राजस्थान की 16वीं विधानसभा के लिए आगामी चुनाव में जीत में कांग्रेस को फिलहाल खास मुश्किल नहीं लगती है। पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत के आसार कम लगते हैं। वैसे कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी क्या गुल खिलाएगी अभी कहा नहीं जा सकता है। भाजपा भी आसानी से अपनी हार नहीं मानने वाली है।
भाजपा के उम्मीदवारों की पहली सूची में राजस्थान की कुल 200 सीटों में से करीब 70 नाम घोषित करने की संभावना है। जानकार सूत्रों के मुताबिक ये वे सीटें होंगी ज्यादातर जहां भाजपा कमजोर है। पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति में मोदी जी , रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह शामिल है। ये नेता 18 से 22 सितंबर तक संसद के बुलाए विशेष सत्र की तैयारी में लगे है।
पिछली विधानसभा-
राजस्थान की 2013 में चुनी गई पिछली विधानसभा का कार्यकाल 20 जनवरी को समाप्त हुआ था। पिछले विधान सभा चुनाव की अधिसूचना 12 नवम्बर 2018 को जारी हुई थी और वोटिंग सात दिसंबर को कराई गई। वोटों की गिनती 11 दिसंबर को हुई। मतदान और मतगणना भी इलेकट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानि ईवीएम से करायी गई थी। भाजपा ने 2013 के चुनाव में 163 सीटें जीत कर सरकार बनाई और वसुंधरा राजे पहली बार मुख्यमंत्री बनी थी। कांग्रेस ने 21 और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 3 सीटें जीती थी।
अशोक गहलोत-
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल में कहा जब वह चुनाव जीतकर आए तो भाजपा 32 सीटों पर सिमट गई थी। उस वक्त हम 156 सीट जीते थे। उसके बाद मैं भैरों सिंह शेखावत के घर गया। होली दिवाली पर हमारा एक दूसरे के घर आना जाना था। वसुंधरा राजे जब चुनाव जीत गई तो ऐसी स्थिति बन गई जैसे हम आपस में दुश्मन हों। जब मैं मुख्यमंत्री बना तब फिर हाय हेलो होने लग गई।
मुख्यमंत्री गहलोत ने आगामी विधान सभा चुनाव में जीत का भरोसा जताते हुए कहा कि लोकतंत्र में पब्लिक माई बाप होती है। इस बार पब्लिक का मूड बन गया है। जो काम हमने किए हैं उससे घर -घर में यह बात पहुंच गई है कि ऐसी सरकार हमने पहले देखी नहीं है। सरकार रिपीट करने का आमजन ने फैसला कर लिया है। पहले की परिपाटी टूट जाएगी. चाहे मोदी आए या कोई और नेता हमें कोई चिंता नहीं है। इस बार हमारा लक्ष्य 156 से ज्यादा सीटें जीतने का है।
वसुन्धरा राजे-
राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे 8 दिसम्बर 2003 से 11 दिसम्बर 2008 तक इस पद पर रहीं। उनका जन्म 8 मार्च 1953 को मुम्बई में हुआ था। वह पूर्ववर्ती ग्वालियर रियासत के दिवंगत पूर्व महाराज जिवाजी राव सिंधिया और भाजपा की कद्दावर दिवंगत नेता विजया राजे सिंधिया की पुत्री हैं। उनका ब्याह 1971 में पूर्ववर्ती धौलपुर राजघराने के हेमंत सिंह से हुआ था। पर अगले ही बरस दोनों अलग हो गए। उनके पुत्र दुष्यंत सिंह झालावाड़-बारां लोकसभा सीट से सांसद हैं, जिनका विवाह गुर्जर राजघराने में निहारिका सिंह से हुआ है।
राजे जी कांग्रेस से भाजपा में चले गए केन्द्रीय नागरिक मंत्री और मध्य प्रदेश के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ, उसी प्रदेश की मंत्री यशोधरा राजे की बहन और उनके उनके दिवंगत कांग्रेसी पिता माधव राव सिंधिया की बहन हैं।वह अभी झालरापाटन से विधायक हैं। पिछले चुनाव में भाजपा के तब के अध्यक्ष अमित शाह ने जयपुर में पार्टी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में संकेत दिए थे कि वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में पेश किया जा सकता है। उन्होंने कहा था कि राजे सरकार ने बहुत काम किया है.भामाशाह योजना, मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान और गौरव पथ जैसी योजनाओं को देश में यश मिला है। इस बार राजे को ही मुख्यमंत्री बनाने का संकेत अभी तक नहीं दिया गया है। राजे ने तब कहा था कि उनकी पार्टी पिछली बार से भी अधिक सीटें जीतेगी। पर ऐसा नहीं हुआ।
