कांग्रेस पार्टी ने शनिवार को हैदराबाद में आयोजित कार्य समिति की बैठक के पहले दिन लिए गए प्रस्तावों की सूची जारी की। सीडब्ल्यूसी ने एक प्रस्ताव अपनाया जिसमें सभी लोकतांत्रिक ताकतों से संविधान पर मोदी सरकार के कथित हमले की निंदा और विरोध करने का आग्रह किया गया। कई अन्य प्रस्तावों के बीच पार्टी ने मांग की है कि महिला आरक्षण विधेयक संसद के विशेष सत्र के दौरान पारित किया जाए। पार्टी ने एससी, एसटी, ओबीसी के लिए आरक्षण की मौजूदा ऊपरी सीमा को बढ़ाने का आह्वान किया। पार्टी ने देश को विभाजनकारी राजनीति से मुक्त करने के लिए I.N.D.I.A पहल को वैचारिक, चुनावी सफल बनाने का संकल्प भी दोहराया।
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कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने बताया कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी में तीन प्रस्ताव पारित हुए हैं। पहला, केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी के देहांत पर शोक प्रस्ताव है, दूसरा मणिपुर पर शोक प्रस्ताव और तीसरा शोक प्रस्ताव हिमाचल प्रदेश की आपदा पर है। उन्होंने आगे कहा कि इस प्रस्ताव में यह भी मांग की गई है कि हिमाचल की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए ताकि सरकार से जो सहायता मिलनी है वह पर्याप्त मात्रा में मिल सके।
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कांग्रेस सांसद पी. चिदंबरम ने कार्यसमिति की बैठक पर जानकारी देते हुए कहा कि CWC एक ड्राफ्ट प्रस्ताव पर विचार-विमर्श कर रही है। हम देश की स्थिति पर चर्चा कर रहे हैं। देश के सामने आने वाले आर्थिक संकट और आंतरिक और बाहरी सुरक्षा खतरों में विभाजित किया जा सकता है जो देश के लिए एक बड़ी चुनौती हैं।
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पवन खेड़ा ने कई टीवी न्यूज एंकरों के बायकॉट की आइएनडीआइए गठबंधन की घोषणा पर कहा कि हमने किसी पर प्रतिबंध नहीं लगाया है और न ही उनका बायकॉट किया है। यह एक असहयोग आंदोलन है, हम समाज में नफरत फैलाने वाले किसी भी व्यक्ति का सहयोग नहीं करेंगे। खेड़ा ने कहा कि वे हमारे दुश्मन नहीं हैं। कुछ भी स्थायी नहीं है। अगर कल उन्हें एहसास होगा कि वे जो कर रहे थे, वह भारत के लिए अच्छा नहीं है, तो हम फिर से उनके शो में जाना शुरू कर देंगे।
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कांग्रेस कार्य समिति ने सबसे पहले जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए हमारे बहादुर सैन्य अधिकारियों और सैन्य कर्मियों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। CWC की बैठक में पास प्रस्ताव में कहा गया कि जब इस त्रासदी को लेकर देश शोक मना रहा था तब भाजपा और प्रधानमंत्री द्वारा ख़ुद को G20 की बधाई देने के लिए दिल्ली में जश्न मनाना न सिर्फ़ बेशर्मी की पराकाष्ठा है, बल्कि जवानों की शहादत का अपमान है।
CWC ने बीते एक साल में कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में उनके योगदानों के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे की सराहना की। इसमें कहा गया कि वह (खड़गे) निडरता के साथ मोदी सरकार के हमलों से संविधान को बचाने के लिए आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। वह लगातार प्रधानमंत्री को उनकी जनविरोधी नीतियों और कार्यक्रमों के लिए ज़िम्मेदार ठहराते रहे हैं।
कार्य समिति ने राहुल गांधी के नेतृत्व में कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा की पहली वर्षगांठ पर भी प्रसन्नता व्यक्त की। यात्रा के बारे में कहा गया कि यह यात्रा देश की राजनीति में एक परिवर्तनकारी घटना थी जिसका उद्देश्य भारत को तोड़ने वाली शक्तियों के खिलाफ़ लोगों को एकजुट करना; बढ़ती असमानता, घटती आय, बढ़ती बेरोज़गारी और आवश्यक वस्तुओं की आसमान छूती कीमतों के विरुद्ध लोगों की आवाज़ उठाना; और बढ़ती तानाशाही, लोकतांत्रिक संस्थानों पर कब्ज़े और हमारे संघीय ढांचे पर हो रहे हमलों का विरोध करना था। CWC ने संकल्प लिया कि पार्टी संगठन हर स्तर पर भारत जोड़ो यात्रा की भावना, उसके विचार और उद्देश्यों को आगे बढ़ाता रहेगा। साथ ही इसे हमारे देश के हर हिस्से में जीवित रखेगा।
CWC में कहा गया कि राहुल गांधी को संसद सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित किया जाना प्रधानमंत्री की राजनीतिक प्रतिशोध का नतीजा था। उनकी संसद सदस्यता फिर से बहाल होने पर CWC गहरा संतोष व्यक्त करती है। क्योंकि इससे सत्य और न्याय की जीत हुई है।
