वाराणसी: तक्षकपोस्ट लगातार बरियासनपुर के इस कॉलेज के फर्ज़ीवाड़े पर पड़ताल कर रहा है। समय-समय पर छात्रों और अभिवावकों के संज्ञान में इस फर्ज़ीवाड़े की ख़बर तक्षकपोस्ट के द्वारा लिखी गई है, जिससे घबराकर महादेव महाविद्यालय ने वाराणसी के लोकल पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर दबाव डालने की कोशिश की, पैसे के बदले खबर रोकने की पेशकश भी हुई और सफल ना होने पर एक वकील के माध्यम से नोटिस भेज कर धमकी की कारवाई…..लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात क्योंकि इस मामलें से जुड़ें सारे साक्ष्य चीख-चीख कर महादेव के फर्ज़ीवाड़े की गवाही दे रहे हैं।।
महादेव महाविद्यालय 2009 से बीएड कोर्स चला रहा है, पर बड़ा गंभीर सवाल ये है कि बिना कागज़ों के चल कैसे रहा हैं ?
दिल्ली की सामाजिक संस्था बोधिसत्व फाउंडेशन को इस फर्ज़ीवाड़े की शिकायत “महादेव महाविद्यालय” के फर्ज़ीवाड़े के शिकार जमीन के मालिक संतोष सिंह के द्वारा पिछले साल की शुरुआत में की गई, संस्था ने संतोष सिंह के द्वारा मिले साक्ष्यों के आधार पर जब छानबीन शुरू की तो चौकानें वाला सच सामने आया जिसमें ये बात निकली की महादेव महाविद्यालय ने फ़र्ज़ी CLU ऑर्डर के बिना पर NCTE से मान्यता ली, ना फ़र्ज़ी बल्कि 420 करके मंत्रालय और NCTE को गुमराह भी किया।
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संतोष सिंह और उनके पारिवारिक सदस्यों के शिकायत को NCTE के 2018 के भ्रष्ट अधिकारियों ने पैसे लेकर बलहीन और आधारहीन बता दिया, परेशान होकर संतोष सिंह ने बोधिसत्व फाउंडेशन को संपर्क किया, संस्था की शिकायत पर पिछले साल शिक्षा मंत्रालय ने इस फ़ाइल पर जांच शुरू की और आ रही शिकायतों पर संज्ञान लेते हुये जांच शुरू की तो पाया कि उनके रिकॉर्ड में इस महादेव महाविद्यालय के रजिस्टर्ड लैंड डॉक्यूमेंट मौजूद ही नहीं है और फ़र्ज़ी CLU आर्डर पर 2008 में इसने मान्यता के लिए आवेदन किया था। NCTE के उस समय के सभी भ्रष्ट अधिकारियों पर विभागीय कारवाई शुरू हो गई है। जिसने पैसे लेकर महादेव की फ़ाइल को लेटर जारी किया था।
असल में 2014 में जस्टिस वर्मा कमेटी के सुझावों के बाद जब सारे संस्थानों को NCTE की तरफ से दोबारा कागज़ मांगे गये तब महादेव ने फिर से फर्ज़ीवाड़े को अंजाम दिया और 2018 में CLU आर्डर लेकर NCTE पहुंचा ! गौरतलब की जस्टिस वर्मा कमेटी के गाइडलाइंस में साफ लिखा है कि जमीन के रजिस्टर्ड लैंड डॉक्यूमेंट होने चाहिए और जमीन किसी भी तरह के विवाद में नहीं होनी चाहिए। पर मजेदार बात ये है इस जमीन पर 1996 मुकदमा चल रहा है, आज की तारीख में 5 मुकदमें और हैं।
बड़ा सवाल क्या एक जमीन के दो बार CLU कैसे हुये ?? इसी फर्ज़ीवाड़े में इस की पोल खुली…
लगातार जांच और सबूतों को देखकर NCTE ने इस महाविद्यालय को 28 जून को पहला SCN नोटिस भेजा, जिसमें रजिस्टर्ड लैंड डॉक्यूमेंट की कॉपी मांगी गई और अदालती मुकदमों की जानकारी पर रोचक बात ये है कि वाराणसी तहसील के सारे अधिकारी और खुद जिलाधिकारी महोदय ने फ़र्ज़ी कागज़ स्थानीय विधायक और योगी आदित्यनाथ के कैबिनेट मिनिस्टर अनिल राजभर के कहने से जारी किये। जहाँ एक तरफ सरकार ईमानदारी के ढोल पीट रही है दूसरी तरफ ऐसे भू माफ़ियाओं को संरक्षण भी दे रही हैं ।।
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तक्षकपोस्ट ने जब जानकारी के लिए अनिल राजभर को संपर्क किया तो मंत्री जी उल्टे पैर भाग निकले…
हालांकि DM के इस फ़र्ज़ी लेटर को NCTE ने अपने फाइनल SCN में साफ लिखा है कि ये रजिस्टर्ड लैंड डॉक्यूमेंट नहीं है। NCTE ने 13 सितंबर को अपना फाइनल SCN जारी किया है। जिसकी कॉपी हमारे पास मौजूद है और इस खबर के साथ लगी है…. NCTE को रजिस्टर्ड लैंड डॉक्यूमेंट की कॉपी और विवाद से बरी जमीन चाहिए, महादेव महाविद्यालय के पास आज की तारीख में कोई रजिस्टर्ड लैंड डॉक्यूमेंट राजस्व विभाग की फ़ाइल में नहीं है।
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NCTE ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ को महादेव महाविद्यालय के खिलाफ जांच करने और इसे नये एडमिशन पर रोक लगाने की सिफ़ारिश कि थीं, इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में महादेव उत्तर प्रदेश के अन्य कॉलेजों साथ झुंड में पहुंचा राहत के लिये, वो कॉलेज फर्ज़ीवाड़े पर नहीं चल रहे थें उनका मसला दूसरा था….
