भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इतिहास की दृष्टि से देश के एक ऐसे प्रधानमंत्री बन गए हैं जिन्होंने अपने कार्यकाल के सात साल की अवधि में ही अमेरिका के तीन राष्ट्रपतियों के साथ काम करने का सौभाग्य हासिल किया। अमेरिका के ये तीन राष्ट्रपति किसी एक पार्टी के टिकट पर जीते हुए नहीं बल्कि अमेरिका की दो परस्पर विरोधी कही जाने वाली पार्टियों के उम्मीदवार की हैसियत से चुनाव जीत कर देश के सबसे पुराने लोकतांत्रिक देश के राष्ट्रपति बने। अमेरिका की ये दो प्रमुख पार्टियां हैं रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स।
2014 मई के महीने में जब नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधान्म्नात्री बने थे तब डेमोक्रेट पार्टी के बराक ओबामा में अमेरिका के राष्ट्रपति थे। अमेरिका में हर चार साल में राष्ट्रपति का चुनाव होता है। बराक ओबामा मोदी के प्रधानमंत्री बनाने से दो साल पहले 2012 में संपन्न चुनाव में मिली जीत के बाद राष्ट्रपति बने थे लेकिन चाल साल बाद 2016 के चुनाव में उनकी पार्टी की हार हो जाने की वजह से प्रतिद्वंदी रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए थे। इसके चार साल बाद 2020 में हुए चुनाव में ट्रम्प की पार्टी चुनाव हार गईथी इस वजह से एक बार फिर आमेरिका की सत्ता डेमोक्रेट्स के हाथ लग गई और जो बाईडेन अमेरिका के राष्ट्रपति बने।
इस बीच 2019 के लोकसभा चुनाव में भारत की जनता ने एक बार फिर भाजपा को भारी बहुमत के साथ विजय दिलाई और नरेन्द्र मोदी फिर से देश के प्रधानमंत्री बने। इस तरह से देखें तो अमेरिका की राजनीति के पिछले नौ साल में वहाँ दो बार सत्ता परिवर्तन हुआ जबकि भारत में पिछले सात साल में देश की कमान एक ही व्यक्ति और एक ही पार्टी के हाथ में है। यही वजह है कि इस अवधि में भारत के एक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका के अलग – अलग राजनीतिक संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले तीन अलग – अलग किस्म और सोच के राष्ट्रपतियों के साथ अपने अंदाज में वैश्विक समीकरण साधने का सिलसिला जारी रखा।
गौरतलब है किविगत 22 से 25 सितम्बर तक आयोजित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यह अमेरिका यात्रा सात साल के कार्यकाल में उनकी सातवीं अमेरिका यात्रा भी है . कोरोना महामारी के वैश्विक संक्रमण के चलते साल 2020 में दुनिया के नेताओं का देश – विदेश का कोई भी दौरा नहीं हो सका था इसलिए नरेन्द्र मोदी भी कहीं नहीं जा सके थे ,इस वजह से उस साल उनका अमेरिका जाना भी नहीं हो सका था लेकिन 2014 से लेकर 2019 के बीच की अवधि में 2016एक ऐसा साल भी था जब नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री की हैसियत से एक साल में दो बार अमेरिका की यात्रा पर गए थे . इस तरह कार्यकाल के हर साल एक बार अमेरिका जाने का कोटा तो पूरा हो ही गया . उनकी पिछली अमेरिका यात्राओं पर चर्चा करनी प्रासंगिक है लेकिन इससे पहले यह जानना भी बहुत जरूरी है कि प्रधानमंत्री की ताजा अमेरिका यात्रा को किस रूप में अलग कहा जा सकता है . इस बार श्री मोदी के स्वागत सम्मान में प्रोटोकॉल का कितना पालन हुआ / कोरोना संक्रमण के चलते क्या मियाँ रह गयी . सभी बातों पर चर्चा करने से पहले यह जानना जरूरी है किसंयुक्त सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति का रुख क्या रहा . इस लिहाज से दीखें तो यह श्री मोदी का यह अमेरिका दौरा सफल कहा जा सकता है क्योंकि वाशिंगट नस्थित अमेरिकी राष्ट्रपति के आधिकारिक निवास और कार्यालय में संपन्न एक ख़ास मुलाकात में अमेरिका के राष्ट्रपति जो. बाइडेन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह बताया था कि उनका देश और उनकी सरकार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में नयी दिल्ली के प्रवेश के समर्थक हैं .. इसी कड़ी में जब हम भारत के प्रधानमंत्री की हैसियत से नरेन्द्र मोदी की पिछली आधा दर्जन अमेरिका यात्राओं की चर्चा करते हैं तो पता चलता है किउनकी यात्राओं का एजेंडा हर बार बदलता ही रहा है।
साल 2014 को मई महीने के अंतिम सप्ताह में प्रधानमंत्री बनने के बाद उसी साल जब सितम्बर के महीने पहली बार इस हैसियत से नरेन्द्र मोदी अमेरिका गए थे तब मेडिसन स्क्वायर पार्क में आयोजित कार्यक्रम में मोदी का हिंदी भाषण इतना चर्चित हो गया था कि मेडिसन को भी लोग मोडीसन कहने लग गए थे। इस कार्यक्राम के दौरान राष्ट्रपति ओबामा की उपस्थिति ने मोदी – ओबामा जोड़ी को भी चर्चित कर दिया था। अपने इस पहले अमेरिकी प्रवास के दौरान नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद, , सुरक्षा और ख़ुफ़िया तंत्र के अलावा अफगानिस्तान के मुद्दों पर अमेरिका के साथ मिल कर कम करने पर जोर दिया गया था।
2015 में श्री मोदी दूसरी बार अमेरिका के दौरे पर गए थे। तब मुख्य एजेंडा संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र को संबोधित करना ही था लेकिन उनका यह दौरा इसलिए भी चर्चित हो गया क्योंकि इस दौरान उन्होंने अमेरिका में भारतीय तकनीकी उद्यमियों का केंद्र कही जाने वाली सिल्कोन वैली की यात्रा करने के साथ ही फेसबुक , गूगल और टेस्ला मोटर्स के परिसरों की यात्रा भी की थी और फेसबुक के सीईओ जुकरबर्ग से मुलाक़ात भी की थी।
2016 में अपनी तीसरी अमेरिका यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो दिवसीय परमाणु शिखर सम्मेलन में भाग लिया था। इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए 50 देशों के प्रतिनिधि वहां आये थे। इसी साल दूसरी बार श्री मोदी फिर अमेरिका के दौरे पर गए थे। इस लिहाज से यह उनका चौथा अमेरिका दौरा था और इस दौरे में उन्होंने अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया था। भारत की दृष्टि से यह दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाना चाहिए क्योंकि ऐसा सम्मान नरेन्द्र मोदी को मिलकर अभी टाक भरता के पांच प्रधानमंत्रियों को ही मिल सका है। 2017 में जब श्री मोदी पांचवीं बार अमेरिका यात्रा पर गए थे तब ओबामा के स्थान पर ट्रम्प अमेरिका के राष्ट्रपति बन चुके थे। भारत – अमेरिका के नेताओं की एक नई ट्रम्प – मोदी के रूप में बनी वाइट हाउस में ट्रम्प ने पहली बार मोदी के सम्मान में वर्किंग डिनर की मेजबानी की थी। मोदी की छठी अमेरिका यात्रा साल 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव से करीब एक साल पहले 2019 में हुई थी और यह यात्रा हाउ डी मोदी जैसे कार्यक्रम की वजह से बहुत चार्चित भी हो गई थी।