देशभर में आज महाशिवरात्रि पर्व की धूम है। इस त्योहार को भगवान महादेव और माता पार्वती के विवाह के उत्सव रूप में मनाने की परंपरा है। ये महापर्व पूरे देश में मनाई जाती है चाहे वह उत्तराखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, बिहार से लेकर कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश या फिर तेलंगाना हो। आज के दिन देश भर में भक्त शिव मंदिरों में जाते हैं, शिव की पूजा-अर्चना करते हैं और शिवलिंग पर दूध, धतूरा बेल पत्र, चंदन का पेस्ट, घी, चीनी और अन्य भोग सामग्री चढ़ाते हैं। शिव भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और अगली सुबह उपवास तोड़ते हैं। व्रत का पालन करते समय, भक्त सात्विक खाद्य पदार्थ जैसे कुट्टू, रागी, साबुदाना, फल और कुछ प्रकार की सब्जियां खा सकते हैं।
#WATCH | A 31.5 feet tall 'Rudraksha Shivling' has been made in Gujarat's Dharampur by using around 31 lakhs Rudrakshas.#MahaShivaratri pic.twitter.com/60W6416SPi
— ANI (@ANI) February 18, 2023
#WATCH | 'Bhasma Aarti' being performed at Mahakaleshwar Jyotirlinga temple in Ujjain, Madhya Pradesh, on the occasion of #MahaShivaratri pic.twitter.com/glpjpZLT5g
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) February 17, 2023
द्रिक पंचांग के अनुसार, जबकि दक्षिण भारतीय कैलेंडर माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाने की बात करता है, तो वहीं उत्तर भारतीय कैलेंडर फाल्गुन के महीने में महाशिवरात्रि मनाता है। हालांकि दोनों इस पर्व को एक ही दिन मनाते हैं। इस साल महा शिवरात्रि आज मनाया जा रहा है। निशिता काल पूजा का समय रात के 12:09 बजे से 01:00 बजे (19 फरवरी) तक है उसी प्रकार शिवरात्रि पारण का समय सुबह 06:56 बजे से शाम 03:24 बजे (19 फरवरी) तक है।
इस पवित्र हिंदू त्योहार के साथ कई किंवदंतियां भी जुड़ी हुई हैं।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने इस रात को दूसरी बार अपनी दिव्य पत्नी, मां शक्ति से विवाह किया था। ये पर्व उनके दिव्य मिलन के उत्सव में होता है। इस दिन को ‘भगवान शिव की रात’ के रूप में मनाया जाता है। जबकि भगवान शिव पुरुष का प्रतीक हैं – जो कि ध्यान है, माँ पार्वती प्रकृति का प्रतीक हैं – जो कि प्रकृति है। इस चेतना और ऊर्जा के मिलन से सृजन को बढ़ावा मिलता है।
एक अन्य कथा कहती है कि ब्रह्मांड के निर्माण के दौरान, भगवान शिव ने भगवान ब्रह्मा की कृपा से महा शिवरात्रि की मध्यरात्रि के दौरान भगवान रुद्र के रूप में अवतार लिया था। यह भी माना जाता है कि इस रात को, भगवान शिव ने अपनी पत्नी मां सती के बलिदान की खबर सुनकर सृजन, संरक्षण और विनाश का लौकिक नृत्य किया था। यह नृत्य उनके भक्तों के बीच रुद्र तांडव के रूप में जाना जाता है।
द्रिक पंचांग के अनुसार महासमुद्र मंथन के समय समुद्र से विष निकला था। इसमें पूरी सृष्टि को नष्ट करने की शक्ति थी। हालांकि, भगवान शिव ने जहर पी लिया और पूरी दुनिया को विनाश से बचा लिया। इसलिए, महाशिवरात्रि भगवान शिव के भक्तों द्वारा ब्रह्मांड के संरक्षण के लिए उन्हें धन्यवाद देने के लिए मनाई जाती है।