शक्तिसिंह गोहिल ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे देश की संस्कृति रही ‘नारी तू नारायणी’, पर आज जिस तरह से शासन चल रहा है, महिलाओं पर, बच्चियों पर, नारियों पर जो अत्याचार हो रहे हैं, एक बड़ी दर्दनाक, शर्मनाक घटना दिल्ली के कैंट एरिया में घटी। एक गरीब परिवार जो सिर्फ कूड़ा इकट्ठा करके अपना जीवन निर्वाह करते थे। एक ही बेटी सिर्फ और कोई बच्चा नहीं, 9 साल की बेटी। कहीं पानी नहीं मिलता है, पानी की व्यवस्था नहीं थी। उन्हें पानी लेने के लिए श्मशान गृह में जाना पड़ा था और श्मशान गृह में रात को पानी लेने गई, वहाँ पर भगवान के नाम के ठेकेदार बनने वाले शराब पी रहे थे। 9 साल की बेटी के साथ उन दरिंदो ने बलात्कार किया, उसको मार डाला। मां के ऊपर दबाव डाला कि कुछ पैसे ले लो, इसको यहीं जला देते हैं और परिवार को डरा-धमका कर वहीं उस डेड बॉडी को, 9 साल की बच्ची को श्मशान गृह में जलाया गया।
दिल्ली का लॉ एंड ऑर्डर भारत सरकार के हाथ में है। पुलिस ने उस मां को बंदी बना कर बैठा दिया। जब बाहर से आस-पास के लोग जागे, कांग्रेस पार्टी के नेता, पूर्व कॉर्पोरेटर, पूर्व विधायक वहाँ पहुंचे, मां रोने लगी और कहा कि ये सारी झूठ बात है कि शॉक लगा था, आप देख लो, वॉटर कूलर में कोई शॉक नहीं आ रहा। कोई शॉर्ट सर्किट नहीं है। लोगों ने जाकर देखा, छूकर कि कोई शॉर्ट नहीं लग रहा है। उन दरिदों को तब पकड़ा गया कि तुम कहते हो कि ये बेटी शॉर्ट सर्किट से मर गई, कहाँ शॉर्ट सर्किट है? जब उसको दबोचा गया, तब बोला कि वो तो हमने गलत कहानी बनाई थी। इसको मार दिया गया है, रेप किया गया, वही सहायक रहे आदमी ने कहा। पुलिस के ऊपर जब दबाव डला, तब जाकर एफआईआर दर्ज हुई।
दिल्ली तो एक शहर का स्टेट है, कोई बहुत दूर का तो नहीं है। मुख्यमंत्री उसके आंसू पोंछने गए, ना जो कहते थे चुनाव के वक्त कि बहनों, आपका भाई बैठेगा, एक आवाज लगाना, ना वो देश के प्रधानमंत्री आंसू पोंछने गए। शासन में रहे हुए की पहली जिम्मेदारी थी, नहीं गए। इंसानियत के नाते राहुल गांधी आज उस परिवार के पास पहुंचे। उस परिवार के दुख के हिस्सेदार बने। हमारे जनरल सेक्रेटरी ऑर्गनाइजेशन – वेणु गोपाल, प्रदेश अध्यक्ष – अनील चौधरी, हमारे राजस्थान के इंचार्ज और जनरल सेक्रेटरी – अजय मकान, कर्नाटक के इंचार्ज और जनरल सेक्रेटरी – रणदीप सिंह सुरजेवाला और गए।
मोदी जी,
जिसने कभी किसी पीड़ित दलित को गले लगाया हो वही उनके दर्द को महसूस कर सकता है।
पीड़ितों से मिल न्याय दिलाना तो दूर, आपके मुँह से तो 9 साल की वाल्मीकि समाज की बेटी के परिवार के लिए सांत्वना के दो शब्द नहीं निकले।
परिवार को न्याय मिले, दोषियों को कड़ी सजा।
यही संकल्प है pic.twitter.com/59dJyC8GZn— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) August 4, 2021
परिवार के साथ जमीन पर बैठकर बात की। मां ने कहा मैं कुछ बातें सबके सामने नहीं कह पाऊंगी। राहुल गांधी जी ने गाड़ी में मां को बैठाकर जब तक उसके दिल की सारी बात मां ने कही, पूरी बात सुनी। बाप को गले से लगाकर कहा कि वो बेटी सिर्फ तुम्हारी नहीं, देश की बेटी थी। पूरा देश न्याय के लिए आपके साथ है। ये लड़ाई इस देश की हर बेटी की है, इस देश के हर नागरिक की है। राहुल गांधी जी लड़े हैं। उसके बाद सबसे मिलकर, उस परिवार के लिए सांत्वना के लिए बात की है।
हमने कुछ मांगे रखी हैं। सरकार से उम्मीदें रखी हैं। हालांकि अगर थोड़ी भी इंसानियत होती, तो पहले ही दिन प्रधानमंत्री जी या मुख्यमंत्री पहुंचते। दूसरों को गाली देने के लिए प्रधानमंत्री का ट्वीट कपाल भारती की तरह ट्वीट होता है। इस बेटी के लिए, इस परिवार के लिए एक ट्वीट नहीं। राहुल गांधी थे, जिन्होंने ट्वीट किया।
