अग्निपथ योजना के कारण बेरोज़गार हुए युवा पेंडिंग भर्ती की माँग को लेकर लंबे समय से जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे थे। मंगलवार को ये युवा उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ के आवास बाहर प्रदर्शन करने पहुँचे। दरअसल ‘अग्निपथ’ योजना लागू होने से पहले रक्षा बलों में चयनित इन 1.5 लाख युवाओं के प्रतिनिधिमंडल ने उपराष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा गया था लेकिन समय न मिलने पर वे मजबूर होकर अपनी भर्ती की मांग को लेकर और अपने साथ हुए अन्याय के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने उपराष्ट्रपति आवास पहुँच गए।
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इन युवाओं का कहना है कि मोदी सरकार ने ‘अग्निपथ’ योजना लाकर लाखों युवाओं के सपनों को रौंद दिया है। 1.5 लाख से अधिक युवाओं को ‘अग्निपथ’ योजना लागू होने से पहले तीनों सेनाओं में भर्ती के लिए चयनित किया गया था लेकिन आज तक उन्हें जॉइनिंग लेटर नहीं मिला है। इनमें एयरफ़ोर्स के 7,000 युवा और नर्सिंग असिस्टेंस आर्मी (मेडिकल कोर) के लगभग 2,500 नर्सिंग असिस्टेंट भी शामिल हैं, जिनकी भर्ती की सारी प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी। 2019 से 2021 के बीच आर्मी में की गई लगभग 97 भर्तियों को भी ‘अग्निपथ’ योजना की आड़ में रद्द कर दिया गया।
कांग्रेस नेता अलका लांबा ने कहा, “मोदी सरकार के द्वारा ‘अग्निपथ योजना’ के ज़रिए, सेना भर्ती की तैयारी करने वाले लाखों युवाओं के साथ अन्याय किया जा रहा है। सेना में पेंडिंग भर्ती को लेकर युवा अभ्यर्थी, कई दिनों से दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन तानाशाह सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। जब तक सभी 1.5 लाख देश प्रेमी युवाओं को उनका हक नहीं मिलता, अग्निपथ योजना के खिलाफ हमारी मुहिम जारी रहेगी। हम कल किसानों के साथ भी खड़े थे और हम, आज इन देशभक्त युवाओं के साथ भी हर हाल में डटे रहेंगे।”
एआईसीसी की पूर्व सैनिकों की शाखा के कर्नल (सेवानिवृत्त) रोहित चौधरी ने कहा कहा, ‘‘सेवाओं में शामिल होने के लिए उन्होंने सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली थीं और अंतिम चयन के लिए अर्ह घोषित किये गये थे। हमने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इन युवाओं को सेना में नियुक्ति के लिए मंजूरी दिये जाने की मांग की थी, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हुआ है।’’
केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए रोहित चौधरी ने आरोप लगाया कि सरकार इन युवाओं की भावनाओं से खेल रही है। उन्होंने कहा, ‘‘60 लाख से अधिक युवाओं ने शारीरिक परीक्षा में हिस्सा लिया था और पूरे देश से 1.5 लाख से अधिक युवाओं को भर्ती के लिए चुना गया था, लेकिन उन्हें लिखित परीक्षा के लिए नहीं बुलाया गया।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि इन युवाओं का एक प्रतिनिधिमंडल पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मिला था और उन्होंने वादा किया था कि लिखित परीक्षा जल्द ही आयोजित की जाएगी, लेकिन तब से अब तक कुछ नहीं हुआ। ये यह साबित करता है कि उनके वादे सिर्फ जुमले की तरह हैं।