वाराणसी: तक्षकपोस्ट ने महादेव महाविद्यालय के द्वारा फर्ज़ीवाड़ा करके फ़र्ज़ी कागजों के आधर पर साक्ष्य समेत 3 जुलाई को खबर प्रकाशित की थीं, खबर जनसरोकार और जनता के हितों से जुड़ी थीं। लेकिन खबर आने के बाद इस फ़र्ज़ी महादेव महाविद्यालय के द्वारा तक्षकपोस्ट को खरीदने की कोशिश की गई, इस नाजायज़ मांग को ठुकरा देने के बाद तक्षकपोस्ट को आपराधिक मामलें के तहत कोर्ट से नोटिस भेज कर रोकने और डराने की कोशिश हुई। इस पूरे कवायद में शामिल लोगों का पर्दाफाश भी जल्द करेंगे…
महादेव महाविद्यालय बरियासनपुर के कानूनी नोटिस का जबाव तक्षकपोस्ट की लीगल टीम बखूबी दे चुकी है। आगे भी देती रहेगी मुकदमे और धमकी से हमारी आवाज़ नहीं बंद होगी क्योंकि हमारी खबरें साक्ष्य के आधार पर लिखी जाती है। तक्षकपोस्ट की टीम ने महादेव से डिस्क्लेमर मांगा था लेकिन जो गलत है वो क्या देगा साक्ष्य लिहाजा हमें नोटिस से दबाने की कोशिश हुई। …….सत्यमेव जयते !
तक्षकपोस्ट सामाजिक कुरीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज कभी नहीं बंद करेगा ना झुकेगा। इस धोखेबाज कॉलेज और इसके साथ जुड़ें लोगों को कानूनी जबाव देने के साथ ही हम दोबारा आज इसके नये फर्ज़ीवाड़े को उजागर करने जा रहे है। जिसे कोर्ट के बहाने महादेव ने खेलने की तैयारी की है।
28 जून को NCTE ने महादेव महाविद्यालय के बीएड के एडमिशन पर रोक लगाते हुये, इसकी मान्यता को रद्द करने की कवायद जारी कर दी है। जिसके कारण आने वाले समय में ये कॉलेज बीएड नहीं चला पायेगा। क्योंकि इसने फर्ज़ीवाड़े के तहत नकली राजस्व के कागज़ बनाकर अपनी बीएड की मान्यता ली है NCTE से। इस फर्ज़ीवाड़े में शामिल अन्य नामों का खुलासा भी जल्द होगा।
दिल्ली की सिविल सोसायटी बोधिसत्त्व फॉउंडेशन के द्वारा इस मामलें के पकड़ में आने के बाद शिक्षा मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय के संज्ञान में बात उठाई गई, जिसको गंभीर मानते हुए और उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर इसकी मान्यता को रद्द करने की कारवाई करते हुये NCTE ने इसे कॉउंसलिंग में ना जाने देने का निर्देश महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय को देते हुये महादेव से लैंड के रजिस्टर्ड पेपर अन्य कागजों की कारवाई करने के निर्देश दिए है।
अब देखना ये भी है कि नये कुलपति और उनकी नई टीम इस फर्ज़ीवाड़े को कैसे हैंडल करती हैं। क्योंकि बीएड बंद होने की सूरत में बच्चों के भविष्य को लेकर विश्विद्यालय की ही मुसीबत बढ़ने वाली हैं। दूसरी तरफ NCTE के पास इस कॉलेज को चलाने के लिए ना तो कागज़ है, और ना ही जबाव की वो इसको क्यों चलाये। महादेव महाविद्यालय के ऊपर वर्तमान में कोर्ट में 5 मुकदमें लंबित हैं।
महादेव महाविद्यालय का फर्ज़ीवाड़े का पुराना इतिहास रहा है-
अब खेल यहीं से शुरू होता है! महादेव महाविद्यालय बड़ी चालाकी से कई कॉलेजों के साथ झुंड में दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा। अकेला नहीं गया क्योंकि उसको पता था कि नकली कागज़ के दम पर उसने फर्ज़ीवाड़ा करते हुए बीएड की मान्यता ली है। इसी मुद्दे पर 3 अगस्त को सुनवाई कोर्ट में फ़ोन पर हुई।कोर्ट में NCTE ने अपने तर्क रखें और बाकी के कॉलेजों ने अपना पक्ष।
