मनोरमा सिंह, मीना, श्यामवीर,आशुतोष की कलम से:
इतनी डरी हुई सरकार है कि प्रायोजित हिंसा और लाल किले पर झंडे का नाटक करके भी जब इसे सफलता नहीं मिली तो मुख्यधारा की लगभग पूरी मीडिया को अपनी जेब में रखने के बावजूद फ्रीलांस पत्रकारों के काम करने से इतना खौफ खा रही है, खबर है कि दो पत्रकार मनदीप पुनिया और धर्मेंद्र को सिंघु बॉर्डर से पुलिस ने डिटेन किया है और किसी को जानकारी नहीं है कि दोनों पत्रकार कहां हैं, इनके ऊपर कई धाराएं लगायी गई हैं, मनदीप और धर्मेंद्र किसान आंदोलन को पिछले दो महीने से बेबाक तरीके से लगातार कवर करते रहे हैं, इन दोनों पत्रकारों को जल्द से जल्द रिहा किया जाना चाहिए ! जोर जबरदस्ती और तानाशाही वाली इस सरकार को शर्म आनी चाहिए, जिसके आकाओं और अमलों को फ्रीलांस पत्रकारों के लिखने और काम करने से डर लगने लगा है !
कौन है मनदीप पूनिया
क्या है उसकी पूरी कहानी, और हमें उसके लिए क्यों खड़ा होना चाहिए? कल रात से दिल्ली पुलिस ने इसे शिंघू बार्डर से उठा कर ग़ायब कर रखा है !
मनदीप पूनिया एक फ्रीलांस पत्रकार है, उसने साल 2017-18 में IIMC (Indian Institute of mass communication) से पढ़ाई की। साल 2018 में मनदीप IIMC प्रशासन के खिलाफ ‘हॉस्टल’ की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे थे। तीन दिन तक चली उस भूख हड़ताल के बाद प्रशासन को पीछे हटना पड़ा और आने वाले बैच के लिए होस्टल देना पड़ा। आज उस हॉस्टल में 42 बच्चों को रहने के लिए जगह मिलती है। IIMC से पढ़ने के बाद मनदीप ने बहुत जगह जॉब नहीं देखीं, उसने मीडिया में चुनिंदा जगहों को ही अपने काम के लायक समझा।
वह मीडिया से निराश था ही कि इसी बीच उसके पिता दुनिया छोड़कर चले गए, मीडिया की हालत देखकर मनदीप अपने गांव लौट गया और वहां जाकर खेती करने लगा। लेकिन खेती सिर्फ इसलिए की ताकि पेट भरता रहे और और जहां-तहां आंदोलनों की रिपोर्ट करने के लिए आने-जाने का किराया आ जाया करे। मनदीप ने खेती की लेकिन मीडिया नहीं छोड़ी, उसने उन ऑनलाइन पोर्टलों के लिए कम पैसों में लिखा जो जन पत्रकारिता कर रहे हैं। जो हर अत्याचार के खिलाफ मुखर होकर बोलते हैं। मनदीप ने अंग्रेजी की प्रतिष्टित मैगज़ीन ‘CARAVAN’ के लिए भी एक से एक संवेदनशील रिपोर्ट लिखी।
बीते दो महीनों से वो केवल और केवल किसानों के मुद्दों पर लिख रहा है वह आमतौर पर किसान आंदोलनों के टैंटों में ही सोता, वहीं खाता। और वहीं से किसानों पर हो रहे सरकारी अत्याचार के बारे में पल-पल की अपडेट देता रहा। कल भाजपा के गुंडे ‘स्थानीय लोगों’ के भेष में किसानों पर पत्थर बरसाने पहुंचे। मनदीप उस वक्त मंच के पास ही मौजूद था। चूंकि वह वहीं हरियाणा का ही रहने वाला है इसलिए आसपास के नेताओं, विधायकों, उनके चमचों और गुंडों को पहचानता है। कल भी उसने भाजपा के गुंडों को पहचान लिया।
आज सुबह उसने फेसबुक पर लाइव करके उन सबके नाम ले लेकर उन्हें एक्सपोज किया और ये भी बताया कि वे भाजपा में किस पद पर हैं। स्वभाविक है जिन-जिन भाजपा नेताओं और गुंडों के नाम लिए गए मनदीप उनके निशाने पर आ गया। मनदीप ने ये भी खुलासा किया कि उसने अपनी आँखों से देखा कि किस तरह पुलिस खड़े होकर भाजपा के गुंडों से निहत्थे किसानों पर पत्थर बरसा रही है। मनदीप ने ये सब बाकायदा सबूतों, फोटो और विडियो के आधार पर एक्सपोज किया। स्वभाविक है मनदीप पुलिस के भी टारगेट पर आ गया था। सुबह मनदीप ने विडियो बनाई और आज शाम को पुलिस ने सिंघु बॉर्डर से मनदीप को अरेस्ट कर लिया। और अभी तक ये नहीं पता है कि पुलिस उसे कहाँ ले गई है। पुलिस उसके बारे में कोई जानकारी नहीं दे रही है। जिस जगह से उसे गिरफ्तार किया गया है। वहां के आसपास के दोनों थानों पर दबाव बना लिया।
मंदीप को स्वरूप नगर पुलिस स्टेशन में रखा गया है। उनके साथ मारपीट और ज्यादती ऑन रिकार्ड हुई है। कई साथी उनके लिए सोशल मीडिया से ले कर सड़क तक सक्रिय हो चुके है। ट्विटर पर कल मंदीप को रिलीज करने के लिए टॉप ट्रेंडिंग हुई है।कारवाँ से उनके लिए वकील उन्हें छुड़ाने की कोशिश कर रहे है आंदोलन ने मुखर हो कर मंदीप के लिए आवाज उठाई है सुनो सरकार! तुम ने गलत छत्ते में हाँथ डाल दिया है।जिस तरह मंदीप को गिरफ्तार किया गया है , देश के हर जीवित पत्रकार को यह महसूस हो रहा है कि सत्ता ने उनके गिरेबान में हाँथ डाला है। यह लड़ाई अब मंदीप की नही है, पूरी पत्रकारिता बिरादरी की है। यह अब कलम के स्वाभिमान की लड़ाई है । सत्ता ने पत्रकारिता के कॉलर पर हाँथ लगाया है। कलम की तरफ से करारा जवाब मिलेगा।