नागालैंड में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस नेता ने नागालैंड में ‘टूटे हुए वादों की लिस्ट’ को लेकर पीएम और नागालैंड की सरकार पर तंज कसा। उन्होंने नागालैंड में पिछले विधानसभा चुनाव के लिए पीएम मोदी के नारे को याद किया और कहा कि राज्य के दीर्घकालिक राजनीतिक मुद्दे का कोई समाधान नहीं हुआ है।
जयराम रमेश ने एक ट्वीट में कहा, ““2018 नागालैंड चुनावों के लिए प्रधान मंत्री का नारा ‘Election for Solution’ था। पांच साल बाद, टूटे वादों और लंबे दावों की लंबी सूची के साथ कोई समाधान नहीं होने के कारण, पीएम 2023 के चुनावों के लिए केवल एक ही चीज की पेशकश कर सकते हैं, वह है ‘Election for Confusion’ का नारा।
The PM's slogan for the 2018 Nagaland polls was ‘Election for Solution’. Five years later, with NO solution alongwith a long list of broken promises and tall claims, the only thing the PM can offer for 2023 polls is the slogan an ‘Election for Confusion’.
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) February 18, 2023
जयराम रमेश ने नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से पूछा कि 13 वीं नागालैंड विधानसभा की अवधि के दौरान नागा मुद्दे का समाधान करने से उन्हें किसने रोका? रमेश ने आगे पूछा, “क्या उन्होंने सोचा कि 13 एक अशुभ संख्या थी।” 14 वीं नागालैंड विधानसभा के लिए चुनाव 27 फरवरी को होंगे। उन्होंने कहा, “2018 में भाजपा का एजेंडा समाधान के लिए चुनाव था, जबकि एनडीपीपी ने नारा दिया था परिवर्तन आ रहा है, फिर भी हम वहीं हैं”।
कांग्रेस नेता ने कहा कि पीवी नरसिम्हा राव, आईके गुजराल, देवेगौड़ा और अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर कई पूर्व प्रधानमंत्रियों ने नागा वार्ता को वर्षों पहले आगे बढ़ाया था, लेकिन मोदी केवल 2015 में एक रूपरेखा समझौता ला सके।
कांग्रेस के दिग्गज नेता ने यह भी बताया कि मोदी सरकार द्वारा 2015 में तैयार किए गए रूपरेखा समझौते के विवरण को गुप्त रखा गया था। उन्होंने कहा- ‘हमें कभी नहीं पता चला कि इसमें क्या था, जब तक विवरण लीक होना शुरू नहीं हुआ। फिर भी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया’।
कांग्रेस सांसद की यह टिप्पणी 27 फरवरी को होने वाले नागालैंड विधानसभा चुनाव से पहले आई है। उन्होंने मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो और दिल्ली में उनके आकाओं से राज्य के लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे का राजनीतिक समाधान नहीं निकालने के कारणों के बारे में पूछा।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने नागालैंड के दीमापुर में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि, “पिछले पांच वर्षों में, राज्य सरकार के पास लोकसभा और राज्यसभा में भाजपा के पास जो बहुमत था, उनके मन में जो भी समाधान था, वह पहले ही हो चुका होगा।”
जयराम रमेश ने जिन दशकों पुराने मुद्दे का जिक्र किया, उसमें नागालैंड के लिए अलग झंडे और संविधान की प्रमुख मांगें शामिल हैं। 1997 से केंद्र सरकार के साथ नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम-इसाक मुइवा (NSCN-IM) और 2017 से नागा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप (NNPG) की वर्किंग कमेटी के साथ अलग-अलग बातचीत की गई है। मूल मांगों को सामने रखने के लिए ये दोनों निकाय सबसे आगे रहे हैं। इसी तरह ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) भी अलग राज्य की मांग कर रहा है।
NSCN-IM के साथ 2015 में केंद्र सरकार के साथ एक रूपरेखा समझौता किया गया था और 2017 में NNPG की सहमति ली गई थी। हालांकि, इस मामले पर अंतिम समाधान होना अभी बाकी है।