लोकसभा की विशेषाधिकार समिति ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का निलंबन रद्द कर दिया है। बुधवार को कांग्रेस सांसद की तरफ से अपना पक्ष रखने के बाद समिति ने निलंबन रद्द करने की सिफारिश के प्रस्ताव को मंजूर किया। मणिपुर हिंसा पर अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान कथित ‘अनियंत्रित व्यवहार’ के लिए कांग्रेस नेता को 11 अगस्त को निलंबित कर दिया गया था। चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना भगोड़े अरबपति नीरव मोदी और धृतराष्ट्र से की थी।
Lok Sabha's Privileges Panel adopts resolution recommending revocation of suspension of Congress leader Adhir Ranjan Chowdhury
— Press Trust of India (@PTI_News) August 30, 2023
हालाँकि, चौधरी ने विशेषाधिकार समिति के समक्ष गवाही दी कि उनका किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का कोई इरादा नहीं था। उन्होंने मानसून सत्र के दौरान संसद के अंदर की गई अपनी टिप्पणी पर खेद भी जताया।
भाजपा सदस्य सुनील कुमार सिंह की अध्यक्षता वाला संसदीय पैनल समिति के अध्यक्ष के माध्यम से लोकसभा अध्यक्ष को अब एक रिपोर्ट सौंपेगा।
18 अगस्त को समिति की बैठक में कई सदस्यों का विचार था कि चौधरी को उनके आचरण के लिए लोकसभा द्वारा दंडित किया गया है और संसदीय पैनल द्वारा उनके व्यवहार की जांच करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
मानसून सत्र के दौरान अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि मणिपुर और हस्तिनापुर में कोई फर्क नहीं है। पीएम मोदी नीरव मोदी बनकर चुप्पी साधे हुए हैं। जब सत्ता पक्ष ने इस पर अपना विरोध जताया तो अधीर रंजन चौधरी ने सफाई देते हुए कहा कि नीरव का मतलब शांत रहना होता है और उनका मकसद प्रधानमंत्री का अपमान करना नहीं था। हालांकि, संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने अधीर रंजन चौधरी की टिप्पणी पर उनके निलंबन का प्रस्ताव पेश किया, जिसे लोकसभा अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया था।
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी द्वारा चौधरी के निलंबन के प्रस्ताव में उन पर सदन और सभापति के अधिकार की घोर उपेक्षा करते हुए घोर, जानबूझकर और बार-बार कदाचार करने का आरोप लगाया गया था।
निलंबन के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए, कांग्रेस सांसद ने कहा था कि उनका “इरादा अपने तर्कों को स्पष्ट रूप से रखना और जो भी मन में आए उसे व्यक्त करना था”। चौधरी ने यह भी कहा था कि वह निलंबन को लेकर सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं।