भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी पार्टी के सांसदों से ‘विकासोन्मुखी राजनीति’ पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह करते हुए उनसे कहा कि वे धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दों के बारे में टिप्पणी करने से बचें और विवादों से दूर रहें। उन्होंने कहा, ‘जो लोग बागेश्वर धाम की यात्रा करना चाहते हैं, उन्हें बिना हो-हल्ला मचाए इसे निजी तौर पर करना चाहिए।’
पार्टी के एक पदाधिकारी ने बताया कि नड्डा ने शुक्रवार को भाजपा सांसदों के साथ वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत की और ऐसे चीजों से परहेज करने की आवश्यकता को रेखांकित किया, जिन्हें ध्रुवीकरण के रूप में देखा जा सकता है। उन्होंने पार्टी सांसदों से नरेंद्र मोदी सरकार के “विकास एजेंडे” के इर्द-गिर्द ही केंद्रित रहने को कहा।
पार्टी के एक पदाधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि, “बैठक में बजेप के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा ने सांसदों से कहा कि उन्हें नस्ल, धर्म और संस्कृति के मुद्दों पर खुद को विशेषज्ञ के रूप में स्थापित नहीं करना चाहिए। उन्हें विवादों में शामिल होने या बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जैसे विवादास्पद व्यक्तित्वों के लिए बोलने की आवश्यकता नहीं है।”
हालांकि जे पी नड्डा ने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन भाजपा सांसद मनोज तिवारी को हाल ही में शास्त्री के साथ मंच साझा करते और “हिंदू राष्ट्र” की प्रशंसा में गीत गाते हुए देखा गया था।
मालूम हो कि हाल ही में, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित कई भाजपा नेताओं ने छतरपुर जिले के बागेश्वर धाम का दौरा किया है। इस बागेश्वर धाम का धीरेन्द्र शास्त्री भारत को “हिंदू राष्ट्र” कैसे होना चाहिए, इस बारे में अपने किए गए टिप्पणियों को लेकर विवादों में है।
नड्डा ने सांसदों से कहा कि उन्हें केंद्रीय बजट के प्रावधानों, संसद में राष्ट्रपति के संयुक्त अभिभाषण के पहलुओं, बूथ स्तर पर पार्टी की उपस्थिति को मजबूत करने और अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में खेल आयोजनों के बारे में जागरूकता पैदा करने पर ध्यान देना चाहिए।
बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब बीजेपी ने अपने नेताओं को धार्मिक मुद्दों और प्रथाओं पर विवादों से खुद को अलग करने का निर्देश दिया है। पिछले साल एक टेलीविजन बहस के दौरान पैगंबर मोहम्मद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए पार्टी ने अपने प्रवक्ता नूपुर शर्मा को निष्कासित करने के बाद, बीजेपी नेतृत्व ने प्रवक्ताओं को धार्मिक मुद्दों पर बहस में भाग लेने से रोक दिया था।
इसी साल जनवरी महीने में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधान मंत्री मोदी ने पार्टी नेताओं को सरकार के विकास एजेंडे से ध्यान हटाने वाली टिप्पणियों से बचने का निर्देश दिया था।