उत्तर प्रदेश के बनारस में सड़कों की मरम्मत और बदहाली के जिम्मेदार योगी के विभागों की कलई प्रधानमंत्री संसदीय कार्यालय टीम की रिपोर्ट ने खोल दी है। गड्ढामुक्त करने के बाद टीम ने सर्वे कर शहर में 118 सड़कों की सूची जिलाधिकारी को सौंपी है। ये वह सड़कें हैं, जो पीडब्ल्यूडी, नगर निगम व पर्यटन विभाग द्वारा गड्ढामुक्त किये जाने के बाद भी अपनी बदहाली पर आसूं बहा रहे हैं। प्रधानमंत्री संसदीय कार्यालय टीम की रिपोर्ट उजागर होने बाद योगी (राज्य) व मोदी (केंद्र) की संस्थाओं में कोल्ड वार छिड़ गया है। वहीं, पब्लिक का कहना है कि जनता की पीड़ा से बेखबर रोड निर्माण से जुड़े संस्थाओं के अफसर सीएम योगी के आदेश को भी ठेंगा दिखा रहे हैं।
वैसे तो सरकारी दस्तावेजों में बनारस स्मार्ट शहर है, और विकास कार्य भी तेजी से चल रहे हैं। लेकिन, स्मार्ट शहर में सड़कों, नालियों और फुटपाथों की दुर्दशा भी किसी से छिपी नहीं है। लाखों लोगों और अन्य स्थानों से आये सैलानियों को बदहाल और जर्जर सड़क पर मजबूरी में आवागमन करना पड़ता है। उखड़ी और टूटी सड़क की वजह से कई बार मासूम पब्लिक हादसे का शिकार भी हुई है।
इधर, बीते नवंबर में सीएम योगी ने प्रदेशभर की सड़कों को गड्ढामुक्त करने का निर्देश दिया था। निर्देश मिलते ही बनारस में पीडब्ल्यूडी, नगर निगम और पर्यटन विभाग अपने-अपने हिस्स्से की हिस्से की सड़कों की मरम्मत में जुट गया। आनन-फानन में उक्त विभागों ने कुछ सड़कों पर और कुछ कागजों में गड्ढे भरकर अपनी पीठ थपथपा ली, और मंत्रियों से सराहना भी पाने से चुके नहीं। वहीं, प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यालय की टीम ने अपने स्तर से सर्वे कराया तो नतीजे ने भूचाल ला दिया। लम्बी-चौड़ी रिपोर्ट में मिली खामी और लापरवाही से पीडब्ल्यूडी, नगर निगम व पर्यटन विभाग शर्मसार हो गया है। अपने घीसे-पीटे व पुराने रवैये से छटकारा नहीं पाने की वहज से पीडब्ल्यूडी और नगर निगम की लापरवाही के चलते मोहल्ले से लेकर सोशल मीडिया तक योगी सरकार की किरकिरी हो रही है।
इन रूट्स की सड़कें हैं खराब-
पांडेयपुर से चंद्रा चौराहा और यहां से नई बस्ती, कैंटोनमेंट, छित्तूपुर-घण्टीमील रोड, रामनगर, चांदपुरी कॉलोनी के पास, रामनगर लाल बहादुर शास्त्री हॉस्पिटल के सामने पुराना रामनगर रोड, कैंटोनमेंट एरिया के पास एयरपोर्ट चौराहा, निर्माण खंड-रोहनिया मड़ौली से होते हुए चुरामन पुर मार्ग पर जीके ग्रैंड होटल के पास जगतपुर स्थित यूको बैंक से मनिहारीपुर गांव तक, डरेखू जाने वाले मार्ग स्थित लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज के पास तक आदि में सैकड़ों किमी बदहाल है। इन सड़क पर गड्ढों की भरमार है। उक्त मार्ग से रोजाना लाखों नागरिकों का आवागमन होता है। गंभीर रूप से कटी और बदहाल सड़क से एंबुलेंस, स्कूल बस, साइकिल और पैदल आवागमन करने में भी परेशानी होती रहती है। कई बार पानी लगे सड़क पर चलने से वाहन का पहिया गढ्डे में जाने से गिरकर चोटिल भी हो जाते हैैं, और कपड़े भी खराब हो जाते हैैं।