वसुन्धरा राजे ने पहला चुनाव 1984 मे मध्यप्रदेश के भिंड लोकसभा सीट से लड़ा जिसमे उनकी हार हुई। उस वक्त देश में इंदिरा गांधी की हत्या से काग्रेस के पक्ष मे सहानुभूति लहर चल रही थी। लंबे अरसे तक मुख्यमंत्री रहे भैरोंसिंह शेखावत (अब दिवंगत) के उपराष्ट्रपति बनने के बाद वह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनी। उन्होंने 2013 में गहलोत सरकार को सता से हटाने के लिए सुराज संकल्प यात्रा निकाली, जिसके बाद वह मुख्यमंत्री बनी| वह 2018 के चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बनने में नाकामयाब रही।
भाजपा की हाल में घोषित प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति और प्रदेश संकल्प पत्र (घोषणा पत्र) समिति में वसुंधरा राजे को शामिल नहीं किया गया तो उनके समर्थक निराश हो गए। फिर भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व ने गहलौत सरकार के खिलाफ 2 सितंबर से निकाली परिवर्तन यात्रा में उन्हें आगे कर दिया। उन्होंने इससे उत्साहित होकर गहलौत सरकार के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया। ये यात्राएं चार धर्मस्थलों से निकाली जाएगी और उनका समापन 25 सितंबर को जयपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से होगा। ऐसी पहली यात्रा दो सितंबर को अमित शाह ने सवाई माधोपुर के त्रिनेत्र गणेश मंदिर से रवाना किया, जिसकी अगुवाई राजे को ही सौंपी गई है। दूसरी यात्रा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने डूंगरपुर के बेणेश्वर धाम से 3 सितंबर को रवाना किया ,जिसका नेतृत्व पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी कर रहे है।तीसरी यात्रा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जैसलमेर के रामदेवरा से 4 सितंबर को विदा किया,जिसका नेतृत्व केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को सौंपा गया। चौथी यात्रा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हनुमानगढ़ के गोगामेड़ी से 5 सितंबर को विदा की, जिसकी अगुवाई पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया कर रहे है। इन यात्राओं से पहले राजे ने गहलौत सरकार पर हल्ला बोल कर ट्विटर (एक्स) पर लिखा: गंग नहर में पानी की आवक शून्य है जबकि फसलों को पानी की जरूरत है। किसान धरने पर बैठे हैं पर सरकार ने उनकी सुध नहीं ली है। उन्होंने मुख्यमंत्री गहलौत के ‘ विजन 2030 ‘ पूछा आप कौन विजन की बात कर रहे हैं? आपसे 2018 के चुनाव में किसानों की कर्ज माफी और युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने का वादा तो पूरा हुआ नहीं। आपने प्रदेश को अव्वल बनाने का वादा किया था। पर आपने उसे महिलाओं के खिलाफ अपराध में, बेरोजगारी में, महंगाई और भ्रष्टाचार में, परीक्षा पेपर लीक में नंबर वन बनाकर छोड़ दिया। राजे के अनुसार भाजपा सरकार ने जो काम किए थे उन पर रंगाई-पुताई कर क्रेडिट लेने में कांग्रेस ने पौने पांच साल निकाल दिए। बिजली विभाग पर 80,000 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है और बिजली कटौती की मार जनता झेल रही है। मुख्यमंत्री पिछले 4 साल का अपना रिपोर्ट कार्ड देख तो यूं कोरे सपने नहीं देखते। जनता अब आपको दिन में तारे दिखाने वाली है।
