अरुणांचल प्रदेश के तवांग में भारत-चीन सैनिकों के बीच हुए झड़प को लेकर संसद के दोनों सदनों में मंगलवार को खूब हंगामा हुआ। लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के भारी हंगामे के बीच दोनों सदनों को बार बार स्थगित करना पड़ा। सदन की कार्रवाही के दौरान कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन ने ने सरकार को जमकर घेरा।
खड़गे ने कहा, ”20 जून 2020 को चीन ने घुसपैठ की थी लेकिन पीएम मोदी ने कहा कि इस तरह की कोई घुसपैठ नहीं हुई है। यहां तक कि हमारे क्षेत्र से पीछे हटने के लिए चीनियों के साथ चल रही बातचीत भी रुक गई है और कोई नई तारीख तय नहीं बताई गई है। अप्रैल 2020 तक यथास्थिति सुनिश्चित करने की मांग के बावजूद, चीन ने हमारे क्षेत्र को खाली करने से इनकार कर दिया है।”
अधीर रंजन ने तो इस मुद्दे पर गृहमंत्री अमित शाह को कुर्सी छोड़ने तक कह दिया। उन्होंने कहा, ”एक बार प्रधानमंत्री केयर फंड का जायजा लिया जाए. उसमें जिन लोगों ने चंदा दिया है, उनकी सूची निकाली जाए और देखा जाए कि कितनी चीनी कंपनियों ने चंदा दिया है।” उन्होंने कहा, ”जब 12 बजे गृह मंत्री के बयान दिए जाने की बात की गई तो किस हैसियत से गृह मंत्री अमित शाह ने पहले ही बोल दिया कि कुछ नहीं हुआ सीमा पर?” उन्होंने कहा कि, “गृह मंत्री अगर खुद की रक्षा नहीं कर पा रहे हैं तो कुर्सी छोड़ दें”।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मुद्दे को लेकर लोकसभा में 12 बजे और राज्यसभा में 12.30 बजे बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि इस झड़प में भारत का एक भी सैनिक न तो शहीद हुआ है और न ही घायल हुआ है।
राजनाथ सिंह ने कहा, “मैं सदन को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हमारी सीमा पर 9 दिसंबर 2022 को हुई एक घटना के बारे में बताना चाहूंगा। 9 दिसंबर 2022 को पीएलए ट्रूप्स ने तमांग सेक्टर के यांग्से एरिया में LAC पर अतिक्रमण कर स्टेटस को एकतरफा बदलने का प्रयास किया। चीन की इस कोशिश का हमारे सेना ने दृढ़ता के साथ सामना किया और इस फेस ऑफ में हाथापाई भी हुई। सेना ने बहादुरी से पीएलए को हमारी टेरिटरी में अतिक्रमण करने से रोका और उन्हें उनकी पोस्ट पर वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया। इस झड़प में दोनों तरफ के सैनिकों को चोटें भी आई हैं और मैं इस सदन को बताना चाहता हूं कि इस झड़प में हमारा कोई सैनिक न मारा गया है और न गंभीर रूप से घायल हुआ है। इंडियन मिलिट्री कमांडर के समय पर किए गए इंटरवेंशन के कारण पीएलए सोल्जर अपनी लोकेशन पर वापस चले गए। इस घटना के बाद, ऐरिया के लोकल कमांड ने 11 दिसंबर 2022 को अपने चाइनीज काउंटरपार्ट के साथ स्थापित व्यवस्था के तहत एक फ्लैग मीटिंग कर इस घटना पर चर्चा की। चीन को इस तरह के एक्शन के लिए मना किया गया और सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए कहा गया। इस मुद्दे को चीनी पक्ष के साथ कूटनीतिक स्तर पर भी उठाया गया है। उन्होंने आगे कहा कि मैं इस सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारी सेनाएं हमारी भौमिक अखंडता को सुरक्षित रखने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं और इसके खिलाफ किसी भी प्रयास को रोकने के लिए भारत की सेना तत्पर है। मुझे विश्वास है कि यह सदन हमारी सेनाओं की वीरता और साहस को एक स्वर से समर्थन देगा। मैं आश्वस्त हूं कि ये संसद बिना किसी संशय के भारत की सेना की क्षमता, शौर्य, पराक्रम और प्रतिबद्धता का अभिनंदन करेगा।”
मालूम हो कि भारत-चीन के बीच नए संघर्ष पर कांग्रेस के कई सांसदों ने चीन के साथ लगती सीमा पर हालात को लेकर संसद के दोनों सदनों में चर्चा की मांग करते हुए मंगलवार को कार्यस्थगन प्रस्ताव के नोटिस दिए थे। कांग्रेस के कई सांसदों ने चीन के साथ लगती सीमा पर हालात को लेकर संसद के दोनों सदनों में चर्चा की मांग करते हुए कार्यस्थगन प्रस्ताव के नोटिस दिए थे। पार्टी सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में नोटिस देकर मांग की है कि प्रश्नकाल, शून्यकाल और अन्य विधायी कार्यों को रोककर इस विषय पर चर्चा कराई जाए, जबकि कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला और सैयद नासिर हुसैन ने राज्यसभा में इसी प्रक्रार के नोटिस दिए। कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने तवांग सेक्टर में भारत-चीन झड़प पर चर्चा के लिए राज्यसभा में नियम 267 के तहत सस्पेंशन ऑफ बिजनेस नोटिस दिया था। उन्होंने इस मामले में पीएम और रक्षा मंत्री से बयान देने और सदन में चर्चा करने की अपील की थी। कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने मंगलवार को राज्यसभा में नियम 176 के तहत अरुणाचल प्रदेश की तवांग सीमा पर भारतीय और चीनी सेना के बीच झड़प पर चर्चा के लिए नोटिस दिया।
