महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच 65 सालों से चला आ रहा सीमा विवाद एक बार फिर सुर्ख़ियों में है। बीते दिन मंगलवार को दोनों राज्यों की सीमा पर कन्नड़ रक्षक वेदिका नाम के एक संगठन ने महाराष्ट्र से आने वाली ट्रेनों को नुकसान पहुंचाया। कर्नाटक के बेलगावी में कन्नड़ रक्षण वेदिका (कर्वे) संगठन के कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र के वाहनों पर पत्थरबाजियां कीं, बसों और ट्रकों के शीशे तोड़ डाले, नंबर प्लेट उखाड़े और बस और ट्रकों की छतों पर चढ़ कर कन्नड़ रक्षण वेदिका के झंडे लहराए। मालूम हो कि महाराष्ट्र और कर्नाटक का यह सीमा विवाद तब गरमा रहा है जब महाराष्ट्र में भी शिंदे गुट और बीजेपी की सरकार है और कर्नाटक में भी बसवराज बोम्मई की बीजेपी सरकार है। कन्नड़ रक्षण वेदिका और महाराष्ट्र एकीकरण समिति के कार्यकर्ता लंबे समय से एक दूसरे से भिड़ते रहे हैं।
#WATCH | Karnataka: Police detain workers of Karnataka Rakshana Vedike, at Hire Bagewadi in Belagavi, after they pelted stones on a truck and stopped trucks which had registration done in Maharashtra. They also staged a sit-in protest. pic.twitter.com/FdNZ6sfdsW
— ANI (@ANI) December 6, 2022
दरअसल, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने महाराष्ट्र के 40 गांवों पर अपना दावा ठोका है। इसके जवाब में महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र का कोई भी गांव कहीं नहीं जाएगा। फडणवीस ने कहा कि मैंने स्वयं कर्नाटक के मुख्यमंत्री से बात की है और उन्हें कहा है कि इस प्रकार की घटना होना ठीक नहीं है। अगर महाराष्ट्र की गाड़ियों पर हमला हो रहा है तो ये ठीक नहीं है। मुझे कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया है कि वो इस पर कार्रवाई करेंगे। मैं इस मामले को देश के गृह मंत्री अमित शाह तक लेकर जाऊंगा. मुझे लगता है कि जो मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा उस पर हिंसा हो, ये ठीक नहीं है।
I've spoken with Karnataka CM, he gave positive response. Our constitution provides everyone the right to live & work in any state. I will take this issue to HM Amit Shah. I request people of Maharashtra to not react: Dy CM Devendra Fadnavis on Karnataka-Maharashtra border issue pic.twitter.com/OX5QExv7Qn
— ANI (@ANI) December 6, 2022
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी इस घटना को लेकर चिंता जाहिर की और चेतावनी देते हुए कहा कि कर्नाटक में महाराष्ट्र के वाहनों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। 24 घंटे में हमले नही रूके तो आगे जो होगा उसकी जिम्मेदारी कर्नाटक सरकार की होगी। ये देश की एकता के लिए खतरा है। सीमा विवाद पर केंद्र सरकार को मध्यस्ता करनी चाहिए. हम 24 घंटे देखेंगे की कर्नाटक की भूमिका क्या है? परिस्थिति बिगड़ी तो जिमेदारी कर्नाटक सरकार की होगी। उन्होंने कहा कि मराठी लोगों के आसपास दहशत का बनाया जा रहा है। डर का माहौल पैदा करने की कोशिश हो रही है। महाराष्ट्र ने अब तक संयम बरता है, लेकिन अब बर्दास्त की सभी सीमा पार हो रही है। कर्नाटक सरकार की तरफ से चिढ़ाने वाले वक्तव्य दिए जा रहे हैं। केंद्र सरकार के मूकदर्शक बने रहने से काम नहीं चलेगा। कर्नाटक चुनाव नजदीक आ रहे हैं, इसलिए ये मुद्दा गरमाता नजर आ रहा है।
शरद पवार ने कहा कि वे महाराष्ट्र के सांसदों से कहेंगे कि केंद्रीय गृहमंत्री से इस संदर्भ में हालात को नॉर्मल करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग करें। अगर यह नहीं किया गया तो जो भी अंजाम होगा उसकी जिम्मेदार कर्नाटक और केंद्र सरकार होगी।
Mumbai | Despite CM Shinde's talk with Karnataka CM, he has not shown any softness on the issue…One must not test our (Maharashtra) patience & this shouldn't go in the wrong direction: NCP Chief Sharad Pawar on the border issue pic.twitter.com/nrsfGq9r6X
— ANI (@ANI) December 6, 2022
