साल 2008 में दिल्ली की महिला पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के सभी पांच आरोपियों को राष्ट्रीय राजधानी में हुए अपराध के लगभग पंद्रह साल बाद बुधवार को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने दोषी ठहराया है। विश्वनाथन की सितंबर 2008 में कार्यालय से घर जाते समय उनकी कार में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
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साकेत कोर्ट ने विश्वनाथन की हत्या के मामले में आरोपी रवि कपूर, अमित शुक्ला, अजय कुमार, बलजीत मलिक और अजय सेठी को दोषी ठहराया। कोर्ट ने चार आरोपियों को हत्या का दोषी ठहराया। पांचवें आरोपी को अन्य अपराधों के लिए मुजरिम माना गया। हालांकि अदालत ने मकोका के तहत इन पांचों को ही अपराधी माना है। कोर्ट ने रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत सिंह मालिक, अजय कुमार को हत्या का दोषी करार दिया। कोर्ट ने अजय सेठी को हत्या का दोषी नहीं माना। अजय सेठी को IPC के सेक्शन 411 के तहत दोषी करार दिया। अब साकेत कोर्ट में दोषियों की सज़ा पर बहस 26 अक्टूबर को होगी।
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए सौम्या विश्वनाथन की मां ने कहा कि यह निवारक के रूप में काम करेगा। जब उनसे पूछा गया कि वह बेटी के हत्यारों के लिए क्या सजा चाहती हैं तो उन्होंने कहा, ‘उन्हें उम्रकैद मिले।’
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सौम्या के पिता एमके विश्वनाथन ने कहा कि मैं बस इतना ही कहना चाहूंगा कि इंसाफ हुआ है।
कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 302/34, 411 समेत मकोका के तहत मुकदमा दर्ज किया था। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों को 2009 में एक अन्य मामले में मामले में बयान के आधार पर गिरफ्तार किया गया था।
इससे पहले साकेत कोर्ट ने 13 अक्टूबर को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि इस हत्या का मकसद लूटपाट था। पुलिस ने मामले में पांच आरोपियों रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक, अजय कुमार और अजय सेठी को गिरफ्तार किया था। मामले में सभी आरोपी मार्च 2009 से न्यायिक हिरासत में है। पुलिस ने आरोपियों पर मकोका एक्ट भी लगाया था।
बता दें कि युवा पत्रकार सौम्या विश्वनाथन 30 सितंबर 2008 को दक्षिण दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में अपनी कार में मृत पाई गईं थीं। शुरुआत में माना गया कि यह एक कार दुर्घटना थी। लेकिन फोरेंसिक रिपोर्ट से पता चला कि उसकी मौत सिर में गोली लगने से हुई। इसलिए हत्या की जांच शुरू हो गई।
इस केस की जांच आगे बढ़ाने के लिए पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाले। पुलिस को इस जांच में एक मैरून रंग की कार के बारे में पता चला, जो सौम्या का पीछा कर रही थी। इस काम में मुंबई क्राइम ब्रांच की टीमों को लगाया गया और ज्यादा से ज्यादा सबूत इकट्ठा करने के लिए गहन तलाशी अभियान की शुरुआत हुई। छह महीने बाद मार्च 2009 में दिल्ली पुलिस ने रवि कपूर और अमित शुक्ला को एक दूसरे केस ( BPO कर्मचारी जिगिशा घोष हत्याकांड) में गिरफ्तार किया। पूछताछ के दौरान रवि कपूर और अमित शुक्ला ने ना सिर्फ सौम्या के मर्डर की बात स्वीकार की, बल्कि उसे रोमांचक गतिविधि बताया। सीसीटीवी की गहन जांच करने पर पता चला कि जो मैरून सौम्या की हत्या के वक्त देखी गई थी, उसका इस्तेमाल जिगिशा की हत्या के समय भी किया गया। अप्रैल 2009 में दिल्ली पुलिस ने सौम्या हत्याकांड में रवि कपूर गैंग के खिलाफ मकोका लगाया। 6 फरवरी 2010 को रवि कपूर, बलजीत सिंह, अमित शुक्ला, अजय कुमार और अजय सेठी के खिलाफ मकोका, हत्या, डकैती और अन्य अपराधों के तहत आरोप तय किए गए।
19 जुलाई 2016 को साकेत कोर्ट ने मामले में सुनवाई पूरी कर ली और अगली सुनवाई के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। तब से विभिन्न कानूनी जटिलताओं के कारण निर्णय को कई बार टाला गया। लंबी कानूनी लड़ाई और तमाम परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की बारीकी से जांच के बाद 18 अक्टूबर 2023 को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।