सीपी जोशी-
भाजपा प्रदेशा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद के दावेदार सीपी जोशी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार पूरी तरह भ्रष्टाचार में लिप्त है। इतने पेपर लीक किसी राज्य में नहीं हुए। आरपीएससी, कलाम कोचिंग, राजीव गांधी स्टडी सर्किल की भूमिका पर जवाब दिया जाना चाहिए। जोशी ने कहा कि गहलौत ,राजेश पायलट को मित्र बताते हैं लेकिन मित्र के बेटे को गद्दार, निकम्मा कहते हैं। महंगाई को मुद्दा नहीं कहने वाले गहलोत बताएं हनुमानगढ, गंगानगर नगर से लोग क्यों पंजाब में पेट्रोल डीजल लेने जाते हैं। मोदी सरकार ने पेट्रोल डीजल से वेट घटा दिया, पर राजस्थान सरकार जनता की जेब काट रही है। सबसे महंगा पेट्रोल डीजल इसी राज्य में है। बिजली भी सबसे मंहगी है। जोशी ने कहा कि “घोषणा वीर “ मुख्यमंत्री गहलौत , लोगों को गुमराह करने का प्रयास करते हैं. मुख्यमंत्री कहते हैं नेहरू नहीं होते तो विकास नहीं होता.हकीकत यह है कि देश में कई प्रधानमंत्री आए, पर पहली बार मोदी सरकार ने ही सुविधाएं मुहैया कराने का काम किया। चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला देश है तो भारत है। पहले की सरकारों में वैज्ञानिकों को सुविधा नहीं मिलती थी। राजे के बारे में पूछे सवाल पर जोशी ने कहा कि वह भाजपा पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं, जब जरूरत होती है तब बैठकों में उपस्थित रहती हैं।
पोलस्टर-
किसी भी चुनाव-पूर्व सर्वे में अब तक कांग्रेस की हार और भाजपा की जीत के संकेत नहीं मिले हैं तो इसके ठोस कारण होंगे। पिछले चुनाव में पोलस्टरों में से सीवोटर-एबीपी न्यूज़ ने कांग्रेस के 130 और भाजपा के 57 सीटें जीतने का अनुमान लगाया था। न्यूज़ नेशन के सर्वे में कांग्रेस के 115 और भाजपा के 73 सीटें जीतने का अनुमान था। टाइम्स नाउ-वाररूम स्ट्रेटजीज के सर्वे में कांग्रेस के 115 और भाजपा के 75 सीटें जीतने का अनुमान था। एबीपी न्यूज़ के एक अन्य सर्वे और सभी ‘सर्वे के सर्वे ‘ के औसत में भी भाजपा की हार और कांग्रेस की जीत की संभावना व्यक्त की गई थी।
पिछली विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद कांग्रेस की नई सरकार आसानी से बन गई थी। उसके बाद भाजपा के चुनावी जनाधार में गिरावट होने लगी जिसका साक्ष्य तब मिल गया जब लोकसभा की अजमेर, अलवर और मंडलगढ़ विधानसभा सीट पर उपचुनाव में उसकी करारी हार हुई थी। किसानों में व्याप्त असंतोष,वामपंथी अखिल भारतीय किसान सभा के कामरेड अमराराम के नेतृत्व में चला आन्दोलन मुखर हो चुका था। गूजर समुदाय, राजकीय सेवाओं में आरक्षण की व्यवस्था की मांग को लेकर आंदोलित रहा है। नोटबंदी और गुड्स एन्ड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के बुरे परिणामों के कारण वाणिज्यिक हल्कों में विक्षोभ था। बेरोजगारी की समस्या से त्रस्त छात्र-युवा सरकार से असंतुष्ट थे।
भैरों सिंह शेखावत-
दिवंगत भैरों सिंह शेखावत के तीन बार के मुख्यमंत्रित्व काल में भाजपा के जनाधार में वृद्धि हुई थी। पहले बनिया और ब्राह्मण समुदाय तक सीमित भाजपा को राजपूत, गूजर, जाट और दलितों का भी समर्थन मिलने लगा। पर विभिन्न कारणों से भाजपा से दलितों और अन्य पिछड़े वर्ग के समुदायों का ही नहीं ब्राह्मण, बनिया जातियों के लोगों के भी छिटकाव हुए।अल्पसंख्यक पहले से भाजपा के खिलाफ रहे हैं और वे गौ-रक्षा के बहाने अलवर आदि अनेक स्थानों पर मॉब लिंचिंग की वारदात से और भी खिलाफ हो गए। अलवर में ही वसुंधरा राजे सरकार ने देश का पहला ‘ गौ रक्षा पुलिस थाना ‘ खोला था।