महादेव महाविद्यालय ने कोर्ट को भी गुमराह किया ये कहकर की काउंसलिंग चल रही है, इसको एडमिशन लेने दिया जाये ! लेकिन जब आप कोर्ट का आदेश देखेंगे तो पाएंगे कि साफ तौर पर कोर्ट ने NCTE को कहा कि आप अपनी कारवाई जारी रखिये और इसकी मान्यता को रद्द करें, क्योंकि इसके पास रजिस्टर्ड लैंड डॉक्यूमेंट नहीं है।
NCTE ने दोबारा महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ को चिट्ठी लिखी और कहा कि इसको तब तक छूट दी जाये जब तक उनकी अगली मीटिंग नहीं होती और इसपर फैसला नहीं आता।अब ताज़ा हालात में 13 सितंबर को NCTE इस पर फैसला लेते हुए इसको आखिरी नोटिस भेज चुकी है 17 सितंबर को।
NCTE की तरफ से ये साफ है कि महादेव महाविद्यालय लगातार पिछले 5 सालों से बार-बार रजिस्ट्रर्ड लैंड डॉक्यूमेंट मांगने के बाद भी नहीं दे पाया है क्योंकि जिस जमीन पर फ़र्ज़ी तरीके से कॉलेज चलाया जा रहा है वो जमीन किसी और कि है और कभी बेची या खरीदी नहीं गई है, उसकी कोई रजिस्ट्री कभी हुई ही नहीं।
महादेव कॉलेज के बीएड के मान्यता रद्द करने की कारवाई पूरी हो चुकी है फाइनल नोटिस जारी हो चुका है NCTE अब कोई और मौके नहीं देंगी ऐसा NCTE का नियम कहता हैं। ऐसे में बोधिसत्व फाउंडेशन की तरफ से भी विश्विद्यालय को तमाम जानकारी और साक्ष्य उपलब्ध करा दिये गए हैं, देखना ये है कि कुलपति प्रोफेसर आनंद त्यागी और रजिस्ट्रार संगीता पांडेय इस पर क्या निर्णय लेते हैं?
तक्षकपोस्ट को भी अपनी पड़ताल में साक्ष्यों और सरकारी दस्तावेजों में कही भी इस महाविद्यालय की रजिस्ट्री के कोई सबूत नहीं मिले बल्कि इस जमीन से जुड़ी तमाम अन्य जानकारियां मिली है जिसमें ये भी बात साफ हुई कि जब ये कॉलेज खुला तब इसके पास जमीन ही नहीं थीं। बाद में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में सम्बन्धता आने के बाद इसने तात्कालीन रजिस्ट्रार और कुलपति के मिलीभगत से फ़र्ज़ी तरीके से NOC लेकर NCTE को गुमराह किया बल्कि सोची समझी साजिश के तहत जालसाज़ी की।
कुछ अहम सवाल है जो काफी अहम है-
आखिर क्यों विश्विद्यालय एसोसिएशन के दबाव में महादेव महाविद्यालय को कारवाई से बचा रहा है ??
क्या फर्ज़ीवाड़ा करना जायज है ??
बिना रजिस्टर्ड लैंड डॉक्यूमेंट के कैसे महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने इस फर्ज़ीवाड़े को मदद की।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने कैसे 2019 में जिलाधिकारी को गलत और भ्रामक जानकारी दी, जबकि जिलाधिकारी महोदय ने साफ तौर पर पूछा है कि जमीन नहीं है तो आपने इसको मान्यता कैसे दे दी ??
सबसे अहम सवाल अगर पिछले कुलपति और रजिस्ट्रार ने महादेव के फर्ज़ीवाड़े को बचाया तो क्या नये कुलपति और रजिस्ट्रार की कोई जिम्मेदारी नहीं है??
संतुष्टि कॉलेज का मामला ऐसा ही था जब अधिकारी अपनी गर्दन बचा रहे थें और बच्चें सड़क पर भीख मांग रहे थें। अभी बच्चों के भविष्य की जिम्मेदारी कौन लेगा !!
क्या कुलपति महोदय और विश्विद्यालय प्रशासन की कोई जिम्मेदारी नहीं कि वो बच्चों को और उनके अभिवावकों को एक जनहित सूचना के द्वारा इस कॉलेज की मान्यता रद्द होने की जानकारी उपलब्ध करवाये??
तक्षकपोस्ट के पास बहुत सारे सबूत और दस्तावेज़ है जो राजस्व विभाग और स्थानीय प्रशासन के साथ विश्विद्यालय प्रशासन की मिली भगत और गलत मंशा को उजागर करते है। जब राज्यभवन खुद सख्ती से ऐसे मामलें निपटा रहा है , ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा कारवाई ना करना पड़ा सवाल खड़ा करता है, क्यों प्रशासन ने अभी भी इसको नये बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ की इजाजत दे रखी हैं क्यों वो दबाव में इसके ऊपर कारवाई नहीं कर रहें। तक्षकपोस्ट की खबर का असर लगातार मंत्रालय से माना है इस बार भी सबूत और साक्ष्यों के आधार पर खबर लिखी गई हैं