फ़िलिस्तीन में जॉर्डन नदी तटवर्ती, 6 से 10 किलोमीटर चौड़े और 45 किलोमीटर लंबे गजा पट्टी क्षेत्र के तीन तरफ इजरायली नियन्त्रण है और मिस्र पड़ोस में हैं। पश्चिम में भूमध्य सागर है। यूक्रेन पर रूसी हमले की प्रचारित खबरों की तरह कॉर्पोरेट नियंत्रित मीडिया की कोशिश रही वह अरब में तेल संपदा की मौजूदा लड़ाई के बारे में अपने झूठ से दुनिया भर के लोगों के दिमाग में जहर भर देगी। इस्लामिक समाजवादी राज्य, फ़लस्तीन के मौजूदा राष्ट्रपति महमूद अब्बास और प्रधानमन्त्री इस्माइल हनियाह भी इजरायल ही नहीं हमास के अतिवादी रूख के कारण लगभग बेबस हो गए लगते है। अरब में तेल संपदा की मौजूदा लड़ाई ने सन 1948 में नकबा युद्ध के बाद पहली बार विकराल रूप धारण कर लिया है।
हमास ने सात अक्टूबर को हिज्बुल्लाह की मदद से इस्राईल के कई शहरों पर एक साथ हमला कर दिया। जिसमें करीब 1500 लोग मारे गए। मरने वालों में 25 अमेरिकी भी थे। हमास का हमला तीन दिनों तक जारी रहा। फिर इस्राईल ने लड़ाकू जहाजों से और भूमि से भी मिसाइल दाग गजा पट्टी को लगभग वीरान कर दिया। गजा में करीब 1900 फिलिस्तीनियों के मारे जाने की खबर है। जार्डन, सीरिया और मिस्र फिलिस्तीनियों के साथ आ चुके है। अमरीका, ब्रिटेन , जर्मनी , इटली और फ्रांस इस्राईल के साथ है। कुछेक को छोड़ सभी अरब मुल्क फिलिस्तीन के साथ है। ईरान ने सभी मुस्लिम मुल्क से फिलीस्तीनियों का साथ देने की गुजारिश की है।
इजरायल ने सीरिया पर भी हमला कर दिया जिसके कारण वहां के दोनों एयरपोर्ट, दमिश्क और एलेप्पो बंद करने पड़े। अमरीका का सबसे बड़ा जंगी जहाज इस्राईल की मदद के लिए पहुंच गया है। मिस्र, लेबनान और जार्डन की तरफ से भी इस्राईल पर राकेट दागे जा रहे है। इस्राईली फौज के गाज़ा पट्टी में गिराए पर्चे के मुताबिक हमास के खिलाफ यह उसकी आखिरी जंग है।
युद्ध को मनोरंजन बनाने का मीडिया का खेल-
इराक पर 1990 के दशक में अमेरिकी सेना द्वारा इजरायल आदि उसके मित्र देशों के सहयोग से ‘ इंटर कॉन्टिनेन्टल बालिस्टिक मिसाइल ‘ से किये हमलों को बहुतेरे भूल से गए हैं जिसे अमरीकी टेलीविजन चैनल , सीएनएन ने घर बैठे लोगों को लाइव दिखा कर युद्ध को मनोरंजन में बदलने की कोशिश की थी। ऐसा पहली बार हुआ था। तभी इसकी पुष्टि हो गई थी कि उत्तर आधुनिक युग में लोगों के दिमाग पर कंट्रोल करने मीडिया नया हथियार है। इसलिए हथियार बनाने वाली अमेरिका और दूसरे देशों की भी लगभग सभी कंपनियों ने अपने धन मीडिया में लगाने शुरू कर दिए। जाहिर है मेनस्ट्रीम मीडिया इस सच को छुपाने में लगी थी।
लेकिन हमने तब साथी आनंद स्वरूप वर्मा (Anand Swaroop Verma )और प्रदीप सौरभ( Pradeep Saurabh )के नेतृत्व में नए सिरे से संगठित, दिल्ली यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्टस (डीयूडब्ल्यूजे) की अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू की त्रिभाषी पत्रिका ‘ पीपुल्स मीडिया ‘ के बतौर संपादक इसे स्वीडन के रक्षा विषयक एक शोध संस्थान के प्रामाणिक अध्ययन के हवाले से रेखांकित किया था। यह ट्रेंड अब और ही बढ़ गया है जो अमेरिका की जाबंज महिला पत्रकार, एबी मार्टिन की डॉक्युमेंट्री ‘ गज़ा फ़ाइट्स फ़ॉर फ्रीडम ’ से बिल्कुल साफ हो जाएगा।
