रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के लिए प्रलय सामरिक बैलिस्टिक मिसाइलों की एक रेजिमेंट खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है जो 150-500 किमी तक लक्ष्य पर हमला कर सकती है। वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों के अनुसार, यह पहली बार है कि किसी बैलिस्टिक मिसाइल को पारंपरिक संचालन के लिए सेवाओं में शामिल किया जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि प्रलय मिसाइलों का वर्तमान में बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा रहा है और जल्द ही परिचालन सेवा के लिए तैयार होने की उम्मीद है।
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प्रलय मिसाइल कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है. यानी Short Range Surface to Air Missile (SR-SAM)। प्रलय मिसाइल की टर्मिनल फेज में स्पीड 1200 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। लेकिन यह बढ़कर 2000 किलोमीटर प्रतिघंटा तक जा सकती है। यानी हवा से टारगेट पर गिरते समय इसकी गति ज्यादा हो जाती है। क्योंकि उस समय गुरुत्वाकर्षण काम करने लगता है। अगर पड़ोसी देशों की बात करें तो चीन के पास इस लेवल की डोंगफेंग-12 मिसाइल है, जबकि, पाकिस्तान के पास गजनवी, एम-11 (चीन से मिली) और शाहीन मिसाइल है। कम रेंज का फायदा ये है कि यह सीमा के पास मौजूद दुश्मन के अड्डों को चुटकियों में खत्म कर देगी।
साल 2021 के दिसंबर महीने में 24 घंटे के अंदर इस मिसाइल का दो बार परीक्षण किया गया था। चीन और पाकिस्तान की सीमा पर इस मिसाइल की तैनाती से दोनों देशों से सुरक्षा में मजबूती मिलेगी।
जानकारी के अनुसार, इन मिसाइलों का अधिग्रहण एक रणनीतिक रॉकेट बल विकसित करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। इसकी वकालत चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने की थी।
यह घटनाक्रम नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार की हालिया टिप्पणी के बाद आया है, जिन्होंने कहा था कि जनरल रावत सीमा पर दुश्मनों का मुकाबला करने के लिए एक रॉकेट फोर्स के निर्माण पर काम कर रहे थे।
पिछले दिसंबर में लगातार दो दिनों में मिसाइल का दो बार सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था, और सेनाएं तब से इसके अधिग्रहण और शामिल करने की दिशा में काम कर रही हैं।
प्रलय मिसाइलों से भारतीय सेना की आक्रामक क्षमताओं को पर्याप्त बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।