मोदी जी-
यूं ही नहीं कहते मोदी जी के चुनाव प्रचार और घोषणाओं को रोकना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। राजस्थान समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के लिए निर्वाचन आयोग की शनिवार 6 अक्टूबर को पूर्वाह्न साढ़े बारह बजे बुलाई प्रेस कॉन्फ्रेंस का समय अचानक बदल कर साढ़े तीन बजे कर दिया। उसी दिन अपराह्न एक बजे मोदी जी को अजमेर में मुख्यमंत्री राजे की ‘ गौरव यात्रा ‘ की समाप्ति भाषण देना था। मोदी जी ने जयपुर में ‘ प्रधानमंत्री लाभार्थी जनसंवाद ‘ के बैनर तले जनसभा को भी सम्बोधित किया, जिसमें तब के राज्यपाल (अब दिवंगत) कल्याण सिंह और मुख्यमंत्री राजे भी उपस्थित रहे। मोदी जी ने इसी जनसभा में अजमेर, बीकानेर,माउंट आबू , गंगानगर आदि स्थानों पर अरबों रूपये लागत की आवास, मेट्रो , सड़क ,जल, रसोई गैस, स्वास्थ्य की नई योजनाओं की शिलान्यास पट्टिकाओं का अनावरण किया। सभी जिलों से केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों की भीड़ बुलाई गई थी। उन्होंने उसी शाम दिल्ली लौटने से पहले राजस्थान के पुष्कर में ब्रम्हा मंदिर जाकर अर्चन-पूजन किया और बीच-बीच में ट्वीट भी किये। मोदी जी की सुविधा और उनकी पार्टी के चुनावी फायदे के वास्ते चुनाव कार्यक्रम की घोषणा का समय बदलने के निर्वाचन आयोग के कदम की कटु आलोचना की गई। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होते ही आदर्श चुनावी आचार संहिता लागू हो जाती है,जिसके तहत वोटरों को लुभाने की सरकारी घोषणा करने पर तत्काल प्रतिबन्ध लग जाता है। आयोग ने प्रेस कांफ्रेस का समय बदलने का कारण नहीं बताया। उसका यह रूख पूरी तरह से अनैतिक माना गया।
घनश्याम तिवारी-
पिछली बार मुख्यमंत्री पद के दावेदार और सांगानेर से छह बार विधायक घनश्याम तिवारी की भाजपा नेतृत्व द्वारा कथित उपेक्षा से ब्राह्मण समुदाय के छिटकने की खबर थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में रहे तिवाड़ी ने भाजपा छोड़ ‘ भारत वाहिनी पार्टी ‘ की कमान संभाल मुख्यमंत्री राजे के ख़िलाफ़ बग़ावत कर दी थी। उनके पुत्र अखिलेश तिवाड़ी द्वारा स्थापित इस पार्टी को निर्वाचन आयोग ने पंजीकृत कर लिया था।घोषणा थी कि उनकी पार्टी सभी 200 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार खड़ी करेगी। तिवाड़ी की बगावत भाजपा के लिए नुकसानदेह रही। राज्य के करीब चार करोड़ मतदाताओं में ब्राह्मण समुदाय का हिस्सा करीब छह प्रतिशत माना जाता है।
कांग्रेस-
मौजूदा चुनाव के लिए कांग्रेस के इंडिया अलायंस गठबंधन में कम्युनिस्ट पार्टियों और अन्य की भागीदारी को लेकर स्पष्ट रूख नहीं उभरा है। अलायंस के दलों की कांग्रेस के साथ सीटों का बंटवारा आसानी से हो जाएगा, इसमें शक है। पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री एवं पार्टी की प्रदेश स्क्रीनिंग कमेटी की प्रमुख कुमारी शैलजा के अनुसार पहली सूची कभी भी जारी की जा सकती है।
राहुल गांधी ने पिछली बार वसुंधरा राजे के निर्वाचन क्षेत्र झालवाड़ में रैली के बाद वहाँ से कोटा तक ‘ रोड शो ‘ किया था। कांग्रेस को पिछली बार दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह के राष्ट्रीय लोक दल और दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव के नए बने लोकतांत्रिक जनता दल को अपने गठबंधन में शामिल करने में सफलता मिली थी।
सचिन पायलट-
कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सचिन पायलट को अगला मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में पेश करने के हिमायती बताये जाते हैं। सचिन पायलट, कांग्रेस के दिवंगत नेता राजेश पायलट के पुत्र हैं। उनका ब्याह जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुला की पुत्री, सारा से हुआ है। उपमुख्यमंत्री रह चुके पायलट 7 सितम्बर 1977 को पैदा हुए थे।वह केन्द्रीय एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री भी रहे है। वे 26 साल की उम्र में सबसे युवा सांसद थे। अभी वह टोंक क्षेत्र से विधायक हैं। वह 2014 से 14 जुलाई 2020 तक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी रहे। उनके पिता राजेश पायलट कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में थे। सचिन ने आरम्भिक शिक्षा दिल्ली की आर्मी स्कूल से पूरी कर अमेरिका के पेन्सिल्वेनिया से मैनेजमेंट की पढ़ाई की। वह भारत लौटने पर 2002 में अपने पिता के जन्मदिन 10 फरवरी को कांग्रेस में शामिल हुए थे। उन्हें मुख्यमंत्री गहलौत से गहरे मतभेद के कारण 14 जुलाई 2020 को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया गया।
बसपा और आप-
बसपा अध्यक्ष मायावती की घोषणा है कि उनकी पार्टी अपने बूते ही सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगीं. बसपा ने पिछली बार राजस्थान में 4 फीसदी वोट प्राप्त कर छह सीटें जीती थी। राजस्थान चुनाव में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) के भी कूदने की संभावना है। उसने पिछली बार के चुनाव में अहमदाबाद से संचालित विजय एप तैयार किया था।
पिछली बार मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने विभिन्न पार्टियों के साथ मिल ‘राजस्थान लोकतांत्रिक मोर्चा ‘ (रालोमो) का गठन किया था।माकपा ने अपने 11 उम्मीदवारों की पहली सूची चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से पहले जारी कर दी थी, जिनमें दांतारामगढ से किसान नेता एवं पूर्व विधायक अमराराम प्रमुख थे। दूसरी सूची में नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र रहे और अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष दुलीचंद बोरदा भी थे, जो पीपल्दा सीट क्षेत्र से उम्मीदवार बने। माकपा नेताओं ने भारत वाहिनी पार्टी के अध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी और निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल के साथ तालमेल की बातचीत की थी। अमराराम ने तिवाड़ी, बेनीवाल के अलावा समाजवादी पार्टी,जनता दल -सेक्यूलर समेत अन्य गैर-भाजपा, गैर -कांग्रेस दलों के नेताओं से भी लोकतांत्रिक मोर्चे के बैनर तले चुनाव लड़ने की बातचीत की थी।
गुर्जर समुदाय-
भाजपा सरकार ने गुर्जर समुदाय की मांग पर 2015 में एक अधिनियम के तहत उन्हें और चार अन्य जातीय समुदायों को राजकीय सेवाओं में आरक्षण देने के आदेश जारी किये थे। लेकिन राजस्थान हाई कोर्ट ने इस आधार पर वह अधिनियम निरस्त कर दिया कि इससे कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक हो जाता है। राज्य सरकार, बाद में जुलाई 2017 में गुर्जर और उन चार जातीय समुदाय को एक-एक प्रतिशत आरक्षण की ही सुविधा दे सकी। गुर्जर समुदाय राज्य में अन्य पिछड़े वर्गों को प्राप्त आरक्षण में बंटवारे के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित रोहिणी आयोग की तर्ज़ पर संविधान संशोधन के लिए आयोग बनाने की मांग कर रहा है। गूजर समुदाय के सचिन पायलट को अगले मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने की संभावना से भी भाजपा को गूजर समुदाय को रिझाने में मुश्किल हो रही है.
