिक जीवन मेरठ विश्वविद्यालय में एक छात्र नेता के रूप में शुरू किया और 1974 में विधायक बने। वे 1984 में कांग्रेस में शामिल हुए और राज्यसभा सांसद बने, लेकिन बोफोर्स घोटाले के बीच तीन साल बाद इस्तीफा दे दिया। वह 1988 में वीपी सिंह के नेतृत्व वाले जनता दल में चले गए और 1989 में अलीगढ़ से सांसद बने। 2004 में सत्यपाल मलिक भाजपा में शामिल हो गए और लोकसभा चुनाव में पूर्व प्रधान मंत्री चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह से हार गए। 4 अक्टूबर 2017 को बिहार के राज्यपाल के रूप में शपथ लेने से पहले, वह भाजपा के किसान मोर्चा के प्रभारी थे। वे 21 अप्रैल 1990 से 10 नवंबर 1990 तक केंद्रीय राज्य मंत्री, संसदीय कार्य और पर्यटन थे।