दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनकी गिरफ्तारी और उसके बाद उत्पाद शुल्क नीति मामले में उनकी रिमांड को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 15 अप्रैल को सुनवाई करेगा। जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। अरविंद केजरीवाल को दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में पिछले महीने प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था। पिछले हफ्ते दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा यह कहे जाने के बाद कि कानूनी प्रावधानों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है, अरविंद केजरीवाल ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि प्रवर्तन निदेशालय के पास अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को उचित ठहराने के लिए पर्याप्त सामग्री थी। अदालत ने कहा कि मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी का समय चुनने के लिए एजेंसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की एकल पीठ के 103 पेज के फैसले में कहा गया कि अदालत के समक्ष रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री से पता चलता है कि केजरीवाल ने कथित तौर पर अन्य व्यक्तियों के साथ साजिश रची थी और नीति के निर्माण में शामिल थे।
दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश सुनाते हुए कहा था कि ये जमानत का मामला नहीं है। याचिका में ईडी की ओर से गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है। हाई कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जल्द जांच पूरी करें और अरविंद केजरीवाल समन पर हाजिर नहीं हुए। कोर्ट को राजनीति से मतलब नहीं है। कोर्ट कानून के हिसाब से काम करती है। इससे पहले भी राजनेताओं से जुड़े मामले आएं हैं और कोर्ट ने कानून और संविधान के हिसाब से काम किया।
हाई कोर्ट ने कहा था कि अरविंद केजरीवाल ने “दूसरों के साथ साजिश रची” और “अपराध की आय का उपयोग करने में सक्रिय रूप से शामिल थे”। हाई कोर्ट ने कहा कि ईडी की ओर से इकट्ठा की गई चीजों से पता चलता है कि अरविंद केजरीवाल ने साजिश रची थी और अपराध की आय के इस्तेमाल और छिपाने में सक्रिय रूप से शामिल थे। ईडी के मामले से यह भी पता चलता है कि वह निजी तौर पर आम आदमी पार्टी के संयोजक के तौर पर भी शामिल थे।
हाई कोर्ट ने माना था कि ईडी की ओर से की गई गिरफ्तारी वैध है। कोर्ट ने कहा कि जरूरी हो तो ईडी गिरफ्तार कर सकती है।
अरविंद केजरीवाल ने 23 मार्च को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और दावा किया था कि ईडी की कार्रवाई उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और यह राजनीति से प्रेरित है।
केजरीवाल के अलावा आप नेता मनीष सिसौदिया भी इसी मामले में पिछले साल फरवरी से जेल में हैं। जेल में बंद आप के एक अन्य नेता संजय सिंह को हाल ही में मामले में जमानत मिली है।
सीबीआई और ईडी ने आरोप लगाया है कि AAP नेताओं ने अब खत्म हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति के तहत लाइसेंस देने के लिए राजनेताओं और शराब व्यवसायियों के एक समूह से रिश्वत के रूप में 100 करोड़ रुपये स्वीकार किए।