शहीद भगत सिंह की जयंती पर कांग्रेस का दामन थामने वाले युवा नेता कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवाणी कितने महत्वपूर्ण साबित होंगे ये तो वक्त बतायेगा, पर जिस तरह से कांग्रेस में नये सदस्यों की एंट्री हो रही हैं वो जाहिर है भविष्य के चुनाव और पार्टी के साथ संगठन को मजबूती देने के उद्देश्य से हो रही हैं। राहुल गांधी धीरे-धीरे अपनी टीम तैयार कर रहे हैं।
राहुल गांधी पिछले 7 साल से लगातार मोदी सरकार के खिलाफ संविधान का संरक्षण उसके अधिकारों को लेकर लड़ रहे हैं। ऐसे में इन दोनों का साथ एक और एक 11 बन सकते हैं।
कांग्रेस और राहुल के सामने इस समय देश के भीतर, आदिवासियों की समस्या, किसान, महिलाएं, बेरोजगारी, कुपोषण जैसे बड़े मुद्दे है।
कन्हैया ने पार्टी जॉइन करने के बाद कहा, कांग्रेस पार्टी इसलिए ज्वाइन कर रहा हूं, कि मुझे ये महसूस होता है कि इस देश में कुछ लोग, वो सिर्फ लोग नहीं हैं, वो एक सोच है, वो इस देश की सत्ता पर ना सिर्फ काबिज हुए हैं, इस देश की चिंतन परंपरा, संस्कृति, इसका मूल्य, इसका इतिहास, इसका वर्तमान और इसका भविष्य खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। वो जो सोच है, उस सोच के बारे में आप अपने आप समझ जाएंगे, क्योंकि कहीं मैंने पढ़ा था कि आप अपने दुश्मन का चुनाव कीजिए, अपने विपक्ष का चुनाव कीजिए, दोस्त अपने आप बन जाएंगे। तो हमने ये चुनाव किया है। हम इस देश की सबसे पुरानी पार्टी, सबसे लोकतांत्रिक पार्टी, मैं जोर देकर बोल रहा हूं, लोकतांत्रिक पार्टी, ताकि आप लोग परिवारवाद पर सवाल जरुर कीजिएगा। लोकतांत्रिक पार्टी में हम इसलिए शामिल होना चाहते हैं कि हमें लगता है और सिर्फ हमें नहीं लगता है, इस देश के लाखों, करोड़ों नौजवानों को ये लगने लगा है कि अगर कांग्रेस नहीं बची, तो देश नहीं बचेगा और ये बात मैं आपको स्पष्ट कर देता हूं, देश में प्रधानमंत्री अब भी हैं, देश में प्रधानमंत्री इससे पहले भी थे, देश में आगे भी प्रधानमंत्री होते रहेंगे, लेकिन आज जब हम लोग श्री राहुल गांधी की उपस्थिति में फॉर्मली कांग्रेस पार्टी का फॉर्म भर रहे थे, जो साथी जिग्नेश ने संविधान की कॉपी दी और हमने उनको भगत सिंह, गांधी और अंबेडकर की तस्वीर प्रस्तुत की, क्योंकि हमारा ये मानना है कि आज इस देश को भगत सिंह जी की वीरता की जरुरत है। भगत सिंह जी के साहस की जरुरत है। आज इस देश को अंबेडकर की समानता की जरुरत है और आज इस देश को गांधी जी की एकता की जरुरत है।
गांधी जब कहते हैं- रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीताराम, ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, सबको सनमती दे भगवान। ये गांधी की एकता है। जब अंबेडकर जी कहते हैं कि किसी भी समाज का मूल्यांकन वहाँ महिलाओं की स्थिति क्या है, इस बात से होगा, तब वो समानता की वकालत कर रहे होते हैं। मैं नहीं मानता हूं कि डॉ. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर किसी एक समुदाय के नेता थे। कांग्रेस पार्टी ने, संविधान सभा ने डॉ. