वाराणसी/ NCTE के द्वारा {राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद } ने बड़ी कारवाई करते हुये प्रदेश के B.Ed कॉलेजों की जांच और मान्यता संबंधी शिकायतों को गंभीरता से लेते हुये कारवाई शुरू कर दी हैं। इसी कड़ी में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मान्यता लेकर चल रहे एक निजी कॉलेज महादेव महाविद्यालय, के ऊपर कारवाई के साथ विश्विद्यालय को निर्देश जारी किया गया है, महादेव महाविद्यालय को इस बार के बीएड कोर्स के एडमिशन ना दिये जाये, जब तक इस कॉलेज के द्वारा NCTE को जस्टिस वर्मा कमेटी के सुझाव और नियमों के अनुसार जमीन के रजिस्टर्ड लैंड डॉक्यूमेंट ना जमा किये जायें, साथ ही विभिन्न मुकदमें की जानकारी भी जो कॉलेज के खिलाफ लंबित है अदालतों में। इस मामलें के निपटारे के बाद ही महादेव महाविद्यालय को बीएड के कोर्स को चलाने के साथ दाखिले की अनुमति मिलेगी। और इसे इस बार के 2021-22 के दाखिले से दूर रखा जाये। इसी संबंध में NCTE ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ को भी पत्र की प्रीति भेजी है। इसी पत्र की कॉपी तक्षकपोस्ट को भी मिली जिसे प्रधानमंत्री कार्यालय के द्वारा भेजा गया हैं।
क्या है मामला इस महाविद्यालय का बिना जमीन का मामला-
आरोप है कि इस महाविद्यालय ने बिना कागज़ के 2002 में फ़र्ज़ी तरीके से कॉलेज खोलने की कवायद की। उस समय इस कॉलेज की संबंद्धता पूर्वांचल विश्विद्यालय से थी, उसके बाद पूर्वांचल के कॉलेजों के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पास स्थानांतरण होकर आने के बाद भी ये फ़र्ज़ी कागज़ों पर चलता रहा, कायदे से सभी फाइलों की जांच और सबूत को देखने का काम विश्विद्यालय का होता है, क्योंकि इस कालेज के पास अपनी जमीन ही नहीं है, कब्ज़े की जमीन पर इस महाविद्यालय की इमारत को धोखे से खड़ा कर दिया गया, जमीन के मालिकों ने इस मामलें को अदालत में चुनौती दी हुई हैं जिसमें जिला न्यायालय में मुकदमा लंबित हैं। बल्कि उसी फ़र्ज़ी कागज और फ़र्ज़ी खतौनी के बल पर NCTE को गुमराह करके बीएड की मान्यता भी ली गई, जिसे NCTE ने केंद्र सरकार के खिलाफ जालसाज़ी और 420 माना है इसलिए ये त्वरित कारवाई की गई है, इसी गड़बड़ी के पकड़ में आने के बाद इसका बीएड का एडमिशन रोक दिया गया है। पिछले साल बोधिसत्व फाउंडेशन को शिकायत मिलने के बाद समाजसेवी संस्था ने इसे आगे बढ़ाते हुए महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति समेत, प्रदेश सरकार, पुलिस और राज्यपाल को भी लिखा था।
आरोप ये भी है कि इस महाविद्यालय ने सरकारी दस्तावेजों में भी छेड़छाड़ और गलत मंशा से अपने मनमुताबिक इस्तेमाल में नकली दस्तावेज बना कर प्रशासन को चूना लगाया है। राजस्व का भी ये मामला एक बड़ा फर्ज़ीवाड़ा हैं।
पिछले साल इस मामलें की शिकायत दिल्ली की इसी संस्था बोधिसत्व फाउंडेशन के द्वारा पूर्व कुलपति त्रिलोकीनाथ सिंह, और पूर्व रजिस्ट्रार साहेब लाल मौर्या को भी की गई थी, लेकिन कारवाई करने की जगह दोंनो ने इस मामलें को दबा कर कोई कारवाई नहीं की। स्थानीय मीडिया में भी भी इस बात की खूब चर्चा रही कि ये महादेव महाविद्यालय 8वा अजूबा है। इसके पास खुद की जमीन ही नहीं हैं।