CWC ने मणिपुर मुद्दे पर दुःख व्यक्त किया और कहा- “संवैधानिक तंत्र के पूरी तरह से ध्वस्त होने और राज्य में जारी हिंसा पर CWC गहरा दुख व्यक्त करती है। चार महीने से अधिक समय से राज्य में हिंसा और अशांति का दौर जारी है। इतने दिनों में भाजपा की ध्रुवीकरण की नीतियों की वजह से राज्य बुरी तरह से विभाजित हो जुका है। प्रधानमंत्री की चुप्पी और उपेक्षा, गृह मंत्री की विफलता और मुख्यमंत्री के अड़ियल रवैये ने बेहद ही ख़तरनाक स्थिति पैदा कर दी है। जहां सुरक्षा बलों और नागरिकों के बीच और सेना/असम राइफल्स और राज्य पुलिस के बीच बार-बार टकराव की ख़बरें सामने आ रही है। मणिपुर से जो चिंगारी निकली है, अब उसके बड़े पैमाने पर उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में फैलने की आशंका है। CWC मुख्यमंत्री को तत्काल हटाने और राष्ट्रपति शासन लगाने की कांग्रेस पार्टी की मांग को दोहराती है।”
CWC ने केंद्र की मोदी सरकार पर भी हमला बोला और कहा कि भाजपा और मोदी सरकार द्वारा अपनाई गई विभाजनकारी और भेद-भाव से भरी नीतियों एवं प्रधानमंत्री द्वारा लोगों को एकजुट करने के बजाय चुनिंदा मामलों पर अपनी चुप्पी की वजह से पिछले नौ वर्षों में ये तीनों ही समस्याएं कई गुना बढ़ गई हैं। उनकी सरकार ने ग़रीबों और कमज़ोर लोगों, विशेषकर महिलाओं, अल्पसंख्यकों, दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की है। संसद के अंदर और बाहर भाजपा के नेताओं का राजनीतिक भाषण समाज में ज़हर घोलने वाला होता है। उनके बयान नफ़रत फ़ैलाने वाले और हिंसा को बढ़ावा देने वाले होते हैं। वे विभाजनकारी ताकतों को प्रोत्साहित करते हैं और समाज का ध्रुवीकरण करते हैं। भाजपा के नेताओं और प्रवक्ताओं ने पिछले प्रधानमंत्रियों, विशेष रूप से जवाहरलाल नेहरू के योगदानों को कम करके दिखाने और आंकने की कोशिश की है। साथ ही उनकी छवि को भी विकृत किया गया है। राजनीतिक नेताओं को निशाना बनाने और उनके ख़िलाफ़ राजनीतिक प्रतिशोध के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया गया है।
कांग्रेस कार्यसमिति ने मोदी सरकार को MSP और अन्य मांगों के मुद्दों पर किसानों एवं किसान संगठनों से किए गए वादों की भी याद दिलाई और साथ ही बढ़ती बेरोज़गारी और विशेष रूप से आवश्यक वस्तुओं की क़ीमतों में लगातार वृद्धि पर गंभीर चिंता व्यक्त की। CWC ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और OBC के लिए आरक्षण की मौजूदा ऊपरी सीमा को बढ़ाने का भी आह्वान किया।
CWC ने कहा की संसद में पेश किया गया मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति आदि) विधेयक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग की स्वतंत्रता से गंभीर समझौता करने वाला है। सरकार अचानक संसद का विशेष सत्र बुला लेती है। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी जी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सार्वजनिक चिंता और महत्व से जुड़े नौ गंभीर मुद्दों उठाए, जिन पर इस विशेष सत्र में चर्चा की आवश्यकता है। CWC इस पहल के लिए और पार्टी संगठन को मज़बूत करने में उनकी निरंतर अभिरुचि के लिए उन्हें धन्यवाद देती है।
कांग्रेस कार्यसमिति ने महिला आरक्षण बिल को संसद के इस विशेष सत्र में पारित करने की माँग भी की।
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को कांग्रेस कार्यसमिति ने देश के संघीय ढांचे पर एक और हमला बताया। इसमें कहा गया कि मोदी सरकार ने राज्यों के कर राजस्व हिस्सेदारी में कमी करके, राज्यपाल के कार्यालयों का दुरुपयोग करके, विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू करने में बाधाएं उत्पन्न करके — जैसा कि कर्नाटक में फ़ूड सिक्योरिटी गारंटी के मामले में हुआ — सुनियोजित ढंग से संघवाद को कमज़ोर कर दिया है। केंद्र ने विपक्ष द्वारा शासित राज्यों को इमरजेंसी फंड और आपदा राहत देने से भी इंकार किया है।
CWC ने स्पष्ट शब्दों में चीन द्वारा भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ और नक्शा में अरुणाचल प्रदेश और भारत के अन्य हिस्से को शामिल करने जैसी उसकी उकसावे की नीति की निंदा की। कार्य समिति ने कहा कि 19 जून, 2020 को चीन को क्लीन चिट देकर और भारतीय क्षेत्र पर क़ब्ज़े की बात से इंकार करके प्रधानमंत्री ने देश को गुमराह किया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी और राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, महासचिव केसी वेणुगोपाल और बैठक में अन्य लोगों के अलावा जयराम रमेश भी मौजूद थे।