गज़ा फ़ाइट्स फ़ॉर फ्रीडम-
अरब में जोर्डन नदी के तटवर्ती, गजा पट्टी के लोगों के साथ बातचीत के आधार पर मार्टिन की डॉक्युमेंट्री ‘ गज़ा फ़ाइट्स फ़ॉर फ्रीडम ’ने वहां आखिन देखी सच दुनिया को दिखा दी है। इस फ़िल्म की शुरुआत फ़िलिस्तीन में रिपोर्टिंग के लिए उनकी टीम को इज़रायली सरकार के इस बोगस आरोप पर हुई कि वह सिर्फ प्रॉपेगेंडा करने आयी हैं। उन्हें इज़रायली सेना ने गजा जाने से रोक दिया। फिर मार्टिन ने गजा में पत्रकारों की एक टीम के साथ यह डॉक्युमेंट्री पूरी की जो ‘ ग्रेट मार्च ऑफ़ रिटर्न ’ के विरोध प्रदर्शनों के बारे में भी है जिसमें फ़िलिस्तीनी लोग नाकाबंदी पार कर अपने मुल्क लौटने की कोशिश करते रहते थे। यह सिलसिला इज़रायली सेना के बर्बर दमन के बावजूद हर हफ्ते मार्च 2018 से दिसंबर 2019 तक चलता रहा।
फिल्म दस्तावेज़ी फुटेज के ज़रिए दरअसल गज़ा के बीते कल और आज की कहानी है जो उस इतिहास को उकेरती है जिसे अमेरिकी अगुवाई की साम्राज्यवादी ताकतों ने कभी स्वीकार नहीं किया। फिल्म में वहां जारी जनसंहार के बारे में उसके पीड़ित लोगों , डॉक्टरों , चिकित्साकर्मियों और पत्रकारों से ही नहीं बल्कि अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सराही गईं महिला पैरामेडिक , रज़ान अल-नजर के परिजनों के हवाले से भी प्रामाणिक जानकारी दी गई है। रज़ान को इज़रायली सेना ने तब मार दिया जब वह गजा सीमा पर घायल लोगों की चिकित्सा कर रही थी।
यह फिल्म इजरायली सेना पर बार्बर युद्ध अपराधों का अकाट्य साक्ष्यों के साथ एक तरह से चार्जशीट और फ़िलिस्तीनियों के बहादुराना प्रतिरोध का सिनेमाई चित्रण है। इसकी निर्देशक, लेखक और नैरेटर खुद एबी मार्टिन हैं और प्रोड्यूसर उनके पति ,माइक प्रिस्नर हैं। साथी सत्यम वर्मा से मिली रिपोर्ट के मुताबिक ‘ गज़ा फ़ाइट्स फ़ॉर फ्रीडम ‘ उनके संचालित ‘ लखनऊ सिनेफ़ाइल्स ’ के टेलीग्राम चैनल पर अपलोड की गई है। उसके हिन्दी सबटाइटिल्स तत्काल नहीं बन सके।
मार्टिन-
अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य के प्लिसनटन में 6 सितंबर 1984 को पैदा अबीगैल सुज़ैन मार्टिन ने वहीं स्कूल शिक्षा के बाद सैन डिएगो स्टेट यूनिवर्सिटी से 2002 में राजनीति विज्ञान और स्पेनिश भाषा एवं साहित्य में स्नातक डिग्री हासिल की। जब 2001 में 11 सितंबर के हमलों के बाद उनके स्कूल प्रेमी को सेना में भर्ती कराया गया तो उन्हें पत्रकारिता में रुचि हो गई। उनके शब्द हैं: मैं नहीं चाहती थी वह युद्ध में जाए, युद्ध करना तो दूर की बात है।
