राज्यसभा में TMC सांसद डेरेक ओ ब्रायन को राज्यसभा सदस्य के रूप में अभद्र व्यवहार के लिए मौजूदा संसद सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया है। उन्होंने मणिपुर मुद्दे पर चर्चा की कोशिश करते समय सभापति जगदीप धनखड़ की बात नहीं मानी थी। सदन के नेता पीयूष गोयल ने सदन की कार्यवाही में लगातार बाधा डालने, सभापति की अवज्ञा करने और सदन में लगातार अशांति पैदा करने के लिए उनके निलंबन के लिए एक प्रस्ताव पेश किया जिसे चेयर ने स्वीकृति दे दी।
TMC MP in Rajya Sabha #DerekOBrien suspended for rest of the session for his unruly behaviour in house. #MonsoonSession2023
Leader of the House @PiyushGoyal moved a motion for #DerekOBrien's suspension “for continuously disturbing the proceedings of the House, disobeying the… pic.twitter.com/dLDrlbZEzd
— All India Radio News (@airnewsalerts) August 8, 2023
दरअसल, राज्यसभा में मणिपुर पर चर्चा की मांग को लेकर जोरदार हंगामा हो रहा था। इसी दौरान टीएमसी सांसद खड़े होकर चर्चा की मांग करने लगे। इस पर चेयर पर बैठे सभापति जगदीप धनखड़ ने ब्रायन को जोर से डांचते हुए बैठने को कहा। इसके बावजूद ब्रायन चुप नहीं हुए तो सभापति अपनी सीट से उठ खड़े हुए और कहा कि मैं माननीय सदस्य डेरेक ओ ब्रायन का नाम लेता हूं। सभापति के डेरेक ओ ब्रायन का नाम लेने के बाद राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने उनके खिलाफ निलंबन का प्रस्ताव पेश किया। पीयूष गोयल ने कहा, सदन की कार्यवाही में लगातार खलल डालने, सभापति की बात न मानने और सदन में लगातार अशांति पैदा करने के लिए मैं डेरेक ओ ब्रायन के खिलाफ बाकी सत्र के लिए निलंबन का प्रस्ताव पेश करता हूं, जिसे आसन ने मंजूर कर लिया।
इसके बाद सभापति ने कहा कि डेरेक ओ ब्रायन को सदन से बाहर जाने का निर्देश दिया जाता है और इस सत्र के लिए निलंबित किया जाता है। इसके साथ ही सभापति धनखड़ ने राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी।
मालूम हो कि संसद का मानसून सत्र 11 अगस्त को खत्म होना है। नियमों के मुताबिक, सभापति द्वारा नामित सांसद को दिन भर के लिए सदन की कार्यवाही से हटना होता है। सोमवार शाम को दिल्ली सेवा विधेयक पर चर्चा के दौरान भी सभापति और ब्रायन के बीच बहस हो गई थी। धनखड़ ने दिल्ली सेवा विधेयक पर तीखी बहस के दौरान प्रचार पाने के लिए डेरेक ओ ब्रायन पर सदन में नाटक करने का आरोप लगाया था।
विपक्ष नियम 267 के तहत चर्चा के लिए दबाव बना रहा है। इस नियम के तहत पेश किए गए प्रस्तावों को शायद ही कभी स्वीकार किया गया हो। संसदीय रिकॉर्ड बताते हैं कि नियम के तहत 1990 और 2016 के बीच केवल 11 बार चर्चा की अनुमति दी गई थी। आखिरी उदाहरण 2016 में था, जब तत्कालीन सभापति हामिद अंसारी ने मुद्रा के विमुद्रीकरण पर बहस की अनुमति दी थी।