श्अनिल चौधरी ने कहा कि ये रविवार की घटना है। रविवार से आज बुधवार हो जाता है, जैसे शक्तिसिंह जी ने बताया, ये घटना दूसरी घटनाओं की तरह दबा दी जाती, यदि वहाँ पर कांग्रेस के कार्यकर्ता, वहाँ स्थानीय निगम पार्षद बेनीवाल जी या दलित समाज के समाजसेवी संगठन यदि इस परिवार से न मिले होते।
जिस तरह से बताया गया है और जो सच सामने आ रहा है, वो श्मशान घाट में कर्मकांड करने वाले जो तथाकथित पंडित या पंडा कहिए, उन्होंने अपने तीन अन्य साथियों के साथ मिलकर इस छोटी प्यारी बच्ची, जिन बच्चियों को हम नवरात्रों में मां दुर्गा का रुप देखते हैं, उन बच्चियों के साथ इस तरह की घटनाएं होती हैं। न केवल बलात्कार किया जाता है, बल्कि उसको मार दिया जाता है और वो माता-पिता, जो शायद अपनी जुबान खोलने की हिम्मत नहीं रखते, कूड़ा बीनकर अपना जीवन यापन करते हैं, वहाँ एक दरगाह पर सेवा देते हैं, इस श्मशान घाट पर भी सफाई के लिए कभी-कभी जाकर अपना लालन-पालन और इस बच्ची का पेट भरते हैं। अंदाजा लगाइए उस परिवार को इस संस्थान में, श्मशान घाट में जो कर्मकांडिये पंडित हैं पंडा है, उन्होंने किस तरह से इसको प्रेशराइज किया, जो बताया गया राहुल जी के सामने एक मां ने अपने दुख में और उसको ये दर्शाया गया कि करंट से इसकी मृत्यु हुई है, इसलिए इसका अंतिम संस्कार कर दो, पुलिस बुलाओगे, पोस्ट मार्टम होगा, उसके ऑर्गन निकाल लिए जाएंगे, इस तरह से गुमराह करने की कोशिश की गई, लेकिन मां के हृदय से, आंखों से जो आंसू छलके उसने सच्चाई जनता के सामने रख दी और जनता ने जाकर जब इस सच को खंगाला तो उसमें ये पाया गया कि उस बच्ची का रेप हुआ था।
सवाल ये उठता है, शक्तिसिंह ने कहा, चंद कदमों की दूरी पर दिल्ली के मुख्यमंत्री का घऱ है। कैंट एरिया इतना सुरक्षित एरिया माना जाता है, जो न केवल दिल्ली के लिए बल्कि देश के लिए भी अति सुरक्षित क्षेत्र में से है। जहाँ मुझे लगता है, ऐसे अपराधों की कोई गुंजाइश नहीं हो सकती। यहाँ राहुल जी से इस परिवार ने जो साझा किया है, लोगों ने जो बताया कि उसी कथित पंडित ने श्मशान घाट से लगे हुए लोगों पर पहले भी आरोप थे, यानि कि पुलिस के पास पहले भी इस तरह की सूचनाएं थी, फिर इसको क्यों इस तरह से छोड़ दिया गया? इस तरह की मानसिकता का व्यक्ति, हमें ये लगता है कहीं न कहीं इसने पहले भी इस तरह के हादसों औऱ वारदातों को अंजाम दिया है। तो एक जांच का विषय है, जो पुलिस पर उंगली उठाने का काम करता है। यदि इसमें पहले जांच हो जाती, जो खबरें है पहले भी दो बच्चियों पर रेप हुआ है, जांच होती तो शायद आज ये सलाखों के अंदर होता और ये बच्ची बच जाती।
दूसरा सवाल मैं सरकार से पूछना चाहता हूँ, केजरीवाल साहब से, इसी शहर में एक निर्भया का कांड हुआ था, उस निर्भया को लेकर जिस तरह से तमाम दलों ने, कांग्रेस भी हालांकि उस परिवार से अछूती नहीं थी। कांग्रेस ने उस समय न केवल उस बच्ची को न्याय दिलाया। यही गांधी परिवार ने न केवल उस बच्ची के परिवार को सांत्वना के साथ-साथ न्याय दिलाने का काम किया, जो उनकी मांगें थी, फास्ट ट्रैक जांच की वो भी पूरी कराई, लेकिन 2014 से आज तक मैं आपसे शेयर करना चाहता हूँ, लगभग 15 हजार मुकदमें रेप के दिल्ली में हुए हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री उस समय जो बातें किया करते थे, आखिर दिल्ली की सरकार ने ऐसे क्या कदम उठाए? क्या इस तरह के कानून बनाए? साथ ही ये प्रश्न खड़ा करते हैं, कि चार दिन में मुख्यमंत्री जी ट्वीट करते हैं कि मैं वहाँ मिलने जाऊँगा, ये कोई मेला आयोजन नहीं है। आप वहाँ जा सकते थे, उस परिवार से संवेदना प्रकट करने के लिए, दुख बांटने के लिए, न्याय दिलाने के लिए, ऐसा नहीं हो सकता है, ऐसा वो करते नहीं है, ट्वीट के माध्यम से वो खबर देते हैं।
