उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता विधेयक को कानून बनाने के लिए बुलाई गई विशेष विधानसभा के दूसरे दिन मंगलवार को उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता(UCC) विधेयक 2024 पेश किया। मुख्यमंत्री धामी ने ‘जय श्री राम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारों के बीच विधेयक पेश किया। यदि सदन द्वारा यह विधेयक पारित कर दिया जाता है तो भाजपा शासित राज्य समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को अपनाने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा।
https://x.com/pushkardhami/status/1754754847574781972?s=20
विधेयक पेश करने से पहले, कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी सदस्यों ने कहा कि उन्हें इसके प्रावधानों का अध्ययन करने के लिए समय नहीं दिया गया। उन्होंने सदन के अंदर विरोध प्रदर्शन भी किया।
विपक्ष के नेता यशपाल आर्य ने कहा, “ऐसा लगता है कि सरकार विधायी परंपराओं का उल्लंघन कर बिना बहस के विधेयक पारित करना चाहती है।”
इससे पहले रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य मंत्रिमंडल ने सभी नागरिकों के लिए उनके धर्म, लिंग या यौन रुझान की परवाह किए बिना व्यक्तिगत कानूनों का एक सामान्य सेट स्थापित करने के उद्देश्य से यूसीसी विधेयक को मंजूरी दे दी थी ।
सूत्रों के अनुसार आज पेश किए गए यूसीसी विधेयक की कुछ प्रमुख विशेषताओं में बेटे और बेटी के लिए समान संपत्ति अधिकार सुनिश्चित करना, वैध और नाजायज बच्चों के बीच अंतर को खत्म करना, गोद लिए गए और जैविक रूप से जन्मे बच्चों का समावेश और मृत्यु के बाद समान संपत्ति अधिकार सुनिश्चित करना है।
अन्य प्रमुख संभावित सिफ़ारिशों में शामिल हैं- बहुविवाह और बाल विवाह पर पूर्ण प्रतिबंध, सभी धर्मों में लड़कियों के लिए एक समान विवाह योग्य आयु और तलाक के लिए समान आधार और प्रक्रियाएं लागू करना।
यूसीसी पैनल ने ड्राफ्ट तैयार करने से पहले 143 बैठक कीं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि यूसीसी को लेकर राज्य की जनता से किए गए वादों को पूरा किया जा रहा है। मालूम हो कि यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बनाई गई कमेटी का पिछले दिनों कार्यकाल बढ़ाया गया था, लेकिन मुख्यमंत्री धामी के बाद एक बात साफ है कि उत्तराखंड में जल्द ही यूसीसी लागू हो जाएगा।
सेवानिवृत्त न्यायाधीश देसाई के अलावा यूसीसी विशेषज्ञ समिति में रिटायर्ड न्यायाधीश प्रमोद कोहली, सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह और दून विश्वविद्यालय की उप कुलपति सुरेखा डंगवाल भी शामिल हैं। इस समिति को कुल चार विस्तार भी दिए गए जिसमें से अंतिम बार इसे जनवरी में 15 दिनों के लिए दिया गया। समिति को अपने करीब दो साल के कार्यकाल के दौरान 2.33 लाख लिखित सुझाव मिले। इसकी 60 बैठकों में सदस्यों ने करीब साठ हजार लोगों से बातचीत की।
मालूम हो कि समान नागरिक संहिता का अंतिम मसौदा 2 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाले पांच सदस्यीय पैनल द्वारा मुख्यमंत्री धामी को सौंपा गया था। मसौदा प्राप्त होने और कानून की प्रक्रिया शुरू करने पर मुख्यमंत्री ने पहले कहा था कि “लंबे समय से प्रतीक्षित क्षण आ गया है”।