तो वहीं कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने कहा है कि उनकी सरकार सीमा और कन्नड भाषियों के हितों की रक्षा करने को प्रतिबद्ध है। बोम्मई ने कहा कि महाराष्ट्र ने इस विवाद को उठाया और कर्नाटक की ओर से प्रतिक्रिया आई। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा उच्चतम न्यायालय के समक्ष है. हमारा रुख कानूनी और संवैधानिक है, इसलिए हमें भरोसा है कि हम इस कानूनी लड़ाई को जीतेंगे।
This stand of Karnataka had nothing to do with elections, it is a long dragged issue by Maharastra. These tensions are created because of Maharashtra. There is prosperity among people of both states, this (Border issue) is in SC & I'm sure we'll win the legal battle: Karnataka CM pic.twitter.com/geRleBYSGg
— ANI (@ANI) December 6, 2022
इस पूरे मामले को लेकर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सरकार पर हमलावर हो गए है। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे में बोम्मई के खिलाफ बोलने का साहस नहीं है। क्या हमने अपना साहस खो दिया है, क्योंकि कर्नाटक के CM महाराष्ट्र के गांवों पर अपना दावा कर रहे हैं। ठाकरे गुट और उनके समर्थकों की ओर से कहा जा रहा है कि अगर उन्होंने (कर्नाटक के लोगों ने) 5 गाड़िया तोड़ी, तो हम 50 तोड़ेंगे।
इस सीमा विवाद के बीच महाराष्ट्र सरकार ने कर्नाटक के लिए बस सेवाएं भी रोक दी हैं। महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक शेखर चन्ने का कहना है कि कर्नाटक जाने वाले यात्रियों की सुरक्षा और उनकी संपत्ति को नुकसान से बचाने के लिए यह फैसला लिया गया है।
दरअसल, महाराष्ट्र-कर्नाटक के सीमावर्ती इलाकों में बेलगावी, निपाणी, कारवार जैसे कुछ जगहों पर मराठी भाषियों की तादाद ज्यादा होने के आधार पर महाराष्ट्र का इन इलाकों पर हमेशा से दावा रहा है। लेकिन बदले में कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने महाराष्ट्र के सोलापुर और अक्कलकोट के कुछ इलाकों पर दावा कर दिया और कहा कि वहां के लोग कर्नाटक में शामिल होना चाहते हैं।
दोनों राज्यों के बीच ये सीमा विवाद का मुद्दा क्या है?
साल 1956 में भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन हुआ। इस दौरान महाराष्ट्र के नेताओं ने मराठी भाषी बेलगाम, खानापुर, निप्पानी, नांदगाड और कारवार को महाराष्ट्र में वापस शामिल करने मांग की। दोनों राज्यों के बीच इन्हीं इलाकों को लेकर विवाद चला आ रहा है। विवाद बढ़ने पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मेहर चंद महाजन के नेतृत्व में आयोग का गठन किया था। विवाद की शुरुआत होने का एक और कारण ये था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री एस. निजालिंग्पा, प्रधानमंत्री इंदिरा गांदी और महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीपी नाइक के साथ बैठक करने के लिए मान गए थे। आयोग ने जब अपनी रिपोर्ट दी तो उसमें बेलगावी को महाराष्ट्र में मिलाने से साफ इंकार कर दिया गया। दोनों राज्यों के बीच विवाद इतना बढ़ा कि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री के बीच हुई बैठक में भी इसका हल नहीं निकला। दोनों ही राज्य अपनी जगह न छोड़ने पर अड़े रहे।
राजनीतिक विश्लेषकों का माना है कि महाराष्ट्र के लोग अपनी मराठी भाषा को लेकर काफी संवेदनशील होते हैं इसलिए यह मुद्दा कभी खत्म नहीं हुआ। राजनीतिक दल भी लगातार इस मुद्दे को उठाते रहते हैं। इसके जरिए वो अपनी पहचान के साथ अपनी उम्मीदें भी जाहिर करते रहते हैं। वह कहते हैं, अगर यह मुद्दा दब गया तो इसे दोबारा उठाना मुश्किल हो जाएगा। इससे मराठी अस्मिता से जोड़ा गया है। अलग हुए मराठी भाषी इलाकों को वापस महाराष्ट्र में मिलाने के लिए पिछले कई दशकों से कोशिशें जारी हैं। इसके लिए महाराष्ट्र एकीकरण समिति का गठन किया गया। इस समिति के प्रतिनिधि लगातार कर्नाटक विधानसभा क्षेत्र में जाते रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में इनकी संख्या में कमी आई है।