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को संविधान बनाने की जिम्मेदार दी और उस संविधान के प्रिएंबल मे यह लिखा है – हम भारत के लोग भारत को एक प्रभुत्व संपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के लिए हैं, जिसमें समानता, न्याय के मूल्य निहित हैं और जब भगत सिंह जी कहते हैं कि आप व्यक्ति को कुचल सकते हैं, विचारों को नहीं। आप बम और पिस्तौल से कभी इंकलाब नहीं ला सकते हैं, उस साहस की जरुरत है हमें। मुझे नहीं लगता है, मेरे बहुत सारे राजनीतिक दोस्तों को ये लगता है। मुझे लगता है कि यह देश 1947 से पहले वाली स्थिति में चला गया है। लेकिन जिनको लगना है, उनके पॉलिटिकल इमेजीनेशन में आज भी हर कोई अपना-अपना शोरुम बचाने के चक्कर में हैं। अरे भाई, मॉल में आग लग गई है, दुकान बचाओगे? बस्ती में जब आग लग जाती है ना, तो बेडरुम की चिंता नहीं करनी चाहिए।
आज हम इस मुहाने पर खड़े हैं कि इस देश के भीतर भारतीय होने की जो पहचान है, जिसमें बुद्ध निहित हैं, जिसमें कबीर निहित हैं, जिसमें नानक निहित हैं, जिसमें हर बार, हर दौर में सत्ता से सवाल पूछने का सबब होता है, उस भारतीय चिंतन परंपरा को बचाने की जरुरत है। इसलिए हम कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए हैं कि कांग्रेस पार्टी वो पार्टी है, जो गांधी जी की विरासत को लेकर आगे चलेगी। कांग्रेस पार्टी वो पार्टी है, जो सरोजनी नायडू जी के विचारों को आगे लेकर चलेगा। कांग्रेस पार्टी वो पार्टी है जो अंबेडकर, नेहरु, अशफ़ाक उल्ला ख़ान, शहीद-ए-आजम भगत सिंह और मौलाना अबुल कलाम आजाद के रास्तों पर चलेगा। हम जब भी समानता और बराबरी की बात करते हैं, यह कुछ व्यक्तियों तक सीमित नहीं है, ये भारतीय होने का इतिहास है और इस भारतीय होने के इतिहास को अपने आप में यदि कोई समेटे हुए है, तो देश की सबसे पुरानी पार्टी है और जो लोग कह रहे हैं, विपक्ष कमजोर हो गया है, यह सिर्फ विपक्ष के लिए चिंता की बात नहीं है, यह मैं नहीं कह रहा हूं, कोई शास्त्र, कोई किताब उठाकर देख लीजिए, जब विपक्ष कमजोर हो जाता है, सत्ता तानाशाही रुख अख्तियार कर लेती है।
इसलिए देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी, मैं कोई गुणा, गणित नहीं कर रहा हूं, लेकिन मुझे यह बात सीधे तौर पर समझ में आ रही है कि देश के लोकसभा में 545 सीट हैं, 200 लगभग सीट ऐसे हैं, जहाँ भाजपा के सामने कांग्रेस के अलावा कोई विकल्प नहीं है। मैं ये नहीं कह रहा हूं कि मेरी जिम्मेदारी सिर्फ एक पार्टी के लिए है, लेकिन जो पार्टी सबसे बड़ी पार्टी है, सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है, उस पार्टी को अगर नहीं बचाया गया, अगर बड़े जहाज को नहीं बचाया गया, तो छोटी-छोटी कश्तियां भी नहीं बचेंगी और जब मैं यहाँ बैठा हुआ हूं, मेरे इतिहास को, मेरे वर्तमान को लोग देख रहे हैं। बहुत सारे सवाल हैं, वो आएंगे, उनका जवाब मैं दूंगा। लेकिन यह जो ऐतिहासिक जिम्मेदारी है, उस जिम्मेदारी से मैं अपना मुँह नहीं मोड़ सकता हूं।