प्रश्न यहाँ उठता है केन्द्र सरकार पर भी कि राहुल ही आखिर क्यों इन पीड़ितों के साथ खड़े होते हैं? हाथरस की घटना हम नहीं भूलते हैं, तब भी उसको न्याय दिलाने का काम कांग्रेस के कार्यकर्ता, कांग्रेस के नेता आदरणीय राहुल, प्रियंका वहाँ जाते हैं। सवाल ये उठता है, दिल्ली देश की राजधानी है और दिल्ली में जिस तरह से वारदातें बढ़ी हैं, मैं ये कहना चाहता हूँ, कांग्रेस पार्टी की तरफ से खासतौर से जिस तरह से नेशनल एक हमारा एससी/एसटी आयोग बना हुआ है उसी तरह दिल्ली में भी, ये दिल्ली सरकार, जो दावे करती है, महिला सुरक्षा की, खासतौर से नाबालिग बच्चियों की, उनको लेकर क्यों आज तक कदम नहीं उठाए?
हमारी ये मांग है इन सरकारों से कि पूर्व में जब इस तरह के जो हादसे, या इस तरह के जो कांड हुए हैं, खासतौर से रेप के जो मामले हैं, इनमें पूर्व की भांति जो परिवारों को मदद मिली है, वो मदद इस परिवार को भी दी जाए, तुरंत दी जाए, फास्ट ट्रैक जांच होनी चाहिए परिवार की और हमारी ये मांग है दोषियों को फांसी की सजा, तुरंत से तुरंत मिलनी चाहिए, जिससे की और बच्चियों को बचाया जा सके।
नेशनल की तर्ज पर दिल्ली के अंदर भी एससी/एसटी आयोग का गठन तुरंत होना चाहिए। जिस तरह से सूचनाएं आ रही हैं कि दिल्ली पुलिस ने दोषियों को बजाए, इस परिवार को बंधक बनाकर अपने थाने में बिठाए रखा, कोशिश की गई दबाने की, तो ऐसे कितने मुकदमें होंगे, जो शायद पुलिस के थाने से बगैर न्याय के घर लौट जाते हैं लोग और अपनी आवाज को दबा देते हैं या उनकी आवाज को खत्म कर दिया जाता है। सो इन आवाजों को गति मिले, इनकी सुनवाई हो, इस आयोग का गठन दिल्ली में होना चाहिए, जिससे कि कम से कम पीड़ित, गरीब, दलित, जो लोग अपनी कहीं आवाज नहीं उठा सकते, वहाँ जाकर कम से कम अपनी बात को कह सकें, ये कांग्रेस पार्टी मांग रखना चाहती है।
मैं इन्हीं बातों के साथ आपके माध्यम से सरकार तक ये भी कहना चाहता हूँ दिल्ली के अंदर कितने ही दावे करती हों सरकारें अपने पोस्टर्स में, होर्डिंग्स में, सच्चाई यही है कि दिल्ली के अंदर मुझे नहीं मालूम किस तरह का विश्व का शहर, विश्वस्तरीय शहर मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बनाया, लेकिन उनके जो दावे थे, सिंगापुर बनाएंगे, लंदन बनाएंगे, पेरिस बनाएंगे, ये इंफ्रास्ट्रक्चर में दिल्ली कैसी बनी आप मुझसे बेहतर जानते हैं, लेकिन क्राइम के मामले में मैं इस दावे के साथ, ये हमारे नहीं, दिल्ली पुलिस के आंकड़े हैं, पिछले 2014 से 2021 तक के 15 जून तक के आंकड़े जो मैंने रखे, 15 हजार से ज्यादा मामले रेप के और पिछले वर्ष और इस वर्ष में तुलना करें, 800 से ज्यादा मामले एक ही साल मे रेप के हुए हैं, जिसमें कल्याणपुरी की घटना, नागलोई की घटना, ऐसे कई विषय हैं, जो 3 से 5 साल की बच्चियो के साथ रेप हुए हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री केवल बातें कर सकते हैं। मुख्यमंत्री के साथ देश के प्रधानमंत्री बच्चियों को पढ़ाने का नारा दे सकते हैं। नारों से काम न चले, इन बच्चियों को न्याय मिले- यही मांग लेकर हम लोग यहाँ पहुंचे, कल से हम सड़क पर थे।