इतिहास-
ब्रिटिश राज के राजपुताना की 22 रियासतों के भारत में विलय से राजस्थान राज्य का उदय हुआ। स्वतंत्र भारत के संविधान की धारा 168 के तहत हर राज्य को एक या दो सदन की विधायिका का गठन करना था। राजस्थान ने एक ही सदन, विधानसभा गठित की जिसका पहला चुनाव 1952 में हुआ था। तब उसकी 160 सीटें थीं। प्रदेश में 1967, 1977, 1980 और 1992 में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था।
भूगोल-
राजस्थान कुल 3,42,239 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला भारत का सबसे बड़ा राज्य है। यह देश के क्षेत्रफल का करीब दस फीसद है। इसकी 1700 किलोमीटर सीमा पाकिस्तान से लगती है,जिसे ‘रेड क्लिफ’ रेखा कहते हैं। इसकी 4850 किलोमीटर सीमा पाँच राज्यों से जुड़ी है ,जिनमें दक्षिण-पश्चिम में गुजरात, दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश, उत्तर में पंजाब, उत्तर-पूर्व में उत्तरप्रदेश और हरियाणा है। इसे सन 1800 में जार्ज थामस ने राजपूताना नाम दिया था। इतिहासकार जेम्स टाड ने एनल्स एंड एन्टीक्वीटीज आफ राजस्थान कितब में इसका नाम राजस्थान रखा। पश्चिम में थार मरुस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है। अरावली ,राजस्थान की एकमात्र पर्वत शृंखला है जिसमें माउंट आबू शामिल है। राजस्थान में चार बाघ अभयारण्य – रामगढ़ विषधारी, मुकंदरा हिल्स, रणथम्भौर और सरिस्का हैं। भरतपुर के पास केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान है, जो साइबेरिया से आने वाले माइग्रेटरी सारसों और स्थानीय प्रजाति के अनेक पक्षियों के संरक्षित स्थान के रूप में विकसित है। कुल 38401 वर्ग किलोमीटर का सबसे बड़ा जिला जैसलमेर हैं। भारत का सबसे गर्म स्थान राजस्थान में ही फलोदी, जोधपुर है।प्राचीन काल में राजस्थान में आदिवासी कबीलों का शासन था। यह 2500 ईसा पूर्व से पहले से बसा हुआ था। उत्तरी राजस्थान में सिंधु घाटी सभ्यता की नींव थी। इस क्षेत्र में सबसे पहले रहने के लिए भील और मीना जनजाति के लोग आए थे। ऋग्वेद में मत्स्य जनपद का उल्लेख है, जो मौजूदा राजस्थान में ही था। महाभारत में मत्स्य नरेश ,विराट का उल्लेख है, जहाँ पांडवों ने अज्ञातवास किया था। करीब 13वी सदी पूर्व तक पूर्वी राजस्थान और हाड़ौती पर मीणा और दक्षिण राजस्थान पर भील राजाओं का शासन था। मध्यकाल में राजपूत वंशों ने इसके विभिन्न भागों पर कब्जा कर उनका नया नामकरण किया। इसके शासकों में राजा महाराणा प्रताप, महाराणा सांगा, और महाराजा सूरजमल प्रमुख थे।
राजस्थान शब्द का अर्थ है: राजाओं का स्थान। ब्रिटिश शासकों द्वारा भारत को आजाद करने की घोषणा करने के बाद जब सत्ता हस्तांतरण शुरू हुआ तो देसी रियासतों में अपनी सत्ता बरकरार रखने की होड़ मच गयी। उस समय बाईस देशी रियासतें थी। इनमें अजमेर-मेरवाडा प्रांत को छोड़ शेष पर देशी राजा महाराजाओं का राज था। अजमेर-मेरवाडा प्रांत पर ब्रिटिश शासकों का कब्जा था। करीब एक दशक की ऊहापोह के बीच 18 मार्च 1948 को शुरू राजस्थान एकीकरण की प्रक्रिया एक नवंबर 1956 को पूरी हुई, जिसमे 26 जिले थे। इसमें भारत के गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल और उनके सचिव वीपी मेनन की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी। राजस्थान 15 मार्च 1949 को भारत का राज्य बना जिसमें राजपूताना की रियासतें विलीन हुईं। हर वर्ष 30 मार्च को राजस्थान दिवस मनाया जाता है।
