कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के राजस्थान चैप्टर के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच का झगड़ा अब राजस्थान हाई कोर्ट में दस्तक दे चुका है। राजधानी जयपुर में हुए 25 सितंबर की घटना के दौरान विधायकों और मंत्रियों के इस्तीफा देने के मामले में आज राजस्थान हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। हाई कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष और विधानसभा सचिव को नोटिस जारी कर मामले में 2 हफ़्ते में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। अदालत ने पूछा कि क्या राजस्थान के विधायक और मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं? वर्तमान में क्या स्थिति है? इस संबंध में कोर्ट को पूरी जानकारी दी जाए।
मामले की सुनवाई के दौरान राजस्थान सरकार ने इस याचिका का विरोध किया। सरकार के अधिवक्ता ने कोर्ट से कहा है कि ये जनहित याचिका नहीं है। ये जनता से जुड़ा हुआ मामला नहीं है। इस पर बहस का जवाब देते हुए BJP नेता और अधिवक्ता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि मंत्री और विधायक इस्तीफा देकर काम करें तो यह जनता से जुड़ा हुआ ही मामला है। मालूम हो कि इस मामले में राजेंद्र राठौड़ ने ही राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।
मामला क्या है?
ये घटना इसी साल 25 सितंबर का है। कांग्रेस की तब की अध्यक्ष सोनिया गांधी के आदेश पर राजस्थान के प्रभारी अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को पर्यवेक्षक के तौर पर जयपुर भेजा गया था। वहां पर सीएम हाउस में नए मुख्यमंत्री का नाम फाइनल करने के लिए विधायक दल की बैठक होनी थी। ये वही समय था जब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की चर्चाएं जोड़ों पर थीं।
ऐसा माना जाता है कि अशोक गहलोत खेमे के विधायकों और मंत्रियों को ये आशंका हुई कि पार्टी आलाकमान सचिन पायलट को विधायक दल का नेता चुनने वाला है। और बस इसी को लेकर विवाद पैदा हो गया और गहलोत खेमे के विधायक बागी हो गए। फिर सभी मंत्री शांतिलाल के घर पर जमा हुए और सामूहिक इस्तीफा देने का फैसला किया। बाद में ये सभी विधायक बसों में बैठकर विधानसभा अध्यक्ष के आवास पर पहुंच गए और सबने स्पीकर को इस्तीफा सौंप दिया। इस घटनाक्रम के बाद धायक दल की बैठक जो प्रस्तावित थी, वो नहीं हो सकी।
इस घटना की जानकारी मिलने के बाद पार्टी आलाकमान भी नाराज हो गया। राज्य के प्रभारी अजय माकन की नाराजगी भी साफ तौर पर जाहिर हुई। उन्होंने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पूरे घटना की रिपोर्ट दी। उसके बाद अजय माकन की रिपोर्ट को ही देखते हुए आलाकमान ने तीन नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इस घटनाक्रम को लेकर अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से माफी मांगी थी। बाद में सचिन पायलट भी दिल्ली पहुंचे थे और उन्होंने सोनिया गांधी से मुलाक़ात की थी।
बता दें कि गहलोत और पायलट के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर चार साल से जंग चल रही है। जुलाई 2020 में सचिन पायलट और उनके समर्थित विधायकों ने बगावत कर दी थी। पायलट सहित कुल 19 विधायक मानेसर जा बैठे थे। सरकार बचाने के लिए गहलोत को 34 दिन तक होटलों में रहना पड़ा। आखिर में प्रियंका गांधी की दखल के बाद सुलह हुई और पायलट राजी हुए। इसके बावजूद भी 14 अगस्त 2020 को गहलोत को सदन में बहुमत साबित करना पड़ा था।