शहरी सड़कों की हालत बद से बदतर-
शहरी इलाके में भी सड़कों की स्थिति है ज्यादा खराब है। नगर निगम की सड़कों में प्रहलाद से राजघाट, काशी स्टेशन से प्रह्लाद घाट, मच्छोदरी पार्क से मच्छोदरी पुलिस चौकी, काशीपुर तिराहा से धोबीघाट, कबीर नगर कॉलोनी, जय सिंह चौराहा, पिचासमोचन, दुर्गाकुंड से नवाबगंज, मधुबन एंक्लेव कॉलोनी से बिर्दोपुर रोड, सुदामापुर, बड़ी गैबी, मुख्य मार्ग पानी टंकी के पास ताराधाम कॉलोनी, तुलसीपुर से महमूरगंज मुख्य मार्ग पर गड्ढे और सड़क की बदहाली से लोग परेशान हैं।
बनारस के पांच विधानसभाओं में सर्वे-
नागरकों की मिल रही शिकायत और परेशानियों को देखते हुए प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यालय ने अपने स्तर से पांचों विधानसभा क्षेत्र में सर्वे कर सड़कों का नाम, चित्र और डिटेल्स उच्चाधिकारियों को सौंप दिया है। रिपोर्ट में संबंधित विभागों द्वारा लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। शहर की मुख्य सड़क के साथ कॉलोनी के अप्रोच मार्ग की स्थिति भी काफी खराब है। ड्रेनेज सिस्टम खराब होने से सड़कों और गलियों में गंदा पानी लगा रहता है। सीवर की समस्या का भी निदान नहीं हो पाया है। बहरहाल, इस रिपोर्ट के आने के बाद से लापरवाह और जिम्मेदार विभागों में कोल्ड वार स्थिति बन गई है। उन्हें डर सता रहा है कि हाल ही में सीएम योगी का दौरा है, कहीं उन पर कार्रवाई की गाज न गिर जाए।
आठ साल से बदहाल, किसी ने नहीं ली सुध-
स्मार्ट सिटी बनारस की आठ सालों से पंचकोसी इलाके की सोनातालाब-दानदयालपुर रोड बदहाल है। दर्जनों बार से अधिक नगर निगम और आला अधिकारियों से शिकायत करने के बाद भी नागरिकों के रोज का सफर किसी मुसीबत से कम नहीं है। इस मार्ग में करीब तीन साल पहले मरम्मत के नाम पर पत्थर की बड़ी-बड़ी गिट्टियां डालकर छोड़ दी गईं, जो आज जानलेवा बन गई है। रोड में जगह-जगह बड़े गड्ढे हो गए हैैं। इन गड्ढों में पानी भरने से आए दिन बाइक सवार फिसल कर घायल हो रहे हैैं। लिहाजा, स्थानीय बाशिदों ने जल्द से जल्द रोड के डामरीकरण की मांग की है।
लाखों का आवागमन, फिर भी लापरवाही-
चंद्रा चौराहे और पांडेपुर को जोड़ने वाली सड़क के समीप रहने वाले स्थानीय निवासी रामजन्म ने बताया कि “यह सड़क दो सालों से बदहाल है। आए दिन लोगबाग गिरकर चोटिल होते रहते हैैं। सबसे अधिक दिक्कत साइकिल से स्कूल जाने वाले छात्र-छात्राओं को होता है। अब तो बारिश की वजह से सड़क की स्थिति और ही दिक्कत देने वाली हो गई है। यदि जल्द ही मरम्मत नहीं होगी तो नागरिक सड़क पर उतर कर आंदोलन करेंगे।”