बोधिसत्व फाउंडेशन की तरफ से तक्षकपोस्ट को मिली शिकायत के बाद संस्था के पदाधिकारी से पता चला कि , पूर्व कुलपति त्रिलोकीनाथ सिंह पहले से एक देशद्रोही गतिविधियों में संगलिप्त रहे हैं और उनके खिलाफ गृहमंत्रालय के अधीन जांच एजेंसियों के पास मामला लंबित है, उसी रक्षा सौदों की दलाली का पैसा इस महादेव महाविद्यालय में लगाया गया है, इस कॉलेज के प्रबंधक और त्रिलोकीनाथ सिंह कारोबार के सांझेदार है साथ ही करोड़ों रुपये की काली कमाई इस महाविद्यालय में खपाई गई है, जिसके कारण इन लोगों ने इस कॉलेज के फर्ज़ीवाड़े को ना सिर्फ दबा कर रखा बल्कि जिलाधिकारी को भी गलत जबाव लिखकर गुमराह किया।
संस्था की तरफ से की गई जांच में जो जानकारी तक्षकपोस्ट को मिली वो भी चौकानें वाली थीं कि ना सिर्फ इस कॉलेज की फ़ाइल त्रिलोकीनाथ ने दबाई बल्कि इस कॉलेज के प्रबंधक और उनके परिवार का त्रिलोकीनाथ के बेडरूम तक में आना जाना हैं
ऐसे में क्या ही न्याय मिलता, साक्ष्य के तौर पर साहेब लाल मौर्या का ऑडियो हमारे पास मौजूद है, त्रिलोकीनाथ सिंह ने इस कॉलेज के कहने पर खूब मनमानी की है। अन्य कॉलेजो को मान्यता देने के संदर्भ में। मतलब फ़र्ज़ी कॉलेज पर कोई भी मान्यता ले सकता है ???
भ्रष्टाचार और पैसों के बंदरबांट में सबकी मिली भगत बड़ी हैरत में डालने वाली है, कि क्या शिक्षा का स्तर इतना गिर गया है। किसी फ़र्ज़ी कागज़ पर फर्ज़ीवाड़ा और मनमाने तरीके से सब कुछ करवा लिया जाये। शायद इसी कारण अच्छे विद्यार्थियों की कमी के साथ समाज में गिरावट आ रही है, विद्यालय को मंदिर कहा जाता है और जब ऐसे महादेव महाविद्यालय जैसे कॉलेज चोरी और आपराधिक मंशा के तहत बनाये गये हो तो फिर कैसे अच्छे संस्कार विद्यार्थियों को मिलेंगे।
अब तक तो प्रशासन की तरफ से हुई किसी तरह की कारवाई का जिक्र नहीं मिलता , पर नये कुलपति के आने के बाद उम्मीद है कि इस तरह की चोरी पर रोक लगेगी। ऐसा संस्था ने अपनी मंशा जताई है, बड़ा आश्चर्य है कि दिल्ली बैठे NCTE ने गलत कागज़ और दस्तावेजों में छेड़छाड़ को पकड़ लिया और सख्त कारवाई के लिए आगे महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ को अन्य संबंधित संस्था के साथ अपनी संस्तुति भेज कर तत्काल अपराध पर कारवाई की दिशा में एक कदम बढ़ा दिया है।लेकिन लोकल बनारस में विश्विद्यालय को कारवाई करने की जहमत कभी समझ में नहीं आई ?? रजिस्ट्रार के पास पैसा का बक्सा पहुंच जाया करता था और कुलपति तो कारोबार में सांझेदार।
एक कहावत है जब सैंया भये कोतवाल तो क्या डर !
इसी की तर्ज़ पर ये महादेव महाविद्यालय अब तक बचता रहा।
ऐसे अजीबोगरीब मामलें में तुरंत कारवाई होनी चाहिए। लेकिन पैसों के बल पर पूर्व कुलपति के परिवार के द्वारा इस कॉलेज के प्रागंण को भरपूर इस्तेमाल में लिया गया। बल्कि अपनी देश के सेना के साथ गद्दारी के बदले मिले पैसों को भी यहाँ डंप किया गया है। अब विश्विद्यालय प्रशासन देखे की फर्ज़ीवाड़े के साथ कैसे न्याय करना है ताकि आम आदमी का भरोसा कानून पर बना रहे।