प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेशों का अनुपालन न करने पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के निदेशक (प्रशासन) पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने कहा कि जुर्मान की यह रकम निदेशक को एक महीने में याची को देना है। इसके साथ ही कोर्ट ने को दो हफ्ते में सेवा बहाली आदेश दिया है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति आलोक माथुर की एकल खंडपीठ कर रही थी।
देश बंधु तेज नारायण मिश्रा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व तीन अन्य के मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य ने कोर्ट के आदेशों की उपेक्षा करते हुए अवहेलना की है। कोर्ट ने निदेशक प्रशासन की ओर से दाखिल किए गए हलफनामें पर भी असंतोष जताया और प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को निर्देशित किया है कि वे मामले को देखे और न्यायालय के आदेशों का पालन कराएं। हाईकोर्ट ने कहा कि प्रमुख सचिव मामले की जांच कराएं और कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने वाले अधिकारियों केखिलाफ कार्रवाई करें।
हाईकोर्ट ने पूछा कि जब याची को उनकी सेवा बहाली का आदेश दिया गया तो उसका अनुपालन क्यों नहीं कराया गया? कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के अफसरों इस उपेक्षात्मक रवैये पर हैरानी जताई है। मामले में याचियों ने अपनी सेवा बहाली और वेतन के भुकतान की मांग की है। याची का कहना है कि उसके पिता की मौत के बाद उसकी नियुक्ति शंकरगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर जूनियर क्लर्क के रूप में की गई। दो साल बाद सीएमओ ने एक आरोप में मुख्य चिकित्साधिकारी ने बर्खास्त कर दिया। कोर्ट ने मामले में आदेश पारित करते हुए सेवा बहाली का आदेश दिया था लेकिन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने कोर्ट के आदेशों का अनुपालन नहीं किया। इस पर कोर्ट ने सुनवाई करते दो हफ्ते में सेवा बहाली का आदेश देते हुए दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।