सिरोही से अलवर की जाती 480 किलोमीटर लम्बी अरावली पर्वत शृंखला राज्य को दो भागों में विभाजित करती है। पूर्वी हिस्सा उपजाऊ है। राजस्थान के गठन के बाद चम्बल और माही नदी पर बांध, बिजली घर बने। राज्य में ताम्बा, जस्ता, अभ्रक, पन्ना आदि खनिज के विशाल भण्डार हैं। राज्य के पश्चिमी भाग में रेगिस्तान (थार) है। इस भाग में लूनी, बांड़ी आदि नदियां हैं, जो वर्षा के कुछ दिनों को छोड़ सूखी रहती हैं। स्वतंत्रता के बाद राजस्थान इण्डस बेसिन से रावी और व्यास नदियों से 52 प्रतिशत पानी का भागीदार बन गया। इन नदियों का पानी राजस्थान में लाने के लिए 1958 में ‘राजस्थान नहर’ (अब इंदिरा गांधी नहर) परियोजना शुरू हुई। जोधपुर, बीकानेर, चूरू और बाड़मेर जिलों में इस नहर से पेयजल आपूर्ति का प्रबंध है। बाड़मेर क्षेत्र में कच्चा तेल के भंडार हैं , जहां प्राकृतिक गैस भी प्रचुर मात्रा में है।
राज्य में आबाद गांवों की संख्या 1997 में 37889 थी। कुछ निर्जन गाँव भी है। राज्य में 222 नगर और कस्बे 4 नगर निगम और 180 नगरपालिकाएं , 33 जिला परिषदें और 9125 ग्राम पंचायतें हैं। सन 1991 की जनगणना में आबादी 4.39 करोड़ थी । इसमें पुरुषों की संख्या 2 करोड़ 30 लाख और महिलाओं की संख्या 2 करोड़ नौ लाख थी। आबादी में दशक वृद्धि दर भारत के 23 फीसद से ज्यादा 28 फीसद थी। जनसंख्या घनत्व प्रति वर्ग किलोमीटर 126 थी। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी क्रमश: करीब 17 फीसद और करीब 12 प्रतिशत थी। भारत में 2014 में मोदी राज कायम होने के बाद से दशकीय जनगणना नहीं हुई है।
राजस्थान का सबसे प्रमुख उद्योग सूती वस्त्र है। सबसे पहली सूती मिल द कृष्णा मिल्स लिमिटेड 1889 में ब्यावर नगर में स्थापित हुई थी। सर्वाजनिक क्षेत्र में तीन मिल, महालक्ष्मी मिल्स लिमिटेड, ब्यावर(अजमेर), एडवर्ड मिल्स लिमिटेड,ब्यावर (अजमेर) और विजय काटन मिल्स लिमिटेड, विजयनगर (अजमेर ) हैं। सीमेन्ट उद्योग के मामले में राजस्थान देश में पहले स्थान पर है। जयपुर, बीकानेर, बूंदी और धौलपुर ज़िले काँच प्राप्ति के मुख्य स्थल हैं। काँच उद्योग राजस्थान उत्तर प्रदेश के बाद देश में दूसते स्थान पर है। पूरे भारत का 42 फीसद ऊन राजस्थान में ही बनाता है।
बहरहाल , भारत के निर्वाचन आयोग ने राजस्थान चुनाव कार्यक्रम की अभी औपचारिक घोषणा नहीं की है। इसकी घोषणा के बाद ही विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रत्याशी , गठबंधन आदि की तस्वीर साफ होगी।फिलहाल यही लोगों के बीच चर्चा है चुनाव में मुकाबला तो जादूगर (गहलौत ) और महारानी (वसुंधरा राजे) में है जो आम तौर पर शाम आठ बजे आम लोगों के बीच रहना पसंद नहीं करती हैं।
चंद्र प्रकाश झा –
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पुस्तक लेखक हैं। वह राजस्थान में इंदिरा नहर के शुरुआरी निर्माण में लगी ‘टेरिटोरियल आर्मी ‘के काम और 1991 के लोकसभा चुनाव की न्यूज एजेंसी ,यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया की तरफ से रिपोर्टिंग करने के अलावा वहां जयपुर में रहे भी हैं।)