मंगलवार को कांग्रेस के अलावा आरजेडी, तृणमूल कांग्रेस, आप समेत तमाम विपक्षी पार्टियों ने भी राज्यसभा और लोकसभा में इस मुद्दे पर तुरंत चर्चा की मांग को लेकर नोटिस दिया था। टीएमसी ने भी राज्यसभा में नियम 267 के तहत सरकार से इस मुद्दे पर बयान जारी करने की मांग की थी। आरजेडी सांसद मनोज झा ने भी इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की. आप ने भी इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की थी।
हैदराबाद के सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव पेश किया था। उन्होंने केंद्र पर देश को अंधेरे में रखने का आरोप लगाया है और पूछा कि संसद को झड़प के बारे में सूचित क्यों नहीं किया गया। उधर, तृणमूल कांग्रेस ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए राज्यसभा में एक नोटिस सौंपा।
मालूम हो कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत और चीनी सैनिकों के बीच 9 दिसंबर को झड़प हुई थी। इस झड़प में दोनों ओर के सैनिक जख्मी हुए। भारत के 6 जख्मी सैनिकों को गुवाहाटी में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है।
झड़प के बाद पूर्वी कमांड के सभी एयरफोर्स बेस अलर्ट –
तवांग में झड़प के बाद पूर्वी कमांड के सभी एयरफोर्स बेस को अलर्ट कर दिया गया है। सिलीगुड़ी में S-400 एयर डिफेंस सिस्टम को भी अलर्ट पर रखा गया है। L70 एयर डिफेंस गन अग्रिम मोर्चे पर तैनात किया गया है। साथ ही तेजपुर में SU-30 फाइटर प्लेन को भी स्टैंडबाई पर रखा गया है। हाशीमारा राफेल फाइटर बेस को भी स्टैंडबाई पर रखा गया है।
1962 के बाद अब तक चीन और भारत के बीच कब-कब हुई झड़प?
1967: नाथू ला के पास टकराव – चीन और भारतीय सेना के बीच नाथू ला में संघर्ष 11 सितंबर 1967 को शुरू हुआ था। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने नाथू ला में भारतीय चौकियों पर हमला बोल दिया था, जोकि 15 सितंबर 1967 तक चला।
1967: चो-ला के पास हिंसक झड़प – 1 अक्टूबर को चीन और भारतीय सेना के बीच चो ला पर एक और हाथापाई हुई थी, जिसमें भारतीय रणबांकुरों ने उन्हें खदेड़ दिया था। चो-ला जगह जो नाथू ला के उत्तर में स्थित है।
1975: अरुणाचल के तुलुंग में टकराव – 20 अक्टूबर 1975 को अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में चीनी सैनिकों ने भारत के गश्ती दल पर घात लगाकर हमला किया था।इस हमले में असम राइफल्स के 4 जवान शहीद हो गए थे।आधिकारिक तौर पर भारत ने दावा किया था कि 20 अक्टूबर 1975 को चीनी सेना ने तुलुंग ला के दक्षिण में भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया और असम राइफल्स के जवानों पर घात लगाकर हमला किया। चीनी सैनिकों की गोलीबारी में 4 भारतीय सैनिकों शहीद हो गए थे।
1987: तवांग में सैनिकों के बीच बहस – अरुणाचल प्रदेश के तवांग के उत्तर में 1962 के युद्ध के बाद 1987 में सुमदोरोंग चू की घटना सबसे बड़ी थी। यह भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के बीच एक ऐसा गतिरोध है जहां भारत-चीन युद्ध के करीब आ गए थे. सेना प्रमुख जनरल के सुंदरजी ने चीन की आक्रामक चालों का मुकाबला करने के लिए ‘ऑपरेशन फाल्कन’ के तहत बड़ी संख्या में सैनिकों को हवाई जहाज से चीन-भारत सीमा तक पहुंचाया था, जिन्होंने थाग ला से नमका चू के पार हाथुंग ला पर कब्जा जमाया था।
2017: डोकलाम में सेनाएं आमने-सामने – सिक्किम-भूटान-तिब्बत ट्राइजंक्शन के पास डोकलाम के भूटान के क्षेत्र पर 73 दिनों तक टकराव के बाद भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों को एक सड़क को बनाने से रोक दिया था। डोकलाम तिब्बत की चुंबी घाटी, भूटान की हा घाटी और सिक्किम से घिरा हुआ है।
2020: गलवान में जबरदस्त खूनी झड़प – 15 जून को 2020 को लद्दाख में LAC पर चीनी सेना के साथ संघर्ष में एक कर्नल सहित भारतीय सशस्त्र बलों के बीस जवान शहीद हो गए थे। गलवान में भारत-चीन के बीच कई महीनों तक तनाव बरकरार रहा।भारतीय सेना ने कहा कि दोनों पक्षों को नुकसान हुआ।