महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के राजापुर क्षेत्र में 48 वर्षीय पत्रकार शशिकांत वारिशे को कथित तौर पर एक पेट्रोल स्टेशन पर कार से कुचलकर मार दिया गया। ये कार वही व्यक्ति चला रहा था, जिसके खिलाफ वारिशे ने एक खबर लिखा था। शशिकांत वारिशे ने कोंकण में एक विवादास्पद रिफाइनरी परियोजना पर खुलासा किया था। 6 फरवरी को रत्नागिरी स्थित एक स्थानीय दैनिक ने कथित आपराधिक पृष्ठभूमि वाले भूमि एजेंट के बारे में पहले पन्ने पर खबर प्रकाशित की थी और इस खबर को लिखने वाले पत्रकार थे शशिकांत वारिशे। कथित तौर पर कार चलाने वाला ये व्यक्ति एक भू एजेंट है जिसका नाम पंढरीनाथ अंबरकर है।
घटना के बाद पत्रकार शशिकांत वारिशे को अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उनका निधन हो गया। 42 वर्षीय अंबरकर को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसके ऊपर हत्या का आरोप लगाया गया है।
महानगरी टाइम्स अखबार के रीजनल हेड शशिकांत वारिशे ने अपनी रिपोर्ट में अंबरकर को एक “अपराधी” बताया था। इस रिपोर्ट में ये सवाल उठाया गया था कि ‘एक आदमी जो जाना-माना एजेंट है और रिफाइनरी का समर्थक है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस जैसे शीर्ष नेताओं के साथ फोटो कैसे प्रचारित कर रहा है?’ दरअसल, इस भू एजेंट ने ऐसे पोस्टर लगाए थे जिनमें वो कोंकण में रिफाइनरी परियोजना लाने के लिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के साथ दिखाई दे रहा था।
अंबरकर को रत्नागिरी रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल परियोजना का समर्थक कहा जाता है, जिसके बारे में शशिकांत वारिशे ने मराठी अखबारों में लेखों की एक श्रृंखला में लिखा था।
हालांकि जो खबर अखबार में छपी थी उसमें वारिशे की बाइलाइन नहीं दी गई थी लेकिन उनके सहयोगियों का कहना है कि भू एजेंट पंढरीनाथ अंबरकर को अच्छी तरह से इस बात का पता था कि ये खबर किसने लिखी है। खबर छपने वाले दिन ही करीब दोपहर के समय वारिशे को कथित तौर पर अंबेरकर द्वारा कार से कुचल दिया गया।
रत्नागिरी के पुलिस अधीक्षक धनंजय कुलकर्णी ने कहा है कि प्रथमदृष्टया जो सबूत मिले हैं, उससे तो यही पता चलता है कि अंबेरकर का इरादा हत्या करने का ही था।
महाराष्ट्र के कई मीडिया संगठनों ने वारिशे की मौत की जांच की मांग की है। इन संगठनों का कहना है कि जिस रिफाइनरी परियोजना पर आधारित स्टोरी करने की वजह से वारिशे की हत्या कर दी गई, उस परियोजना में हुए भूमि अधिग्रहण को लेकर स्थानीय लोगों ने कड़ा विरोध किया था।
मुंबई प्रेस क्लब ने एक बयान जारी कर कहा है कि, “इस ‘क्रूर और सार्वजनिक हत्या’ ने “नागरिक स्वतंत्रता के गिरते मानकों और स्वतंत्र भाषण और किसी भी मीडिया रिपोर्टिंग को कुचलने के लिए राज्य और गैर-राज्य, दोनों ही पक्षों द्वारा किए गए बेशर्म प्रयास को प्रकाश में लाया है। वारिशे ने “बारसु में पेट्रोलियम रिफाइनरी के स्थानीय प्रतिरोध” पर प्रकाश डालते हुए कई रिपोर्टें लिखी थीं और हाल ही में उन बैनरों की ओर भी इशारा किया जिसमें अंबरकर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के साथ दिख रहे थे। अंबरकर जो कि एक स्थानीय भू-माफिया हैं वो रिफाइनरी के लिए किए जा रहे भूमि अधिग्रहण का विरोध करने वालों को धमकाने और परेशान करने के लिए जाना जाता है”।
इस घटना को लेकर मराठी पत्रकारों ने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से भी मुलाकात की है और उनसे इस मामले में सही तरीके से जांच कराने की अपील की है।
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने “पूरी तरह से स्वतंत्र” और “किसी भी प्रभाव से मुक्त” जांच की मांग की है और साथ ही और पत्रकार के परिवार वालों और इस मामले में गवाहों के लिए सुरक्षा की मांग की है।