मजेदार बात ये है कि NCTE को कोर्ट ने निर्देश दिया कि 3 दिन में इसको काउंसिलिंग में जाने की इजाजत दीजिये लेकिन इसकी मान्यता रद्द भी करें, इसके पास कागज़ नहीं है। NCTE जस्टिस वर्मा कमेटी के नियमों के हिसाब से बीएड चलाने के लिए जरूरी नियम, रजिस्टर्ड लैंड डॉक्यूमेंट, और जमीन का विवादित नहीं होना के सबूत महादेव से मांग रही है। जिसके बदले बार-बार ये फ़र्ज़ी कागज़ जमा करवा देता है। इसके साक्ष्य खुद NCTE ने RTI में उपलब्ध करवाये है 2008 में बनी फ़र्ज़ी CLU ऑडर।
महादेव NCTE के नियमों पर खड़ा नहीं उतरता क्योंकि इसने फ़र्ज़ी CLU के आधार पर मान्यता 2008 में ली है। ( महादेव महाविद्यालय की D.EL.ED.) की मान्यता की फ़ाइल सालों पहले इसी ज़मीनी काग़ज़ों के फर्ज़ीवाड़े को देखते हुए रिजेक्ट हुई है, फ़ाइल में साफ लिखा है कि कॉलेज को इस कोर्स को चलाने की इजाजत नहीं दी जा सकती क्योंकि कागज़ फ़र्ज़ी और गलत है।
10 सालों से ये कॉलेज फ़र्ज़ी तरीके से चल रहा है। इसकी धरपकड़ केंद्र में 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार के आने के बाद जस्टिस वर्मा कमेटी के नियमों के लागू होने के दौरान खुला। NCTE से मान्यता लेने संबंधित नियमों में संसोधन के साथ पुराने कॉलेजों को दोबारा नियमों के हवाले से जमीन के ओरिजनल रजिस्टर्ड लैंड डॉक्यूमेंट और जमीन के टाइटिल का विवादित नहीं होना जरूरी हैं के कागज़ मांगे गए। इसी नियमों के तहत महादेव महाविद्यालय का फ़र्ज़ीवाडा पकड़ में आया।
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कोर्ट के द्वारा महादेव महाविद्यालय के मामलें में जारी आदेश की कॉपी हम यहां साक्ष्य के साथ लगा रहे है। जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ निर्देश दिया है- NCTE ने जो फर्ज़ीवाड़ा पकड़ा है, महादेव महाविद्यालय के खिलाफ उस पर नियमों के हिसाब से मान्यता रद्द करें। क्योंकि हाईकोर्ट सिर्फ एप्लिकेशन पर विचार करते हुये इसे काउंसिलिंग में जाने की इजाजत दे रही है। NCTE के काम में कोई दखल नहीं है कोर्ट के द्वारा। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ यूनिवर्सिटी और NCTE अपने नियमों के हिसाब से फैसला ले। बच्चों के भविष्य को देखते हुये।
दिल्ली हाई कोर्ट के इस जबाव के बाद अब सवाल यहां 200 बच्चों के भविष्य का है। उनका भविष्य दांव पर है, क्योंकि सरकारी कुर्सी पर बैठे बाबू सिर्फ अपने जेब में आने वाले नोटों की कड़क गर्मी को महसूस करते है। इन बच्चों को पढ़ा लिखा कर भविष्य में नौकरी में भेजने की चाह रखने वाले बूढ़े माँ और पिता का क्या दोष हैं ? जो वो अपने बच्चों के सपनों को अधर में लटका देखें। वो बेचारे अपनी मेहनत के पसीने की गाढ़ी कमाई से अपने बच्चों को पढ़ा रहे है।
बनारस में ऐसे ही एक कॉलेज संतुष्टि के मान्यता का विवाद भी सुर्खियों में है। बच्चें सड़क पर बैठकर अपना समय खराब कर रहे हैं।
दूसरी तरफ कोरोना काल में लोग बर्बाद हो गये है, नौकरी धंधे चौपट है ऐसे में NCTE इस कॉलेज की मान्यता रद्द करने के अपने नियम को आगे बढ़ा रही है, कॉलेज की मान्यता रद्द होनी ही है। लेकिन जिस धोखे से बच्चों को फ़ास कर एडमिशन लेने की कोशिश है फिर ये बच्चें कहा जाएंगे ??
महादेव महाविद्यालय ने क्यों तक्षकपोस्ट को ही खरीदने खरीदने की कोशिश की क्योंकि बिना डरे सच लिखते है वाराणसी के अन्य अखबारों को क्यों नहीं महादेव ने नोटिस भेजा ??
बड़ा सवाल है !