उन्होंने इराक युद्ध को मीडिया द्वारा “बेचने” के बारे में सवाल करना शुरू कर दिया था। वह नागरिक पत्रकारिता के वेबसाइट ‘मीडिया रूट्स ‘ की संस्थापकों में शामिल हैं। वह ‘ मीडिया फ्रीडम फाउंडेशन ‘के निदेशक मंडल में भी रहीं। मार्टिन ने डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘ एंडिंग द रेन ऑफ जंक फूड न्यूज’ (2013) में काम किया और ‘द ऑक्युपाई वॉल स्ट्रीट ‘ फिल्म (2013) का सहनिर्देशन किया। उन्होंने 2012 से 2015 तक रूसी नेटवर्क, ‘ आरटी अमेरिका ‘ पर एक कार्यक्रम की मेजबानी की और उसी वर्ष ‘टेलीसुर’ पर खोजी शृंखला ‘ द एम्पायर फाइल्स ‘ शुरू की जिसे बाद में वेब सिरीज के रूप में जारी किया गया। उन्होंने 2019 में डॉक्यूमेंट्री, ‘ द एम्पायर फाइल्स: गाजा फाइट्स फॉर फ्रीडम ‘ जारी की। उन्होंने 2004 में अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में जॉन केरी के लिए प्रचार किया लेकिन जल्द ही उनका वहां की चुनावी व्यवस्था से मोहभंग हो गया।
मार्टिन , न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर 9 नवंबर 2008 के आतंकी हमले के सच को सामने लाने के लिए शुरू आंदोलन से जुड़ी थी। उन्होंने 2009 में ‘ मीडिया रूट्स ‘ संगठन की स्थापना की जो समाचार रिपोर्टिंग के लिए नागरिक मंच है। उन्होंने बतौर स्वतंत्र पत्रकार 2011 में ‘ऑक्युपाई वॉल स्ट्रीट ‘ आंदोलन को कवर किया। मार्टिन के शो ने दावा किया कि पानी का फ्लोराइडेशन ,लापरवाह अमेरिकियों को जहर देने की एक सरकारी साजिश थी। मार्टिन ने यूक्रेन पर रूसी सैन्य हमले की निंदा कर एक मिनट के बयान के साथ अपना शो बंद कर फरवरी 2015 में आरटी छोड़ दिया। मार्टिन ने उन पर विदेशी नियंत्रण के आरोपों को ‘ नव-मैककार्थीवादी ‘ उन्माद कहा जो नए शीत युद्ध का विशिष्ट लक्षण है।
द एम्पायर फाइल्स-
यह शो मूल रूप से ‘ टेलीसुर इंग्लिश ‘ द्वारा आयोजित था जो तेल संपदा प्रचूर लैटिन अमेरिकी देश, वेनेजुएला पर बढ़ते अमेरिकी प्रतिबंधों पर था। बाद में टेलीसुर ने इसे फंड देना बंद कर दिया तो अगस्त 2018 से यह शो वेब श्रृंखला सीरीज बन गई है जिसके एपिसोड मार्टिन की वेबसाइट, यूट्यूब और वीमियो पर अपलोड किए जा रहे हैं। मई 2019 में रिलीज़ उनकी डॉक्यूमेंट्री, द एम्पायर फाइल्स: गजा फाइट्स फॉर फ्रीडम , गजा-इज़राइल संघर्ष से संबंधित है। इसे अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के सिनेमाघरों में भी दिखाया गया।
निजी जीवन-
मार्टिन को पेंटिंग, फोटोग्राफी और कोलाज बनाने का शौक है। मार्टिन ने एम्पायर फाइल्स के सह-निर्माता और इराक युद्ध के अनुभवी, माइक प्रिज़नर से विवाह करने के बाद 31 मई 2020 को पहले बच्चे को जन्म दिया। उनका दूसरा बच्चा 29 जनवरी 2023 को पैदा हुआ।
बहरहाल, इस सिरीज के तीसरे पार्ट को पोस्ट किये जाने तक मार्टिन और उनके पति माइक प्रिज़नर की बनाई फ़िल्म देख सकते है।
*लेखक स्वतंत्र पत्रकार है और उन्हें इंदौर के पास एक छावनी में भारतीय सेना से ‘वार कोरेसपोनडेंट’ का प्रशिक्षण प्राप्त है।*