वाहन चालाक मुकेश “तक्षकपोस्ट” से कहते हैं कि बनारस, पूर्वांचल का हब है। यहां रोजाना सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदैली, गाजीपुर, समीप बिहार, मध्य प्रदेश समेत बिहार के कई जनपदों से व्यापार, काम, खरीददारी, नौकरी, अध्ययन, सब्जी, दूध, हार्डवेयर, किराना समेत अन्य प्रकार के सामानों की खरीद बिक्री के लिए एक दिन में तकरीबन 15 लाख से अधिक वाहन आते-जाते हैैं। लिहाजा, सड़क के बदहाल होने से माल और सामानों के खराब होने की आशंका बनी रहती है। साथ गढ्डे में हिचकोले खाकर क्षतिग्रस्त हो जाते हैैं। शहर के सभी रूट्स को तत्काल मरम्मत की आवश्यकता है।”
बनारस में इन विभागों की इतनी सड़कें खराब-
नगर निगम -60
नगरपालिका -0 4
कैंटोनमेंट (छावनी) परिषद- 01
जिला व ग्राम पंचायत मंडी परिषद-14
एनएचएआई-01
पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड-02
पीडब्ल्यूडी निर्माण खंड -29
प्रोजेक्ट व सीवर कार्य-07
वाराणसी में कुल सड़कों ब्यौरा-
विभाग कुल सड़क
नगर निगम 692 किमी
आवास विकास 244 किमी
पीडब्ल्यूडी 165 किमी
पर्यटन विभाग 50 किमी
एनएचएआई 22 किमी
वीडीए 35 किमी
क्या कहते हैं जिम्मेदार-
पीडब्ल्यूडी विभाग के एक्सईएन केके सिंह कहते हैं कि सड़क की मरम्मत के लिए कांट्रैक्टर को निर्देशित किया जा चुका है। पैचवर्क के लिए मैटेरियल रवाना किया जा रहा है. विभाग की प्राथमिकता है जल्द से जल्द इस सड़क के गढ्डों को भर दिया जाएगा। नगर निगम के पीआरओ संदीप श्रीवास्तव के अनुसार सड़क के बदहाली का मामला संज्ञान में आ गया है। इस मामले से रोड निर्माण कार्यदायी संस्था के जिम्मेदार से अवगत कराया जाएगा। कार्य योजना बनाकर जल्द से जल्द सड़क की मरम्मत की जाएगी।
एक्टिविस्ट वैभव त्रिपाठी कहते हैं कि “एक नवंबर को स्वयं मुख्यमंत्री योगी और सड़क मंत्री ने 15 नवंबर तक सडकों को गड्ढा मुक्त करने के लिए सम्बंधित विभागों कड़ी हिदायत दी थी। 15 नवंबर भी गुजर गया और आधा दिसंबर लगने में कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। जब बनारस की सड़कों का 90 फीसदी से अधिक का पैचवर्क पूरा हो गया था तो प्रधानमंत्री संसदीय कार्यालय की टीम ने 118 बदहाल सड़कों को कहां से खोज लायी ? यह अपने आप में खोज और चिंतन का विषय है। जनता के आंख में धूल झोंका जा रहा है। रोड पर मानकविहीन और शेष पैचवर्क कागजों में कर जनता के साथ भद्दा मजाक बंद किया जाना चाहिए। पीडब्ल्यूडी, नगर निगम व पर्यटन विभाग और प्रधानमंत्री संसदीय कार्यालय की टीम के रिपोर्ट में विरोधाभास से यह जाहिर होता है कि बगैर तालमेल के ही विकास के घोड़े दौड़ाये जा रहे हैं। ऐसे प्रतीत कि बनारस के अधिकारी सूबे के मुखिया योगी की भी बात नहीं मानते हैं। लिहाजा, इनकी कागजी खानापूर्ति से पब्लिक को कुछ हासिल नहीं हो रहा है। बहरहाल, लापरवाहों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और अविलंब सड़कों की मरम्मत की जाए।”